वाराणसी (ब्यूरो)कपसेठी थाना क्षेत्र के मटुका तक्खू की बाऊली गांव में ब्यूटी पार्लर संचालिका कंचन पटेल और डाक्टर राखी पटेल समलैंगिक थी, यह बनारस के लिए कोई नई बात नहीं है, लेकिन एक बार फिर समलैंगिकता को लेकर चर्चा शुरू हो गई हैदेश की सांस्कृतिक राजधानी बनारस में समलैंगिकता का कल्चर तेजी से बढ़ रहा हैएक अनुमान के अनुसार बनारस में करीब तीन सौ से अधिक जोड़े हैं, जो समलैंगिक हैंइसमें 95 फीसद लड़कियां हैंपुरुष की संख्या बहुत कम हैहालांकि इसे कानूनी मान्यता नहीं मिलने के कारण इस तरह के रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ खुलकर सामने नहीं आते हैंसमाज से बचने के लिए वह चोरी-छिपे कालोनी और सोसाइटी के फ्लैट में रहते हैं.

शहर में बना है क्लब

शहर की कालोनियों व सोसाइटी में रहने वाले समलैंगिक जोड़ों ने बकायदा एक क्लब बनाकर रखा हैवाट्सएप गु्रप के जरिए क्लब को संचालित किया जाता हैसाथ ही एक-दूसरे से संपर्क भीक्लब की एक महिला सदस्य ने बताया कि बनारस धार्मिक शहर हैपुरानी परम्परा व रूढि़वादी विचारधारा के लोग रहते हैंवह समलैंगिकता को अच्छा नहीं मानते हैंइसलिए हम लोग खुले मैदान या होटल में कोई भी कार्यक्रम नहीं करते हैंन्यू ईयर के मौके या किसी विशेष पर्व पर हम लोग एकत्र होते हैं और बंद कमरे में एक-दूसरे को विश करते हैं

हाई कोर्ट ने नहीं दी मान्यता

अभी 15 दिन पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दो युवतियों की ओर से दाखिल उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने दोनों के बीच विवाह को मान्यता देने का अनुरोध किया थान्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने एक युवती की मां अंजू देवी की तरफ से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए दोनों युवतियों की याचिका को खारिज कियाअंजू देवी ने अपनी 23 वर्षीय बेटी को सौंपे जाने का अनुरोध करने संबंधी यह याचिका दायर की थी

दो युवती एक साथ रह सकती हैंहालांकि, दो लड़कियों की शादी की अनुमति कानून से नहीं मिली हैदोनों के साथ रहने की स्थिति में कोई परेशान नहीं कर सकता हैइस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि दो बालिग अपनी मर्जी से बिना शादी के साथ रह सकते हैं

-मधुलिका सागर, अधिवक्ता

समाज तेजी से आगे बढ़ रहा हैइस तरह के मामले आ रहे हैंइसका कारण हो सकता है कि युवती शादी को लेकर डरी रहती हैउसे डर रहता है कि शादी के बाद पति प्रताडि़त करेगाइसलिए साथ पढऩे या कालोनी में रहने के दौरान दो लड़कियां इस तरह के रिलेशनशिप में रहना ज्यादा सेफ समझती हैहालांकि, यह एक मानसिक विकृति भी हैकिशारों की सही तरीके से काउंसलिंग की जरूरत है.

-तुलिका रानी, मनोवैज्ञानिक