वाराणसी (ब्यूरो)बनारस को अब स्मार्ट सिटी के नाम से जाना जाता हैगंगा आरती, विश्वनाथ धाम के अलावा शहर की गलियां और बदलते बनारस को देखने के लिए हर दिन बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं, लेकिन इनकी मनमानी से शहर की छवि खराब हो रही हैसाथ ही स्मार्ट सिटी का लुक भीजी, आपने सही समझाहम बात कर रहे हैं अवैध डेयरियों की, जो शहर की कई गलियों में दिख जाएंगीइन डेयरियों से आम लोगों को काफी दिक्कतें भी होती हैंखासकर बच्चों और बुजुर्गों कोनगर निगम में लगातार शिकायतें भी होती हैं, लेकिन इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती हैइसके अलावा गलियों व सड़कों पर छुट्टा पशुओं का आतंक हैपार्क और सड़कों पर आए दिन आवारा पशु लोगों को टक्कर मारकर घायल कर रहे हैं.

तीन गोशालाएं, फिर भी सड़क पर मवेशी

शहर में कांजी हाउस, नक्खी घाट व भोजूबीर में गोशालाएं हैैंइसके बावजूद सिगरा स्थित चंदुआ सट्टी, सारनाथ का पंचकोशी चौराहा, पहडिय़ा का अकथा चौराहा, सुंदरपुर, लंका, गंगा घाटों और अन्य पॉश इलाकों में छुट्टा पशुओं से लोगों को काफी असुविधा होती हैपार्क और सड़कों पर आए दिन आवारा पशु लोगों को टक्कर मारकर घायल कर रहे हैं

शिकायत के बाद भी अधिकारी मौन

आरोप है कि शिकायत करने के बाद भी संबंधित अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैंगलियों में अवैध रूप से संचालित डेयरी के चलते लोगों का राह चलना दुश्वार हो गया हैदिनभर गलियों और सड़कों पर जानवरों के गोबर से लोगों को आवाजाही में दिक्कतें हो रही हैंजनपद में 20 से अधिक गोवंश आश्रय स्थल हैं, जिनमें से स्थाई और अस्थायी दोनों हैंइसके बावजूद शहर की सड़कों व गलियों में पशु घूम रहे हैं

चंदुआ छित्तूपुर मार्ग पर अवैध डेयरी

नगर निगम की ओर से समय-समय पर छुट्टा पशुओं की धरपकड़ को लेकर अभियान चलाया जाता है, लेकिन नगर निगम मुख्यालय से मात्र चार सौ मीटर दूर चंदुआ छित्तूपुर की सड़कों व गलियों में लंबे समय अवैध रूप से संचालित डेयरी पर कार्रवाई नहीं होती हैइस मार्ग सिंचाई विभाग का दफ्तर, होटल व बड़े-बड़े मकान हैसड़कों पर हमेशा पशुओं के बंधे होने से तमाम दिक्कतें भी होती हैंइस तरह शहर में तमाम अवैध डेयरी संचालित हो रही है, लेकिन नगर निगम की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जाती है.

30 अप्रैल को होगी भूखंडों की नीलामी

छुट्टा पशुओं को सड़क से हटाने के लिए वीडीए ने नई पहल की है। 90 साल की लीज पर पशुपालकों को 10 पशुओं की पर्याप्त सुविधा के लिए भूखंड आवंटित किया जाएगाइसके लिए वीडीए की ओर से 15 अप्रैल से पंजीकरण शुरू किया गया हैछुट्टा पशुओं से होने वाली लोगों को समस्याओं को दूर करने के लिए शहर से दूर गांव में कैटल कॉलोनियां विकसित की गई हैशहर के अंदर संचालित डेयरियों और गोशालाओं को शहर सीमा से बाहर स्थानांतरित करने के लिए वीडीए ने चोलापुर के कटेहर और छित्तमपुर में कैटल कालोनियां विकसित की हैंइन कैटल कॉलोनियों में जमीन लेने के लिए 15 अप्रैल से 25 अप्रैल तक पंजीकरण होगा और 30 अप्रैल को वीडीए सभागार में पंजीकरण कराए हुए व्यक्तिओं और संस्थाओं के बीच भूखंडों की नीलामी पूरी होगी.

कैटल कॉलोनी का विवरण

वाराणसी विकास प्राधिकरण द्वारा विकसित की गई कैटल कालोनियों में चोलापुर के कटेहर में 101.38 वर्ग मीटर से 151.99 वर्गमीटर तक के 54 भूखंड है, जिनका न्यूनतम आरक्षित मूल्य 4,56,210 से 6,83,655 हैछित्तमपुरा कटेहर में 95.03 वर्ग मीटर से 126.70 वर्गमीटर तक के 76 भूखंड है, जिनका न्यूनतम आरक्षित 4,27,635 से रुपये 5,70,150 तक कुल 130 भूखंड उपलब्ध है.

जमीन पर सिर्फ पशुपालन ही मान्य

वीडीए की ओर से यह भी शर्त है कि नीलामी में लेने वाले भूखंड पर सिर्फ पशुपालन की मान्य होगाइसके अलावा अन्य कोई उपयोग नहीं किया जा सकेगापंजीकरण के लिए आवेदन पत्र पर निर्धारित शुल्क जमा करने हुए प्राधिकरण के हेल्प डेस्क पटल से प्राप्त और जमा किए जा सकते हैं.

डेयरियों को शहरी सीमा से बाहर स्थानांतरित करने के लिए चलाए जाने वाले अभियान को देखते हुए पशुपालकों के लिए यह एक स्वर्णिम अवसर हैसभी पशु पालकों से अपील है कि नीलामी में प्रतिभाग करते हुए भूखंड प्राप्त करें ताकि भविष्य में होने वाली परेशानियों से बचा जा सके

-ईशा दुहन, वीसी वीडीए