- पटना में नाव दुर्घटना के बाद भी सबक लेने को तैयार नहीं है प्रशासन, बगैर अनुमति के गंगा में चल रही हैं अधिकतर नावें
- क्षमता है 25 की लेकिन बैठाये जा रहे हैं 30 से 35 लोग, आई नेक्स्ट के रियलिटी चेक में सामने आया सच
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केस-1
संडे के दिन गंगा उस पार से इस पार आने वालों का सिलसिला लगातार जारी था। हर नाव में क्षमता से अधिक सवारी बैठाये गए थे। पार लगी एक छोटी कटर को हमने चेक किया तो पता चला कि नाव का कोई रजिस्ट्रेशन ही नहीं था। ऊपर से क्षमता थी 20 लोगों की और नाव पर बैठे थे 26 लोग।
केस-2
शीतला घाट से गंगा उस पार जाने वालों की जबरदस्त भीड़ रहती है। ये भीड़ रविवार को दुगनी हो जाती है। यही वजह है कि नाव वाले भी कम राउंड में ज्यादा रुपये कमाने की चाहत में जरुरत से ज्यादा सवारी लादकर उस पार जाते हैं। ऐसी ही एक नाव को हमने जाते देखा। ठसाठस भरी नाव में हर उम्र के लोग सवार थे।
ये दो केस आपको बताने के लिए काफी हैं कि पटना में गंगा में नाव डूबने से हुई 23 मौतों के बाद भी अपने यहां का प्रशासन चेतने को तैयार नहीं है। डेली हर घाट से सवारी लादकर चल रही नावों के संचालन पर प्रशासन की कोई रोकटोक नहीं है। जिसके कारण नाव वाले भी मनमाने ढंग से नावों का संचालन कर रहे हैं और सवारी भी अपने हिसाब से बैठाकर लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। इसके बाद भी इनको रोकने टोकने वाला कोई नहीं है।
इनके लिए नहीं कोई नियम
- लगभग 250 नावों का निगम में है रजिस्ट्रेशन
- जबकि चल रही हैं 1500 से ऊपर नावें
- इनमे छोटी कटर, बड़ी नावें और मोटर बोट शामिल हैं
- छोटी कटर की संख्या सबसे ज्यादा है
- नियम के मुताबिक हर नाव का रजिस्ट्रेशन नगर निगम में होना चाहिए
- इसके लिए निगम लोहे की प्लेट जारी करता है
- इस प्लेट में नाव मालिक का नाव, वोट का रजिस्ट्रेशन नंबर, बैठने वालों की क्षमता का जिक्र होता है
- इस प्लेट को हर बोट पर लगाना जरुरी है
नहीं दिखा किसी बोट पर
- आई नेक्स्ट ने आधा दर्जन नावों का चेक किया
- इसमे किसी नाव पर मानक के अनुरुप चीजें नहीं मिली
- नगर निगम के मुताबिक हर नाविक को अपनी नाव पर नगर निगम की ओर से जारी लाइसेंस नम्बर लिखना है
- नाव की क्षमता का भी उल्लेख होना चाहिए
- हर नाव में लाइफ जैकेट समेत अन्य सुरक्षा उपकरण का होना अनिवार्य है
- नाव को जिस घाट से संचालित होने का परमिशन मिला है वहीं से चलनी चाहिए
पहले भी हो चुके हैं बड़े हादसे
- बनारस में बड़े नाव हादसे हो चुके हैं
- छह अगस्त 2014 को रोहनिया शूलटंकेश्वर मंदिर के पास नाव डूबी थी
- इसमे 20 लोगों की डूबने से मौत हुई थी
- 2009 में गंगा महोत्सव के दौरान पतंगबाजी कर लौटते वक्त नाव डूबने से सात लोगों की मौत हुई थी
- 2005 में भी सामनेघाट पर नाव डूबने से आधा दर्जन लोगों की जान गई थी
नावों के संचालन को लेकर सख्त नियम हैं और जो लोग इसका उल्लंघन कर रहे हैं उनकी लिस्ट बनायी जा रही है। इसलिए जरुरी है कि नाव पर बैठने वाले भी थोड़ा सजग रहें और ओवरलोड नावों पर न बैठें ताकि किसी अनहोनी से बचा जा सके।
हरि प्रताप शाही, नगर आयुक्त