-यूपी एसटीएफ ने सारनाथ से किया अरेस्ट, छोटा राजन के लिए करता था काम, 1990 में घर में घुसकर मारा था दाऊद के खास को

- बनारस में काट रहा था फरारी, मुम्बई पुलिस ले गई साथ

VARANASI

जिस डॉन को 11 मुल्कों की पुलिस अब तक नहीं पकड़ सकी। जिसके बारे में अब तक ये नहीं पता कि वो है कहां? उसी डॉन के गुर्गे को 25 साल पहले उसी के गढ़ मुंबई में मौत के घाट उतारने वाले फरार आरोपी उदयभान सिंह को स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने सोमवार की सुबह सथवां, सारनाथ में अरेस्ट कर लिया। उसके पास से एक मोबाइल फोन, सिम कार्ड व बाइक बरामद हुई है। हत्या के इस मामले की फाइल बंद कर दी गई थी लेकिन छोटा राजन के पकड़े जाने के बाद जब पुराने मामले फिर से खुले तो फरारी काट रहा उदयभान एसटीएफ के हत्थे चढ़ गया।

15 लाख की सुपारी पर की थी हत्या

मुंबई के एक फेमस एवं तत्कालीन जनप्रतिनिधि के निकट संबंधी पिण्टया भगत की हत्या दाऊद इब्राहिम के शूटर काले महमूद ने की थी। मृतक का संबंध साटम गिरोह से होने के कारण इस गिरोह ने बदला लेने की नीयत से 16 मार्च 1990 को मुंबई के बालू व्यवसायी बालाराम मात्रे की हत्या रबाले थाना एरिया के नवी मुंबई में स्थित उसके घर में दिनदहाड़े घुसकर कर दी थी। इस वारदात के नवी मुम्बई में हत्या का केस दर्ज किया गया और विवेचना के दौरान मुम्बई के सुरेश मचेकर, वाराणसी के अनिल चौबे उर्फ विजय सिंह व उदयभान सिंह गुरु साटम गिरोह के शूटर और हत्यारे के रूप में चिन्हित हुए। जांच में पता चला कि 15 लाख की सुपारी लेकर बालाराम मात्रे की हत्या की गई थी।

एक मारा गया पहले

इस हत्या में नामजद सुरेश मचेकर पहले ही मुंबई पुलिस के हाथों मुठभेड़ में मारा जा चुका है। जबकि अनिल चौबे उर्फ विजय सिंह को भी मुंबई अरेस्ट कर चुकी है। वांछित अभियुक्त उदयभान की गिरफ्तारी के लिए मुंबई पुलिस के सीनियर ऑफिसर्स ने यूपी एसटीएफ के एसएसपी से सहयोग मांगा था। इस पर एसएसपी ने इस संबंध में फील्ड इकाई, वाराणसी को कार्रवाई के लिए निर्देश दिया। एसटीएफ ने इसके बाद पड़ताल शुरू की तो उदयभान के वाराणसी, भदोही व जौनपुर क्षेत्र में होने की लोकेशन मिली। इससे मुंबई पुलिस को अवगत कराया गया। जिस पर ठाणे सिटी की क्राइम ब्रांच की एक टीम वाराणसी पहुंची और टीम ने बनारस में उदयभान को दबोच लिया।

------------- अंदर के लिए

सफेदपोश बनकर देता रहा सभी को धोखा

-गिरफ्तार उदयभान लंबे समय तक रहा ग्राम प्रधान और फिर जिला पंचायत सदस्य भी

- कई नेताओं से उसके सम्बन्ध होने की बात आई सामने, मुम्बई पुलिस ने दो दिनों की रिमांड पर लिया

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एसटीएफ के हत्थे चढ़ा उदयभान भले ही हत्या मामले में आरोपी होने के बाद कई सालों से पुलिस को धोखा देकर बनारस में हुलिया बदलकर रह रहा था लेकिन उसने यहां क्राइम से दूरी बना ली थी और राजनीति में सक्रिय हो गया था। एसटीएफ के मुताबिक पकड़ा गया आरोपी ग्राम प्रधान के साथ जिला पंचायत सदस्य भी रहा है और लंबे समय तक उसकी राजनीति में सक्रियता उसे कई बड़े नेताओं के करीब भी ले गई। पुलिस इसकी भी पड़ताल कर रही है। वहीं मुम्बई पुलिस सोमवार की देर शाम उदयभान को लेकर मुम्बई रवाना हो गई।

बचपन बीता मुम्बई में

उदयभान सिंह वर्ष ख्000-ख्00भ् तक ग्राम प्रधान व ख्0क्0-ख्0क्भ् तक जिला पंचायत सदस्य रहा। पूछताछ में उसने बताया कि वह बचपन से मुम्बई में रहता था और वहां कपड़े की एक मिल में काम करता था जहां उसका संपर्क गुरु साटम गिरोह से हुआ और अपराध की दुनिया में कूद पड़ा। एसटीएफ के मुताबिक मारपीट की हुई घटना में जेल जाने के बाद से ही वह गुरू साटम गैंग के लोगों के साथ जुड़ गया था। वर्ष क्990 में ही मुंबई के भुईवाड़ा थाना एरिया में गुरु साटम गैंग के इशारे पर अपने ही मिल के एक कर्मचारी की हत्या कर दी थी, जिसके बाद वह आर्थर जेल में क्7 माह तक बंद रहा। इसके बाद वह मुंबई के कई प्रभावशाली व्यक्तियों को धमकी देकर रंगदारी वसूलने लगा।

कोर्ट ने दी ले जाने की इजाजत

आरोपी उदयभान सिंह को मुंबई ले जाने के लिए सीजेएम संदीप गुप्ता की अदालत में पेश किया गया। मुंबई पुलिस ने उसे ले जाने की इजाजत मांगी। अदालत ने उसकी मंजूरी देते हुए अगले ब्8 घंटे में मुंबई की कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया। उदय भान सिंह के खिलाफ वाराणसी के फूलपुर थाने व महाराष्ट्र में दर्जन भर मामले दर्ज हैं।

ऐसे हो रहा था गिरोह आपरेट

- मुंबई में क्980-क्990 के दशक में गुरु साटम गिरोह अत्यंत सक्रिय था।

- गिरोह भाड़े पर हत्या, तस्करी, रंगदारी व अन्य आपराधिक गतिविधियों में लिप्त था।

- इसी दौरान दाउद इब्राहिम व छोटा राजन गैंग की सक्रियता बढ़ने लगी।

- जिससे गैंगवार की स्थिति क्रिएट हो गई।

- वर्ष क्99फ् में मुम्बई में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के बाद छोटा राजन दाऊद इब्राहिम से अलग हो गया।

- उसनें गुरु साटम गिरोह के साथ जुड़कर काम करना शुरू कर दिया।

- कुछ समय बाद छोटा राजन का गुरु साटम गिरोह से भी मतभेद हो गया।

- ऐसा माना जाता है कि बैंकाक में छोटा राजन पर हुए हमले में भी गुरु साटम ने अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग किया था।

- गैंगवार की इस स्थिति में वर्चस्व के लिए आपसी प्रतिद्वंद्विता इतनी बढ़ गई थी कि दोनों गिरोह एक-दूसरे से जुड़े लोगों की हत्या करने लगे।