वाराणसी (ब्यूरो)देश के विभिन्न हिस्सों में रामलीला के माध्यम से मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के चरित्र को रंगमंच पर उतारने की परंपरा काफी प्राचीन हैभगवान शिव की नगरी में रामलीला करीब 500 वर्षों काल से चली आ रही हैयहां होने वाली रामलीलाओं का अपना-अपना अंदाज हैकोई नए परिवेश के अनुसार तो कोई पुरानी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए रामलीला का मंचन कर रहा है

सबका अपना अंदाज

विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला के साथ शहर के अन्य समितियों की ओर से रामलीला की शुरुआत हो गई हैअपने-अपने अंदाज में यह समितियों मंचन करवा रही हैजहां की रामलीला में चौपाई, दोहे, छंद के साथ-साथ हिंदी व भोजपुरी भाषा का मिश्रण व अलग-अलग विविधता भी देखने को मिलेगीभले ही शहर में दर्जनों रामलीला समितियों की ओर से हर वर्ष करीब एक माह तक रामलीला का मंचन किया जाता हैलेकिन अब इस लीला में वो बात देखने को नहीं मिल रही जो, पहले हुआ करता थी

पहले 30 अब तीन दिन

एक दौर था जब सड़क-चौराहों पर भगवान राम के लीला का मंचन होता था तो उसे देखने के लिए लोगों का हुजूम लग जाता थाइस लीला को देखने के लिए बच्चे रात में सोते नहीं थेमगर अब वो सब कुछ देखने को नहीं मिल रहाआधुनिकता के इस युग में मोबाइल और रील के चलते इसके दर्शक सिमट रहे हैंरामलीला कमेटियां भी आयोजन को छोटा करती जा रही हैजो लीला एक माह तक चलती थी, उसे कुछ जगहों पर 15 से 20 दिन तक का कर दिया गया हैकुछ समितियां तो सादगी भरे अंदाज में दो से तीन दिन रामलीला कर बस कोरम पूरा कर रही हैबेहद प्राचीन रामलीला में से एक लक्सा चौराहे पर होने वाली रामलीला का हाल ऐसा ही हैपुराने लोगों के न रहने के बाद पिछले कुछ साल से यहां की रामलीला लुप्त सी हो गई है

400 साल से पुरानी लीला

शहर में पांच रामलीलाएं ऐसी हैं जो 450 साल से अधिक पुरानी हैंयहां लीला की शुरुआत श्रीराम के वनगमन से होती हैसबसे पुरानी रामलीला श्रीचित्रकूट रामलीला समिति है, जो करीब 480 वर्ष से हैइसके अलावा करीब 475 साल पुरानी प्राचीन श्रीराम लीला कमेटी औरंगाबाद तो वहीं मौनी बाबा की रामलीला, लाट भैरव की रामलीला और अस्सी की रामलीला का इतिहास 400 वर्षों से अधिक पुराना हैसंत तुलसीदास के मित्र मेघा भगत ने संवत 1600 में श्रीचित्रकूट रामलीला समिति की स्थापना की थीलगभग उसी समय संत तुलसी दास ने अस्सी क्षेत्र में रामलीला की शुरुआत कीरामलीलाएं शुरू कराने के पीछे तुलसी दास का उद्देश्य लोगों में यह भाव भरना था कि जिस तरह से राम के युग में रावण का अंत हुआ, उसी तरह अत्याचारी मुगल शासन का भी अंत होगा

प्रमुख पांच लीलाएं

जानकारों की माने तो उक्त प्रमुख लीलाएं ही तीन सौ वर्षों तक चलती रहींइसके बाद चेतगंज, दारानगर, जैतपुरा, काशीपुरा, मणिकर्णिका, लक्सा, सोहर कुआं, खोजवां, पांडेपुर क्षेत्र में रामलीलाओं का क्रमिक विकास हुआइन रामलीलाओं को शुरू करने के पीछे ब्रिटिश शासन के खिलाफ जनमानस को एकजुट करना थाइसके अलावा ग्रामीण इलाकों में जाल्हूपुर, लोहता, चिरईगांव और कोरोता में रामलीलाएं शुरू की गई.

21 दिन घर नहीं जाते

श्रीचित्रकूट रामलीला समिति के पंच स्वरूप पूरी लीला के दौरान अपने घर नहीं जातेराम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और सीता की भूमिका निभाने वाले किशोर लीला स्थल पर ही आराम करते हैंरामलीला का क्रम 21 दिनों तक चलता है

8 जगह होती रामलीला

श्रीचित्रकूट रामलीला समिति की रामलीला शहर में 8 स्थानों पर होती हैसमिति के मोहन कृष्ण की माने तो लीला स्थलों का चयन स्वयं मेधा भगत ने किया थाउस समय काशी में वनक्षेत्र अधिक थेतुलसी दास जी हनुमान फाटक पर रहते थे, इसलिए उनके घर के आसपास के इलाकों में लीला स्थल बनाए गएबड़ा गणेश में अयोध्या, ईश्वरगंगी कुंड में सुरसरि नदी, लोटादास टीला के पास भारद्वाज आश्रम, नई बस्ती में वाल्मीकि आश्रम, धूपचंडी चौराहा चित्रकूट, पिशाचमोचन दंडकारण्य, चौकाघाट मैदान लंका और धूपचंडी मैदान भरत मिलाप स्थल के रूप में चिह्नित हैवहीं प्राचीन श्रीराम लीला कमेटी की ओर से एक माह तक चलने वाली रामलीला पांच स्थानों पर होती हैइसमें औरंगाबाद स्थित कमलापति त्रिपाठी के घर के सामने, मरी माता मंदिर के पास, सोनिया पुलिस चौकी के पास, साजन सिनेमा के सामने, महमूरगंज स्थित क्रिस्चन कॉलोनी के पास का स्थान चिह्नित है

इस तरह की होगी लीला

प्राचीन श्री रामलीला कमेटी की ओर से एक माह तक होने वाली रामलीला में 9 अक्टूबर को धनुष यज्ञ, 10 को रामबारात, 18 नक्कटैया, 26 को भरत मिलाप, 28 को राज्य तिलक और एक नवंबर को पूर्णाहुति भण्डारा, मूर्ति पात्र विदाई के साथ रामलीला का समापन होगा

हर साल की तरह इस बार भी मुकुट पूजन के साथ एक अक्टूबर से रामलीला की शुरुआत हो चुकी है, जो एक नवंबर तक चलेगीयह एक परंपरा है, जिसमें बहुत ज्यादा बदलाव नहीं किया जा सकताहां राम बारात को थोड़ा भव्य करने का प्रयास किया गया है.

प्रकाशपति त्रिपाठी, अध्यक्ष, प्राचीन श्री रामलीला कमेटी