वाराणसी (ब्यूरो)बनारस के अस्सी घाट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान की शुरुआत की थी, लेकिन यह अभियान उनके संसदीय क्षेत्र में ही दम तोड़ रही हैअस्सी और दशाश्वमेध घाट पर जिस प्रकार से वायु प्रदूषित मिली, वो चिंताजनक स्थिति को अपने आप में बयां कर रही हैहालांकि बनारस में विकास के कार्यों का सिलसिला लगातार जारी है, लेकिन इस विकास की आंधी ने शहर की पूरी आबोहवा को बिगाड़ कर रख दिया हैबता दें कि बनारस में राष्ट्रीय कार्ययोजना को सफल बनाने के लिए जिला प्रशासन और नगर निगम की देखरेख में एक कमेटी का गठन किया गया था, लेकिन कमेटी में शामिल किए गए संस्थाओं को कभी भी शहर की आबोहवा की चिंता करते नहीं देखा गयाइतना ही नहीं, प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए नगर निगम को दो किश्तों में 73 करोड़ की राशि तक आंवटित की गई, लेकिन इस राशि का उपयोग किन-किन मदों मे किया गया है, इसकी कोई जानकारी निगम के पास है ही नहींऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर इन राशि का उपयोग किस स्तर पर किया जा रहा है.

कमेटी ने नहीं किया अपना काम

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्ययोजना को सफल बनाने का जिम्मा जिलाधिकारी और नगर आयुक्त को सौंपा गयाइनके नेतृत्व में जिलास्तर पर एक कमेटी बनाई गई, जिसे जिले में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सुझाव देना थाइस कमेटी में स्थानीय एक्सपर्ट, संस्थाएं आदि को शामिल किया गयाकमेटी को नियमित बैठकों के साथ-साथ प्रदूषण से बचाव के सुझाव भी साझा करने थे, लेकिन अब तक कमेटी की ओर से बढ़ते प्रदूषण पर समाधान और सुझावों को सार्वजनिक नहीं किया गयागौरतलब है कि कमेटी को बने हुए एक साल से अधिक का समय बीत चुका है.

18 जिले हुए थे चिह्नित

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्ययोजना केंद्र सरकार का एक कार्यक्रम हैइसके अंतर्गत वाराणसी समेत प्रदेश के कुल 18 जिले चिह्नित किए गए हैं, जहां वर्ष 2024 तक वायु प्रदूषण को 35 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखा गया है। 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए इस मद में उत्तर प्रदेश को वर्ष 2020-2021 में 357 करोड़ रुपए की पहली किस्त जारी की गई थी, जिसे प्रदेश के 7 जिलों में खर्च करना थावाराणसी को इस मद में 36 करोड़ 50 लाख रुपए मिलेवर्ष 2021-2022 के केंद्रीय बजट में पुन: किस्त जारी किया गया, जिसका अर्थ यह हुआ कि दो वर्षों में जिला प्रशासन के पास कुल 73 करोड़ रुपए आए, जिससे प्रदूषण को कम किया जाना अपेक्षित थायह समझ के बाहर की बात है कि अगर इतनी बड़ी रकम सिर्फ एक जिले में खर्च करने को मिले तो आखिर वाराणसी की हवा साफ होने के बजाय गर्मियों में भी इतनी अधिक प्रदूषित कैसे हो गई, जिसका निगम प्रशासन के पास कोई जवाब नहीं है

सेंसर के आंकड़े नहीं हुए जारी

शहर के प्रदूषण का कारण जानने एवं जरूरी समाधान अपनाने के लिए शहर के प्रमुख 15 चौराहों पर वायु गुणवत्ता मापक सेंसर लगाए गएइन सभी सेंसर को नगर निगम के नेतृत्व में चल रहे कमांड सेंटर की ओर से संचालित किया जाता हैइन सेंसरों का एक उपयोग यह भी करना था कि आम लोगों को वायु गुणवत्ता संबंधित स्वास्थ्य एडवायजरी जारी की जानी थी, जो राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के अंतर्गत एक प्रमुख काम हैस्वास्थ्य एडवायजरी और प्रदूषण के समाधान अपनाने की बात तो दूर, आज तक उन चौराहों पर सेंसरों से मिलने वाले आंकड़े भी सार्वजनिक नहीं किए गए.

16 विभागों को जिम्मा, उठे सवाल

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के अंतर्गत 16 विभागों को नगर निगम के संयोजन में प्रदूषण को कम करने का जिम्मा सौंपा गया है, लेकिन अब इन विभागों पर कई सवाल उठने लगे हैं.

1. डीएम व नगर आयुक्त ने 16 विभागों को क्या जिम्मेदारी सौंपीबैठकों के रिपोर्ट अब तक क्यों नहीं जारी किए?

2. क्या अब तक विभागों से किसी प्रकार की कार्रवाई की कोई रिपोर्ट जारी की गई?

3. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास क्या शहर के प्रदूषण के कारकों की कोई लिस्ट है?

4. क्या यह लिस्ट किसी शोध पर आधारित है?

5. राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने शहर में बढ़ते प्रदूषण के कारकों को चिह्नित किया है या नहीं, इसकी रिपोर्ट साझा क्यों नहीं की गई?

सवालों के जवाब देने से बचते रहे नगर आयुक्त

शहर में बढ़ते प्रदूषण के मामले में कुछ सवालों के जवाब नगर आयुक्त प्रणय सिंह से मांगे गएबार-बार फोन करने के बाद भी नगर आयुक्त सवालों के जवाब देने से बचते रहेइसके बावजूद नगर आयुक्त की ओर से पूछे गए सवालों का कोई जवाब नहीं आयाइस दौरान उनके कर्मचारियों की ओर से लगातार व्यस्त होने की बात कही गई.

वर्जन

बनारस पीएम नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र हैयहीं से राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान की शुरुआत हुई थीइसके बावजूद यहां हवा में प्रदूषण चिंताजनक हैशहर को इतनी बड़ी राशि भी मिली, लेकिन उस राशि से कितना प्रतिशत काम किया गया, ये आज तक सार्वजनिक नहीं किया गया.

- एकता शेखर, पर्यावरण एक्टिविस्ट