वाराणसी (ब्यूरो)। इस समय पूरा बनारस वायरल फीवर, डेंगू और चिकनगुनिया समेत कई संचारी रोगों के प्रकोप से घिरा है। अस्पतालों में जांच और इलाज के लिए मरीजों की लाइन लगी हुई है, मगर लोगों को राहत नहीं मिल रही। महीनों बाद भी लोग दर्द और बुखार से पीडि़त हैं, लेकिन अब इन मरीजों को ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। होम्योपैथी और आयुर्वेद पद्धति में इस वायरल बुखार से लडऩे की क्षमता और कारगर दवाइयां उपलब्ध हैं.
कोरोनाकाल में भी कारगर था आयुर्वेद चिकित्सा
आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज के काय चिकित्सा व पंचकर्म के असिस्टेंट प्रो। अजय गुप्ता का कहना है कि कोरोनाकाल में भी आयुर्वेद चिकित्सा पद्वति को अपनाकर लोगों ने राहत की सांस ली थी। उस समय बनारस के लाखों लोगों ने सिर्फ आयुर्वेदिक औषधियों को अपनाकर खुद को स्वस्थ किया था। उसी तरह से इस बार भी देखा जा रहा है। डेली तीन से चार सौ मरीज यहां उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। इनमें ज्यादातर मरीज बुखार और दर्द से ही पीडि़त पाए जा रहे हैं। इसमें कई ऐसे मरीज भी शामिल हैं, जो एलोपैथ से इलाज के बाद भी ठीक नहीं हुए। लेकिन यहां आने के बाद उन्हें काफी राहत मिल रही है.
होम्योपैथी में भी बेहतर परिणाम
स्वामी विवेकानंद होम्योपैथिक हॉस्पिटल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ। अनिल गुप्ता का कहना है कि वायरल बीमारियों का एलोपैथ से ट्रीटमेंट कराते-कराते परेशान हो गए हैं, क्योंकि लंबे समय बाद भी उन्हें राहत नहीं मिल रही है। ऐसे में उनके पास दूसरा विकल्प तलाशने के सिवाय कोई और रास्ता नहीं बचता। इसलिए अब वायरल के पेशेंट होम्योपैथ की तरफ बढ़ रहे हैं। होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति से इन बीमारियों के इलाज में अच्छे परिणाम आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि वायरल बुखार के बाद शरीर में आने वाली कमजोरी, थकान आदि को दूर करने में होम्योपैथिक दवाइयां भी कारगर हैं। होम्योपैथिक दवाइयां सुरक्षित तो है ही, साथ ही इसका शरीर पर किसी प्रकार का दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता.
बरतें सावधानी एवं सतर्कता
उनका कहना है कि इस मौसम में तापमान में लगातार गिरावट आ रही है। नमी के कारण यह विभिन्न तरह के वायरस के संक्रमण के लिए बहुत अनुकूल है। इसलिए ज्यादा सावधानी एवं सतर्कता की जरूरत है। वायरल बुखार में ठंडक, पसीना आना, डिहाइड्रेशन, मांसपेशियों में दर्द, सिर दर्द, कमजोरी, थकान, भूख का कम लगना, मिचली महसूस होना, गले में खराश आदि लक्षण हो सकते हैं, लेकिन यदि स्वाद एवं गंध में कमी, सांस लेने में दिक्कत हो तो सतर्क हो जाना चाहिए.
पीडि़त से दूरी बनाएं
उन्होंने बताया कि वायरल फीवर संक्रामक है इसलिए इससे बचाव के लिए भीड़- भाड़ में जाने से बचें, बुखार से पीडि़त रोगी से दूरी बनाये रखें, रोगी के तौलिया, रुमाल आदि का प्रयोग न करें, गुनगुना पानी पिएं, ठंढ़ी चीजें जैसे आइस क्रीम , कोल्ड ड्रिंक, बाजार के भोजन से बचें.
बुखार में ये दवाएं देंगी राहत
वायरल बुखार के उपचार में होम्योपैथिक दवाइयां अत्यंत प्रभावी हैं। वायरल बुखार में बदन दर्द, उल्टी, त्वचा पर दाने, कमजोरी जैसे लक्षण दिख रहे हैं। इन लक्षणों के आधार पर रस टक्स 200, यूपेटोरियम पर्फ 200, पल्सेटिला 200, आर्निका 200 जैसे दवाओं के अच्छे परिणाम आ रहे हैं। इसके अलावा उपचार में प्रयोग होने वाली औषधियों में आर्सेनिक अल्ब, बेलाडोना, जेल्सीमियम, एपिटोरिम पर्फ आदि प्रमुख हैं.
ये काम जरूर करें
यदि आपके घर में कोई रोगी है तो उसे अलग, हवादार कमरे में रखें। पौष्टिक, सुपाच्य एवं तरल भोजन दें, पर्याप्त पानी पिलाएं, गुनगुना पानी दें, ठंडी चीजों से बचाव करें.
आयुष मंत्री डॉ। दयाशंकर मिश्र के निर्देशानुसार समसामयिक रोगों के निदान के लिए आयुष चिकित्सा पद्धतियों में पर्याप्त व्यवस्था कर ली गई है। होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति एक सस्ती, दुष्प्रभाव रहित, कारगर है। सभी नागरिकों को इसका लाभ मिले, इसको लेकर विभाग प्रयास कर रहा है.
डॉ। रचना श्रीवास्तव, जिला होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी
बुखार खत्म होने के बाद भी महीनों तक लोगों के जोड़ों में दर्द बना रह रहा है। इसके निजात में आयुर्वेदिक दवाओं के अच्छे परिणाम हैं। इन दिनों ओपीडी में ऐसे मरीजों की भीड़ लगातार बढ़ रही है। इसमें बहुत ज्यादा जांच की जरूरत नहीं है। कोरोनाकाल में भी आयुर्वेद चिकित्सा को लाखों ने अपनाया था.
डॉ। अजय गुप्ता, प्रवक्ता, आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज