बाबा काशी विश्वनाथ के जलाभिषेक को लेकर शुक्रवार को एडीसीपी काशी जोन विकास चंद्र त्रिपाठी ने यादव बंधुओं के साथ बैठक कर फंसे पेच को सुलझा लिया। पारंपरिक रूट से 11 यादव बंधु हर साल की तरह बाबा श्री विश्वनाथ का जलाभिषेक करेंगे। चन्द्रवंशी गोप सेवा समिति और कमिश्नरेट पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों ने पहले सोमवार को होने वाले पारंपरिक जलाभिषेक को लेकर बैठक की। पहले सोमवार को बाबा विश्वनाथ सहित नौ शिवालयों पर यादव बंधुओं द्वारा होने वाले जलाभिषेक को लेकर चर्चा हुई। समिति के अध्यक्ष लालजी यादव के अनुसार सहमति बनी कि प्रतीक चिन्ह पीतल के ध्वज और डमरू सहित 11 लोग परंपरा का निर्वहन करेंगे। सभी कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए भगवान शिव को जलाभिषेक करेंगे।

लालजी यादव ने बताया कि जलाभिषेक की परंपरा 1932 में अकाल के बाद शुरू हुई थी। देश में अकाल के कारण पशु-पक्षी भी जल के बिना मर रहे थे। तब बनारस के यादव समाज के भोला सरदार और चुन्नी सरदार ने बाबा भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए जलाभिषेक किया। जलाभिषेक के बाद ही जोरदार बारिश शुरू हो गई थी। तभी से जलाभिषेक की आस्था बढ़ती गई।

कोट

आगामी श्रावण मास में कोविड गाइड लाइन का पालन करने और जलाभिषेक के दौरान 11 लोगों को जाने की अनुमति दी गई है। मीटिंग में चंद्रवंशी गोप सेवा समिति यादव बंधु के सदस्य मौजूद रहे।

विकास चंद्र त्रिपाठी, एडीसीपी काशी जोन

कमिश्नरेट, वाराणसी