वाराणसी (ब्यूरो)बनारस की पहचान लंगड़ा आम, पान, सिल्क की साड़ी, गुलाबी मीनाकारी की धमक विदेशों तक पहुंच गई हैलगातार इसकी डिमांड भी बढ़ रही हैअब बनारस के ब्लाकों के नाम और उसके उत्पाद भी देश और दुनिया में जाने जाएंगेएक जिला एक उत्पाद यानी ओडीओपी की तर्ज पर अब वन ब्लाक वन प्रोडक्ट (ओबीओपी) शुरू होगाआराजीलाइन ब्लाक की सिल्क, बड़ागांव की सूत, चिरईगांव के फूल, चोलापुर की पूस की चटाई, हरहुआ की हरी सब्जी, काशी विद्यापीठ की रुद्राक्ष मोती माला, पिंडरा के सफाई उत्पाद और सेवापुरी की पहचान वर्मी कंपोस्ट होगीएक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) की तर्ज पर अब ब्लाकों के उत्पादों को भी खास पहचान मिलेगीइसके लिए एक ब्लाक एक उत्पाद योजना शुरू की गई है.

वाराणसी से शुरू हो रही योजना

पायलट प्रोजेक्ट के तहत यह योजना वाराणसी से शुरू हो रही हैअगर सफल रहा तो पूरे प्रदेश में ओबीओपी लागू किया जाएगाराष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत जिले के आठ ब्लॉकों में उनकी पहचान से संबंधित उत्पादों का चयन किया गया हैसाथ ही उत्पादों की सूची शासन को मंजूरी के लिए भेज दी गई हैओबीओपी से न सिर्फ उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि उद्यमियों और किसानों को लाभ होगाइस योजना का पूरा मॉडल ओडीओपी जैसा ही हैबनारसी पान, लंगड़ा आम, सिल्क की साड़ी, गुलाबी मीनाकारी और कांष्ठकला बनारस के ओडीओपी उत्पाद है.

ऐसे चयनित हुए उत्पाद

उत्पादों का चयन इस आधार पर किया गया है कि उस काम से कितने स्वयं सहायता समूह से जुड़े हैंइसके अलावा एक वर्ष में कितना उत्पादन हो रहा हैउदाहरण के तौर पर सिल्क उत्पाद के लिए आराजीलाइन का चयन हुआ हैइस ब्लॉक में 390 स्वयं सहायता समूह इस उत्पाद से जुड़े हैंहर वर्ष एक लाख सिल्क उत्पाद बनाए जाते हैं.

छोटे उद्यमियों को मिलेगा प्रोत्साहन

ओबीओपी योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले छोटे उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए बनाई गई हैयोजना से ग्रामीण उद्यमी बड़े उद्योगों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनेंगेइसके अलावा क्षेत्रीय उत्पादों को अलग पहचान के साथ बड़ा बाजार उपलब्ध होगायोजना के तहत संबंधित उत्पाद से जुड़े लोगों को राज्य स्तर पर पहचान मिलेगी.

रोजगार के बढ़ेेंगे अवसर

ओबीओपी का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करना हैसंबंधित ब्लॉक में उत्पाद के चयन से लोग प्रोत्साहित होंगेछोटे पैमाने पर काम करने वाले किसान भी एमएसएमई से जुड़ेंगेइससे ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका और अर्थव्यवस्था बेहतर होगीसाथ ही गांव से पलायन पर रोक लगेगी.

एक ब्लॉक में एक उत्पाद

आराजीलाइन : सिल्क उत्पाद

बड़ागांव : सूत की कताई

चिरईगांव : फूलों की खेती

चोलापुर : पूस की चटाई

हरहुआ : हरी सब्जी

काशी विद्यापीठ : रुद्राक्ष मोती माला

पिंडरा : सफाई उत्पाद

सेवापुरी : वर्मी कंपोस्ट

ओडीओपी की तर्ज पर ओबीओपी उत्पादों को बढ़ाना देने की कवायद चल रही हैवाराणसी के आठों ब्लाकों में उत्पादों का चयन कर शासन को भेज दिया गया हैजल्द ही इन पर अंतिम मुहर लगेगी.

दिलीप सोनकर, उपायुक्त, स्वत: रोजगार