वाराणसी (ब्यूरो)भारतीय शास्त्र परंपरा के अनुसार हर व्यक्ति पितृ पक्ष में चाहता है कि वह श्राद्ध कर्म को करते हुए अपने पितरों की आत्मा को मुक्ति मिलेइसके लिए लोग इस माह में पुरोहितों और पंडों के आज्ञानुसार पिंडदान और श्राद्ध कर्म करते हंैपिछले दो सालों से कोरोना की विभीषका के कारण बनारस के पिशाचमोचन में लोगों का आना जाना कम हो गया थासाथ ही श्राद्ध कर्म भी नहीं हो रहा थाकोरोना के प्रकोप के समाप्त होने के बाद इस साल बनारस के पिशाचमोचन में पूरे भारत से हजारों की संख्या में लोगों का आना-जाना शुरू हो गया हैइस कारण पिशाचमोचन पर पूरी तरीके से मेला लग गया है.

शास्त्र में ऐसी है मान्यता

बनारस के पिशाचमोचन के बारे में गरूड़ पुराण, स्कंद पुराण, शिवमहापुराण, काशी खंड आदि ग्रथों में वर्णित है कि यहां पर जिसकी मौत होती है उसे सीधे भगवान शंकर मोक्ष देते हंैवहीं जिन लोगों की काशी के बाहर मौत होती है या अकाल मृत्यु होती है, उनके लिए पिशाचमोचन पर श्राद्ध करवाने से उनकी आत्मा को मुक्ति मिल जाती हैइसलिए काशी के पिशाचमोचन पर लोग श्राद्ध कर्म के बाद इसी कुंड में स्नान भी करते हैं.

हजारों की संख्या में पहुंचे लोग

पिशाचमोचन पर पितृपक्ष को लेकर हजारों की संख्या में लोग पहुंच गएइतनी ज्यादा भीड़ को देखते हुए रास्ते पूरी तरीके से जाम हो गएसुरक्षा के लिहाज से पुलिस के जवानों की ड्यू़टी लगाई गईइतना ही नहीं यजमानों की भीड़ को देखते हुए पुरोहितों में जबरदस्त उत्साह भी देखने को मिल रहा थालोग अपने-अपने पुरोहितों के साथ श्राद्ध कर्म के लिए बैठ कर शांति पूर्वक पूजा पाठ कर रहे थे.

बाजार हो गए गुलजार

कोरोना काल के बाद लोगों के पहुंचने के कारण पिशाचमोचन के आसपास के बाजार पूरे दिन गुलजार रहेलोगों के द्वारा श्राद्ध कर्म में लगने वाले पूजा पाठ और प्रसाद की सामग्री जबरदस्त तरीके से खरीदी जा रही थीदुकानदारों का कहना था कि दो साल के बाद ऐसा मौका आया है जिसके कारण बाजार गुलजार हो पाया है.

कोरोना काल के बाद इस साल भक्तों की आवक पहले ही दिन काफी अच्छी रही हैहम लोगों के द्वारा भक्तों के सहयोग के लिए पूरा प्रयास किया जा रहा है.

अमरेन्द्र उपाध्याय, आचार्य, पिशाचमोचन

कोरोना काल के बाद भक्तों की भीड़ को मैनेज करने के लिए प्रशासन से भी मदद ली गई हैमंदिर प्रशासन की भी तरफ से पूरी व्यवस्था जारी है.

प्रदीप पांडेय, तीर्थ पुरोहित, मंदिर प्रशासन