वाराणसी (ब्यूरो)नई शिक्षा नीति के तहत सभी केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए वर्ष 2022 से एक परीक्षा कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) की घोषणा की जा चुकी हैइस परीक्षा को एक मील के पत्थर के रूप में देखा तो जा रहा है, लेकिन एक मंच पर सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटी आने के बाद भी छात्रों के सामने असंमजस की स्थिति बनी हुई हैनेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है कि वो केवल परीक्षा लेगी बाकी सारी बातों का निर्णय विश्वविद्यालय अपने स्तर से करेंगेअब ऐसे में विश्वविद्यालय के अलग-अलग नियम छात्रों को तनाव में डाले हुए हैंछात्रों का मानना है कि अगर विश्वविद्यालय को ही निर्णय लेना है तो सीईयूटी परीक्षा का क्या मतलब है.

दिल्ली विश्वविद्यालय हो या इलाहाबाद विश्वविद्यालय या फिर काशी हिंदू विश्वविद्यालय समेत अन्य सेंट्रल यूनिवर्सिटी सभी में सीयूईटी परीक्षा के तहत ही एडमिशन होगा, लेकिन इसके बावजूद सभी यूनिवर्सिटी ने अपना-अपना क्राइटेरिया तय कर रखा हैऐसे में छात्रों के सामने सिलेबस सेलेक्ट करने में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई हैइससे आगे की पढ़ाई करने में काफी मुश्किलें आ सकती हैंइतना ही नहीं, किसी भी विश्वविद्यालय के पोर्टल पर सही जानकारी नहीं मिलने से सिलेबस सेलेक्ट करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

पोर्टल पर नहीं मिल रही सही जानकारी

छात्रों के मुताबिक एनटीए की वेबसाइट और विश्वविद्यालय के वेबसाइट पर अलग-अलग और अधूरी जानकारी होने की वजह से काफी परेशानी महसूस हो रही हैनए कार्यक्रम के अनुसार, सीईयूटी यूजी आवेदन पत्र 6 अप्रैल से शुरू हो चुकी है और यह 6 मई तक जारी रहेगापहले दो अप्रैल से आवेदन शुरू करने की घोषणा की गई थीगौरतलब है कि पहली बार सेंट्रल यूनिवर्सिटी में प्रवेश के लिए सीईयूटी के तहत एंट्रेस एग्जाम लिया जा रहा हैइन विवि के माध्यम से समझें, कैसे बन रही असमंजस की स्थिति

केस 1

इलाहाबाद विवि के क्राइटेरिया के बारे में एनटीए के वेबसाइट पर अधूरी जानकारी

अगर कोई छात्र बीएचयू से बीए करना चाहता है तो उसे एक भाषा की परीक्षा और जनरल टेस्ट देना होगाअगर वही छात्र इलाहाबाद से बीए करना चाहता है तो उसे अपने डोमेन विषय को चुन कर टेस्ट देना होगाहालांकि, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पोर्टल और एनटीए के वेबसाइट पर परीक्षा पैटर्न को लेकर बहुत व्यापक अंतर देखने को मिल रहा हैइलाहाबाद विश्वविद्यालय के क्राइटेरिया के बारे में एनटीए के वेबसाइट पर भी आधी अधूरी जानकारी दी गयी है.

केस 2

दिल्ली विश्वविद्यालय का निर्णय बिल्कुल अलग

दिल्ली विश्वविद्यालय ने छात्रों को केवल उसी विषय से परीक्षा देने की अनुमति दी है जिसमें उन्होंने 12वीं की पढ़ाई की हैअब ऐसे में किसी पीसीएम या पीसीबी बैकग्राउंड के बच्चे को बीए करना है तो उसे फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स या बायो का देना होगाध्यान देने वाली बात यह भी है कि ऐसा नियम देश के किसी और विश्वविद्यालय के लिए नहीं हैवहीं, अगर अब कोई पीसीएम या पीसीबी बैकग्राउंड का छात्र अलग-अलग जगह से बीए के लिए अप्लाई करेगा तो उसे दिल्ली विश्वविद्यालय के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स या बायो तो बीएचयू के लिए भाषा और जनरल टेस्ट, जबकि इलाहाबाद के लिए उनके हिसाब से हिस्ट्री, पॉलिटी, जियोग्राफी इत्यादि की परीक्षा देनी होगीतो ऐसे में सवाल यह उठता है कि अब एक छात्र कितने विषय को पढ़ेगा.

केस 3

बीएचयू भी नहीं रहा अछूता

बात करें काशी हिंदू विश्वविद्यालय की तो एक मामला बीएचयू बीएससी एजी से संबंधित है, जहां बीएससी एजी में फिजिक्स को कंपलसरी कर दिया गया हैजो बच्चे इंटर में एजी की पढ़ाई करते हैं, उनके लिए केवल एलिमेंट्री फिजिक्स होती है, जबकि यहां एडवांस फिजिक्स पूछा जाएगाऐसे में कोई भी छात्र एडवांस फिजिक्स के बारे में कैसे बता पाएगा.

सीईयूटी में विश्वविद्यालय स्तर पर इतनी स्वतंत्रता दे दी गई है कि सब विवि अपने हिसाब से काम कर रहे हैंजितना फायदा अनुमानित था, वह होता दिख नहीं रहा हैअलग-अलग विश्वविद्यालय के नियम छात्रों को त्रस्त किये हुए हैंएनटीए और विश्वविद्यालयों में तालमेल की कमी भी बहुत ज्यादा हैकई विश्वविद्यालयों का सिलेबस स्पष्ट नहीं है तो कई छात्रों पर अपना सिलेबस थोप रहे हैं

-सूरज भारद्वाज, शिक्षा विशेषज्ञ

सीयूईटी परीक्षा होना छात्रों के हित में हैइसमें समझने में कोई परेशानी नहीं हैसीईयूटी की परीक्षा का जो पैटर्न बनाया गया है वो बहुत सरल हैइसमें कहीं से कोई भी असमंजस वाली स्थिति नहीं है.

  • डॉयशवंत, निदेशक, कृषि विज्ञान संस्थान, बीएचयू