वाराणसी (ब्यूरो)दुनियाभर में अपनी धाक जमाने के बाद जम्मू-कश्मीर की पश्मीना ने बनारस को टच किया हैबनारस से डायरेक्ट फ्लाइट कश्मीर के लिए हाल ही में शुरू हुईबनारस और जम्मू-कश्मीर के बीच एयर कनेक्टिविटी के बाद अब आर्थिक और कल्चरल कनेक्टिविटी पर जोर दिया जा रहा हैजरी, जरदोजी, गुलाबी मीनाकारी के बाद बनारस के हजारों हुनरमंद बुनकर लेह की पश्मीना से शॉल, दुपट्टïे अन्य पश्मीना उत्पाद तैयार करेंगेइतना ही बनारसी साड़ी इंडस्ट्री भी बनारसी साड़ी में पश्मीना से किनारा बनाने का विचार कर रही हैवजन में हल्की, सीरत में गर्म और स्मूथ टच को चटख रंग की बनारसी साड़ी में मिक्स कर अट्रैक्टिव प्रोडक्ट तैयार किया जा सकता हैबहरहाल, पहली बार पीएम मोदी की कोशिशों के चलते पश्मीना को जम्मू-कश्मीर से बाहर लाया गया हैइसकी ब्रांड वैल्यू बरकरार रखेने के लिए प्यूरिटी पर जोर देना होगा

पश्मीना को लेकर बुनकरों में उत्साह

बनारसी साड़ी, ट्वॉय इंडस्ट्री और गुलाबी मीनाकारी में अपनी प्रतिभा को लोहा मनावा चुके बुनकर भी नए प्रयोग को लेकर उत्साहित हैबनारस में पश्मीना को बनारसी पश्मीना के नाम से जाना जाएगाशुक्रवार से देश में पहली बार बनारस में पश्मीना उत्पादों की बुनाई और कढ़ाई शुरू की गईअभी तक पश्मीना उत्पाद केवल जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में ही बनते थेअब बनारसी हुनरबाज भी अपनी किस्मत आजमाने को रोमांचित हैैं.

पहली बार कश्मीर से बाहर पश्मीना

पश्मीना ब्रांड के इतिहास में यह पहली बार है कि पश्मीना को बनारस लाया जा रहा हैइससे जहां, कश्मीर, लेह-लद्दाख के पश्मीना को एक बाजार मिलेगावहीं, कच्चा माल मिलने और बाजार की गारंटी पर रोजगार भी मिलेगा

पश्मीना की विशेषता

पश्मीना ऊन लेह-लद्दाख में पाई जाने वाली एक विशेष प्रकार की भेड़ के बालों से बनती हैयह भेड़ माइनस टेंपरेचर में भी इस इलाके में रहती हैइसके बाल से बने ऊन की खासियत होती है कि यह कड़ाके की सर्दी में भी न केवल शरीर को गर्म रखती है, बल्कि वजन में भी बेहद हल्की होती हैभारत सरकार के एक अफसर ने बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्लान के तहत बनारस में पश्मीना को लांच किया जा रहा हैयहां पश्मीना उत्पाद तैयार करने के लिए उन्नत तकनीक और स्किल्ड बुनकर हैैंपीएम को मोटो है कि हुनर एक जगह तक सीमित ना रह पाए उसका विस्तार होना चाहिएइसी सोच के तहत पश्मीना के उत्पादों का निर्माण बनारस और उसके आसपास के क्षेत्र में किया गयापश्मीना ऊन की कटाई लेह लद्दाख के कतीनो की जाएगीयहां कच्चा माल बनारस आएगा और बनारसी बुनाई करेंगे

बुनकरों की ज्यादा होगी कमाई

बनारस में जब बड़े पैमाने पर पश्मीना उत्पादों के बनाने का सिलसिला शुरू होगा तो इसका लाभ बुनकरों को भी मिलेगापश्मीना उत्पादों की बुनाई से जुड़ी एक संस्था चलाने वाले जय प्रकाश श्रीवास्तव बताते हैं कि फिलहाल 4 संस्थाओं से जुड़े हुए बुनकर अभी पश्मीना उत्पादों की बुनाई कर रहे हैंआने वाले दिनों में इससे और भी बुनकरों को जोड़ा जाएगा

बनारसी साड़ी की वेरायटी में पश्मीना

ब्रोकेड, जरदोजी, जरी मेटल, गुलाबी, मीनाकारी, कुंदनकारी, च्वेलरी और रियल जड़ी और प्रयोग सफल रहा तो पश्मीना भी

बनारस साड़ी इंडस्ट्री और हुनरमंद बुनकरों के लिए अच्छी खबर हैहाल के वर्षो में बनारसी साड़ी इंडस्ट्री पर बुरा असर पड़ा हैपश्मीना के आने के बाद से शायद कुछ हालात बदले

-अतीक अंसारी, बनारस वीवर्स एसोसिएशन

कोविड और अब रूस-यूक्रेन वार के बाद से बनारसी साड़ी चमक थोड़ी फीकी हो गई थीलेनिक, पश्मीना धागे में बनारस के बुनकरों को काम मिलना अच्छी बात हैअब सभी को काम मिलेगा तो तंगहाली भी दूर होगी

-मोहम्मद नशीम, हथकरघा बुनकर

कई सालों से बुनाई से जुड़े काम कम हो गए हैैंसरकार और विभाग की अच्छी पहल हैशॉल, साड़ी व अन्य उत्पादों को बुनने हम लोग चुकेंगे नहींजम्मू-कश्मीर की अपेक्षा बनारस की तकनीक उन्नत हैहम बेहतर करेंगे.

-यासिर आराफात, बुनकर

फैशन और बाजार के दौर में कश्मीर से निकलकर पश्मीना का बनारस आना ही सुखद हैयहां की टेक्नॉलॉजी बेहतर है और स्किल्ड बुनकर हैैंबनारसी साड़ी के किनारा में, शॉल, दुपट्टïे समेत अन्य उत्पादों में नया प्रयोग सक्सेज हो सकता हैसरकार द्वारा निर्देश मिलने पर विभागीय स्तर से बनारस में पश्मीना के नए प्रयोग को आजमाया जाएगा.

-संदीप ठुबरीकर, उपनिदेशक, बुनकर सेवा केंद्र

वाराणसी में पश्मीना के उत्पादन का मुख्य उद्देश्य रोजगार का सृजन है और साथ ही वाराणसी के बुनकरों की उत्कृष्ट कला में और विविधता लाना है

- विनय सक्सेना, अध्यक्ष, खादी और ग्रामोद्योग आयोग, भारत सरकार