पांच अक्टूबर को हो रहा समाप्त
पितृपक्ष के दौरान दान का विशेष महत्व है। इस बारे में ज्योतिषी विमल जैन कहते हैं कि पितृपक्ष पितरों को तृप्त करने का मंथ है। इस दौरान हर घर में पितरों के नाम पर ब्राह्मण को भोजन कराने से लेकर अपने पितरों की पसंदीदा चीजों को दान करने की परंपरा का पालन किया जाता है। विमल जैन के मुताबिक 19 सितम्बर को जहां पूर्णिमा तिथि का श्राद्ध होगा, वहीं पांच अक्टूबर को पितृपक्ष का समापन होगा। उन्होंने बताया कि पितृपक्ष में जो लोग दान करने में सक्षम नहीं होते हैं, वे पितृपक्ष के दौरान डेली सुबह स्नान कर तिलयुक्त जल को सूर्य और दिग्पालों को अर्पित करें। उधर पंडित कृपाशंकर द्विवेदी कहते हैं कि पितरों तक उनके हिस्से का भोजन पहुंचाने का सबसे उत्तम तरीका है दान। ये दान किसी भी रूप में हो सकता है। ब्राह्मण, भूखे या फिर गाय से लेकर कुत्ते-कौए को भी खिलाया जा सकता है।