वाराणसी (ब्यूरो)अस्सी घाट पर मंगलवार सुबह गंगा में डूबने से 12 साल की बच्ची सलोनी की मौत हो गईवो अपनी बहन के साथ गंगा नहाने आई थीएनडीआरएफ टीम ने करीब 4 घंटे के बाद शव को बाहर निकालाइस घटना के बाद दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने डेंजर गंगा घाटों की पड़ताल की तो डराने वाली तस्वीर सामने आईडेंजर घाट होने के बावजूद अस्सी पर चेतावनी बोर्ड नहीं लगा मिलाजबकि रीवा, तुलसी और जानकी घाट पर चेतावनी बोर्ड लगने के बाद भी बड़े और युवक ही नहीं, बल्कि छोटे-छोटे बच्चे भी जमकर गोते लगा रहे थेऐसे में लापरवाही जानलेवा हो सकती है

चार माह में 12 मौत

मुंशी घाट पर एक सप्ताह पहले बुधवार को ही अभिषेक भारती अपने दोस्तों के साथ स्नान कर रहा थावह नहाते-नहाते आगे चला गयाइसी बीच पैर फिसलने से गहरे पानी में डूबने से उसकी मौत हो गईइसी तरह मार्कंडेय महादेव मंदिर में भाइयों के साथ प्रिंस विश्वकर्मा आया थाबगल में गंगा घाट पर स्नान के दौरान डूबने से उसकी मौत हो गईअभिषेक मंडुवाडीह और प्रिंस चांदमारी का रहने वाला थाजल पुलिस के अनुसार चेतावनी बोर्ड और गंगा में चक्रमण के दौरान लोगों को गहरे पानी में जाने से मना किया जाता है, बावजूद इसके लोग नहाते समय गहरे पानी में चले जाते हैं, जिसकी वजह से डूबने की घटना हो जाती हैजनवरी से 15 अप्रैल तक विभिन्न घाटों पर नहाते समय 12 लोगों की डूबने से मौत हो गई

मई, जून, जुलाई में ज्यादा हादसे

अप्रैल के महीने में गंगा में पानी का स्तर कम होता हैजैसे ही बारिश शुरू होगी तो बाढ़ की वजह से गंगा घाट पानी से लबालब हो जाता हैघाट किनारे पानी अधिक होने के साथ बहाव भी तेज होता हैगहराई और बहाव के फोर्स का अंदाजा नहीं होने से कई बार गंगा में स्नान करते समय स्नानार्थी धोखा खा जाते हैैंपिछले साल गंगा में बाढ़ के दौरान हर दिन लगभग दो लोगों के डूबने की घटनाएं सामने आई थींहादसे के दौरान जिन पर गोताखोर और स्थानीय लोगों की नजर पड़ जाती है, उनकी जान बच जाती हैअन्यथा डूबने की घटना हो जाती हैअधिक घाटों पर डेंजर प्वाइंट बने हुए हैंयहां अनजान लोगों को अकेले स्नान करने से बचना चाहिए.

शिवाला घाट पर डूबने से बचाया

अस्सी से लेकर राजघाट तक लगभग सभी घाटों के किनारे मांझी यानी नाविक मौजूद रहते हैंवे लोगों को अवेयर भी करते हैंसुरक्षित स्नान के लिए शिवाला घाट पर जेटी लगाया गया था, लेकिन फिल्म की शूटिंग के चलते उसे हटा दिया गयाइसके चलते अक्सर हादसे की आशंका बनी हुई हैमंगलवार को शिवाला घाट पर गहरे पानी में जाने से एक युवक डूबने लगा, जिसे नाविकों ने बचा लिया

घाट पर इंतजाम नाकाफी

प्रति माह लाखों की तादाद में सैलानी और पर्यटक बनारस घूमने आते हैैंइस दौरान ये गंगा में स्नान भी करते हैंघाटों पर चेन बैरिकेडिंग, पर्याप्त संख्या में चेतावनी बोर्ड, बहुभाषी चेतावनी बोर्ड, गोताखोरों की नियुक्ति और पेट्रोलिंग के अभाव में अक्सर सैलानियों के डूबने की घटनाएं सामने आती हैं.

इस बिंदुओं की अनदेखी

- गंगा घाट पर स्नान या पानी में उतरने वालों के लिए चेतावनी के उचित उपाय नहीं

- जिन घाट की दीवारों पर चेतावनी बोर्ड हैं, वह दूर होने के कारण नजर नहीं आते

- पानी में उतरने व गहराई तक जाने वालों को रोकने की व्यवस्था नहीं

स्नान के दौरान बरतें सावधानी

- पानी में उतरने से पहले गहराई की जानकारी ले लें.

- अकेले हों तो अच्छा यही कि स्नान करने के लिए पानी में न उतरें.

- सुनसान घाट पर स्नान से बचें.

- घाट के पास जलस्तर और नोटिस बोर्ड पर नजर रखें.

- स्मार्टफोन में वाटरलेवल की अपडेट प्राप्त कर लें.

- आपात स्थिति में घाटों के किनारे के नाविकों, लोगों और जल पुलिस को सूचित करें.

फैक्ट एंड फीगर

38 लोगों की 2023 में डूबने से मौत हुई

53 लोगों की 2022 में डूबने से मौत हुई

गंगा में इन दिनों पानी का स्तर सामान्य हैगंगा में स्नान करने वाले सैलानियों को नाविक अपने स्तर से जागरूक करते हैैंप्रशासन व जल पुलिस भी घाटों की मॉनिटरिंग करते हैंनगर निगम की ओर से डेंजर घाटों पर नोटिस बोर्ड और कर्मचारी तैनात होना चाहिए

प्रमोद मांझी, अध्यक्ष, नाविक संघ

गंगा घाटों पर सैलानियों और पब्लिक की सुरक्षा के लिए जल पुलिस एक्टिव हैगंगा में लोग गहरे पानी में नहीं उतरेंसंबंधित थाने की पुलिस समय-समय पर गश्त करती रहती हैकई घाटों पर पुलिस प्रशासन द्वारा नोटिस बोर्ड लगाए गए हैैं.

श्याम नारायण सिंह, डीसीपी काशी जोन