- 1978 में आई बाढ़ से प्रभावित एरिया में बने भवनों पर लगेगा लाल निशान

- सिंचाई विभाग को सीमांकन कर अवैध भवनों की देनी है लिस्ट

VARANASI

वरुणा नदी में आयी वर्ष क्978 की बाढ़ के पानी ने जहां तक पैर पसारा था वहां तक बने भवन के दिन पूरे हो चुके हैं। कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण ने वरुणा के डूब क्षेत्र में बने सभी भवनों को अवैध मानते हुए सीमांकन करने का फरमान जारी किया है। इसके बाद इन भवनों पर हथौड़ा चलेगा। हालांकि इस एरिया में साल ख्0क्ब् के बाद बने भवनों को ही चिह्नित कर उनके खिलाफ ध्वस्तीकरण की कार्रवाई होगी। लेकिन जिस विभाग को निर्देश दिया गया है वह समय सीमा बीतने के बाद भी अपनी रिपोर्ट तैयार नहीं कर पाया है।

अवैध हो जाएगे सैकड़ों मकान

करीब चार दशक पहले आयी बाढ़ ने सैकड़ों परिवारों की मुसीबत बढ़ा दी है। वरुणा में साल क्978 में बाढ़ का पानी जिस स्थान तक गया था वहां तक सिंचाई विभाग को नापी करनी है।

इस एरिया में साल ख्0क्ब् के बाद बने भवनों को चिह्नित कर उनके खिलाफ ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी। जो भवन कार्रवाई की जद में होंगे उनकी संख्या लगभग आठ सौ होगी। सीमांकन किये जाने के बाद इस एरिया में नये भवनों के लिए नक्शा और दाखिल खारिज पर रोक लगाई जाएगी।

अभी तक चल रहा सर्वे

वरुणा किनारे के डूब क्षेत्र में बने सैकड़ों मकान का चिन्हांकन करने की जिम्मेदारी सिंचाई विभाग को दी गयी थी। कमिश्नर ने सोमवार को रिपोर्ट मांगी थी लेकिन विभाग सर्वे पूरा नहीं कर सका है। इस सर्वे के बाद प्रभावित इलाके में निशान लगाये जाने के बाद लिस्ट वीडीए, नगर निगम और राजस्व विभाग को सौंपनी थी। लेकिन सिंचाई विभाग के अधिकारी अभी सर्वे करने में ही जुटे हुए हैं। वरुणा कॉरीडोर प्रोजेक्ट में ग्रीन बेल्ट डेवलप करने के लिए जगह न होने के कारण यह निर्णय लिया गया है। सीमांकन के बाद जितने अवैध निर्माण होंगे उन्हें हटाया जाएगा और उसी स्थान पर ग्रीन बेल्ट बनेगा।

सिंचाई विभाग की टीम सर्वे कर रही है। जल्द ही बाढ़ प्रभावित एरिया की रिपोर्ट तैयार कर अवैध निर्माण की लिस्ट संबंधित विभागों को सौंप दी जाएगी।

राजेन्द्र सिंह, चीफ इंजीनियर, सिंचाई विभाग