-नेपाल से बनारस पहुंची बस, भूकम्प में जिंदा बचे लोगों ने सुनायी रोंगटे खड़ी कर देने वाली दास्तां
-कहा, पीडि़तों को तीन सौ रुपये में बिस्किट, पांच सौ रुपये में बेचा जा रहा है बोतल बंद पानी
VARANASI: भले ही नेपाल को पड़ोसी मुल्क भारत से हर तरह की मदद मिल रही हो लेकिन वहां की स्थिति अभी भी सामान्य नहीं हो पाई है। भूकम्प का कहर झेलने के बाद लोगों के सामने अब खाने पीने के लाले पड़ गये हैं। नेपाल में खाना पीना काफी ढूंढ़ने के बाद ही मिल पा रहा है। भेजी जा रही राहत सामग्री वहां कुदरत की मार में आ फंसे लोगों के हिसाब से कम पड़ जा रही है। नेपाल में पांच सौ रुपये में एक पैकेट बिस्किट और तीन सौ रुपये में एक बोतल पानी मिल रहा है। भूकम्प के 7ख् घंटे बाद मंगलवार को बनारस लौटे नेपाल के डेढ़ दर्जन लोगों ने आई नेक्स्ट से अपनी आपबीती शेयर की। नेपाल की वाल्वो से कैंट रोडवेज बस स्टेशन पहुंचे लोगों की आंखों में खौफ साफ झलक रहा था।
रह गई सिर्फ मुश्किलों की दास्तान
भूकम्प की भयावह तस्वीर को अपनी आंखों में कैद करने वाला काठमांडू का आठ सदस्यीय कुनबा नेपाल की बस से शाम को बनारस पहुंचा। कुनबे के मुखिया केशव प्रसाद गौतम ने आई नेक्स्ट को बताया कि वहां की घटना अब ताउम्र भूलने वाली नहीं है। सोते जागते बस वहीं खौफनाक मंजर आंखों के सामने तैर रहा है। घर और पूरी प्रॉपर्टी सब जमींदोज हो गया, सर छुपाने के लिए अब कुछ नहीं रह गया। रह गई तो सिर्फ मुश्किलों की लंबी दास्तान।
सौ रुपये में एक कप चाय
नेपाल की बस में सवार होकर बनारस पहुंचे राजन ने बताया कि भूकम्प के बाद ब्8 घंटे वहां गुजारना बहुत मुश्किल रहा। एक-एक पल खौफ में जीना पड़ रहा था। पास में इतने पैसे भी नहीं थे कि पेट की भूख मिटाई जा सके। पांच सौ रुपये में एक पैकेट बिस्किट व तीन सौ रुपये में एक बोतल पानी, सौ रुपये में पानी की तरह एक कप चाय मिल रही थी। मैं तो दो दिन तक भूखा ही रहा, बहुत दर्दनाक मंजर है वहां का, जितना कुछ भी बयां करूं कम पड़ जायेगा। मलबे में दबे छोटे-छोटे बच्चों की लाशें देखकर रूह कांप जा रही थी।
लगा कि अब नहीं बचेगी जान
ड्राइवर अमर ने बताया कि ख्7 अप्रैल को नेपाल से दोपहर में एक बजे बस लेकर रवाना हुये थे बनारस के लिए। लेकिन डैमेज सड़क राह में बाधा बनी। काठमाण्डू के एक एरिया में इतनी लाशें सड़क पर रख दी गई थीं जिससे ट्रैफिक में लंबा फंसना पड़ा। लगभग ख्ब् घंटे लगे काठमाण्डू से बनारस का सफर तय करने में। काफी दर्दनाक हालत है नेपाल का। सोनौली बॉर्डर क्रॉस किये तब जाकर लगा कि अब जान बच जाएगी। जब तक वहां थे लगा कि अब जान नहीं बचेगी। रह-रहकर आये भूकम्प के झटकों ने बहुत तबाही मचाई है।
बस में ये रहे सवार
केशव प्रसाद गौतम, मियेगवर, सुमागोतो, जगदीश देवी, किरन अधिकारी, निकोलता, एरोइश, पोसाम्शा, पूनम, प्रसनेन उपाध्याय, प्रनील उपाध्याय, राजन कुमार, ड्राइवर अमर सहित तीन और पेसैंजर्स शामिल रहे।
नेपाल जाने के लिए तीन मई तक के टिकट कैंसिल हो चुके हैं। पैसेंजर्स लगातार टिकट कैंसिल करा रहे हैं।
शुभम जायसवाल,
ट्रैवल एजेंट
कैंट
नेपाल के हालात बहुत दर्दनाक हैं, हर तरफ लाश ही लाश देखने को मिल रही है। 99 परसेंट लोग वहां रहना नहीं चाह रहे हैं।
केशव प्रसाद गुप्ता, पैसेंजर
दो दिन तक नेपाल में भूखा रहा। इतनी लाशें देखने को मिली कि खाने पीने की इच्छा ही मर गई थी।
राजन, पैसेंजर
खाने पीने का सामान काफी महंगा बिक रहा है। जिसके पास पैसा है वहीं खरीद रहा। बाकी राहत सामग्री तो लूट ली जा रही है।
अमर, बस ड्राइवर
यह टूर कभी नहीं भूलूंगा। पहली बार मौत को काफी करीब से देखा था। गॉड ने किसी तरह बचा लिया।
सुमागोतो, पैसेंजर
कल से चलेगी वाल्वो
कैंट रोडवेज बस स्टेशन से नेपाल जाने वाली बस तीस अप्रैल से फिर से शुरू होगी। मंगलवार तक इस बस से जाने के लिए सिर्फ दो लोगों ने बुकिंग कराई थी। ये दोनों लोग नेपाल के रहने वाले हैं। बाकी काठमाण्डू से बनारस लौटने वालों की संख्या अधिक बताई गई है।