वाराणसी (ब्यूरो) वाराणसी स्थित महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ यूनिवर्सिटी ने इस वर्ष 101वें स्थापना दिवस को अमृत महोत्सव के रूप में मनायाइस दौरान कुलपति आनंद कुमार त्यागी ने ललित कला विभाग की जमकर प्रशंसा कीजबकि आलम ये है कि विभाग में मूलभूत सुविधाएं तो दूर यहां पढ़ाने के लिए पर्याप्त शिक्षक तक नहीं हैंयही नहीं, ललित कला विभाग पिछले दो साल से प्रभारी के भरोसे चल रहा हैगौरतलब है कि इस विभाग में लगभग 500 छात्र हैं और इनकी पढ़ाई का जिम्मा गेस्ट फैक्लटि के भरोसे ही है.

1980 में बना ललित कला विभाग

विवि से मिली जानकारी के मुताबिक मानवीकी संकाय अंतर्गत ललित कला विभाग संचालित होता हैयह विभाग 1980 में खोला गया ताकि छात्रों को कला के क्षेत्र में बेहतर शिक्षा मिल सकेहर साल यहां से लगभग 100 से अधिक छात्र पारआउट होते हैं, लेकिन उनको न तो बेहतर सुविधा मिलती है और न बेहतर शिक्षा

परमानेंट टीचर्स ही नहीं

यहां चार पद स्वीकृत होने के बाद भी कभी तीन से अधिक परमानेंट टीचर नहीं रहेवर्तमान में दो टीचर्स रिटायर्ड हो चुके हैं, जबकि एक की मौत हो चुकी हैविगत दो साल से प्रभारी के भरोसे ललित कला विभाग का संचालन किया जा रहा है। 2011 में प्रोसुनिल विश्वकर्मा की नियुक्ति के बाद इस समय वे अकेले ऐसे टीचर हैं, जो ललित कला विभाग में परमानेंट हैंयही नहीं सुनिल विश्वकर्मा भी असिस्टेंट प्रोफेसर हैं और उनकी भी प्रोन्नति पिछले 10 सालों में नहीं हुईजबकि प्रोसुनिल विश्वकर्मा ने चार साल पहले ही सीनियर लेक्चरर के लिए अप्लाई कर रखा है

भवन भी जर्जर

वर्तमान समय में विवि के ललित कला भवन की हालत जीर्ण हैयहां मूलभूत सुविधाएं तक मौजूद नहीं हैंबारिश के दिनों कई बार क्लासेज को बंद करना पड़ता हैभवन में क्षमता से अधिक छात्र होने के कारण यहां शेड लगाकर अलग से पढ़ाई करानी पड़ती हैइस बावत विवि प्रशासन को लिखित जानकारी दी गई है, लेकिन अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है

विवि का ऐतिहासिक भवन

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ यूनिवर्सिटी का ललित कला भवन वाराणसी शहर के लिए एतिहासिक धरोहर हैयहां लालबाहदुर शास्त्री और चंद्रेशखर आजाद ने पढ़ाई की थीयही नहीं, वर्तमान में जिस भवन में ललित कला विभाग है, वह पहले प्रशासनिक भवन था और वहीं कुलपति भी बैठा करते थेइसके बावजूद विवि के सबसे पुराने भवन की हालत दयनीय है

हर साल लगता है मेला

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ यूनिवर्सिटी में प्रति वर्ष कला मेला लगाया जाता है, जिसमें छात्रों के बनाए हुए पेंटिंग को प्रदर्शनी के तौर पर लगाया जाता हैइस दौरान 2 घंटे का सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता है.

हर साल कितनी सीटें

बैचलर डिग्री - 200 छात्र

मास्टर डिग्री - 140 छात्र

फैशन डिग्री - 120 छात्र

पीएचडी - 6 शोध छात्र

र्वमान स्वीकृत पद

एचओडी - 1 पद

प्रोफेसर - 1 पद

असिस्टेंट प्रो। 1 पद

एसोसिएट प्रो। 2

वर्तमान स्थिति

प्रभारी एचओडी - 1

संविदा - 2

गेस्ट फै। - 3

विभाग में जरूरत

- 6 परमानेंट प्रो.

- 3 संविदा

- 4 गेस्ट फैकल्टी

कुल 4 विभाग

पेंटिंग

स्कलचर

व्यावहारिक कला

फैशन डिजाइनिंग

ये बात सच है कि ललित कला विभाग में टीचर्स की कमी हैयदि वर्तमान प्रभारी की ओर से इस संदर्भ में कोई पत्र मिला तो विवि प्रशासन के समक्ष प्रस्ताव रखा जाएगा.

- प्रोशशि कला, डीन

यहां सिर्फ एक मैं ही परमानेंट टीचर हूंयदि विभाग में पूरी क्षमता के साथ अध्यापक मिल जाएं तो यह विभाग और भी आगे जा सकता है

- प्रोसुनिल विश्वकर्मा, प्रभारी, ललित कला भवन

ललित कला भवन अपने आप में एक ऐतिहासिक स्थल हैअगर विवि प्रशासन यहां के ललित कला पर ध्यान दे तो यहां के छात्र बहुत आगे जाने की क्षमता रखते हैं

डॉशत्रुघ्न प्रसाद, मीडिया प्रभारी