- एसटीएफ के हत्थे चढ़े आठ आरोपियों के पास से बरामद एक ब्लैक इंडीवर निकली सपा के घोषित प्रत्याशी की

- एक अन्य कार पर लगा था भाजपा का झंडा, एसटीएफ जुटी जांच में

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सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद रविवार को आयोजित नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेस टेस्ट (नीट) का पर्चा लीक करने की कोशिश में पकड़े गए गैंग को राजनैतिक संरक्षण मिला था। मामले का खुलासा होने के बाद एसटीएफ से लेकर थाने तक दबाव डाल कर इसे रफा-दफा करने का प्रयास भी किया गया। पुलिस सूत्रों के मुताबिक गिरोह के स्थानीय कर्ताधर्ता के पास मिली इंडीवर गाड़ी सपा के एक घोषित प्रत्याशी की है। अपनी कार के जब्त होने की जानकारी मिलने पर उनके हाथ-पांव फूल गए। जब तक पैरवी होती थाने में दाखिला हो चुका था। अब प्रयास किया जा रहा है कि किसी तरह से इसे मैनेज किया जाए। दूसरी तरफ एक अन्य कार पर भाजपा का झंडा लगा था। खुद को पार्टी से जुड़ा होने का दावा करने वाला पूर्व प्रधान इसे इस्तेमाल करता था।

एसटीएफ ने नीट का पर्चा लीक होने से पहले ही छापेमारी कर आठ लोगों को गिरफ्तार किया था जिसमें एक परीक्षार्थी युवती भी शामिल थी। इलेक्ट्रॅानिक्स डिवाइस मिलने के बाद सभी को थाने ले जाकर पूछताछ शुरू की गई। थाने में दाखिले की लिखापढ़ी होने के बाद एसटीएफ से पुलिस के पास पैरवी आने लगी। जो ब्लैक इंडीवर आरोपियों के पास से मिली थी उसे छुड़ाने के लिए सपाईयों के फोन थानेदार के पास पहुंचने लगे। आला अधिकारी पीएम के कार्यक्रम में व्यस्त थे। इसलिए प्रयास हुआ कि नीचे लेवल पर ही मैनेज कर लिया जाये। पहले तो बचाव के पैतरे अपनाए लेकिन बाद में स्वीकार करना पड़ा कि कार एक सपा प्रत्याशी के नाम से ही रजिस्टर्ड है। सफाई दी गई कि कार को बेचा जा चुका था लेकिन इसकी लिखा पढ़ी नहीं हुई थी। मामला थाने की जीडी में चढ़ चुकने का वास्ता देते हुए पुलिस ने पल्ला झाड़ लिया।

मेडिकल प्रीपरेशन के नाम पर चल रहा था कारोबार

एसटीएफ की छापेमारी में गिरफ्तार राजीव श्रीवास्तव ने मलदहिया पर अपना आलीशान ऑफिस बना रखा था। ऊपरी तौर पर मेडिकल और इंजीनियरिंग में मैनेजमेंट कोटे से स्थान दिलाने का दिखावा किया जाता था लेकिन वास्तविकता थी कि पर्चा आउट करने वाले गिरोह का स्थानीय काम यहीं से होता था। राजीव ने अपनी लाइफ स्टाइल इतनी हाई-फाई बना रखी थी कि किसी को आभास तक नहीं लगा कि वह इस गोरखधंधे में शामिल है।

अंडरगारमेंट में छिपी थी डिवाइस

पर्चा लीक करने के मामले में गिरफ्तार प्रियंका ठाकुर ने इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस को अंडरगारमेंट में इस तरह छिपाया था कि किसी को आभास नहीं हो सकता था। इसे बाकायदा सिलवा लिया गया था। इसके अलावा कान में लगाया हेडफोन बेहद छोटा था और इसका रंग त्वचा से मिलता-जुलता था जिससे शक होने का सवाल नहीं था। महिला पुलिस तक पहली बार में कुछ नहीं तलाश सकी लेकिन अंडरगारमेंट की बारीकी से तलाशी के बाद पूरा मामला खुला।

अब कई स्कूलों पर भी एसटीएफ की नजर

शुरुआती जांच में पता चला है कि पर्चा लीक करने वाले गिरोह के कई स्कूल के संचालकों से करीबी संबंध थे। प्रो एक्टिव पुलिसिंग के तहत लीक होने से पहले गिरफ्तारी करनी थी अन्यथा इन लोगों को भी रंगे हाथ दबोच लिया जाता। गोपनीय ढंग से एसटीएफ ने कई स्कूलों पर भी नजरें गड़ा दी हैं।