-कैंट स्टेशन स्थित रेलवे कॉलोनी में दूषित पानी की हो रही सप्लाई
-बिना क्लोरीनाइज्ड टैंक के पानी में मिल रहे कीड़े
-कर्मचारी व फेमिली मेंबर मंगा रहे बॉटल का पानी
VARANASI
देश की लाइफ लाइन के खेवनहार की जिंदगी खुद खतरे में है। प्राइम मिनिस्टर नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी स्मार्ट सिटी बनने की दौड़ में भले शामिल हो, लेकिन संसदीय क्षेत्र में स्थित रेलवे कॉलोनियों में रहने वाले कर्मचारी नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। पानीदार शहर में स्थित इन कॉलोनीज में कर्मचारी व उनके फेमिली मेंबर्स को पीने का साफ पानी तक नसीब नहीं है। शायद ही कोई क्वार्टर होगा जिसमें रहने वाले पानी खरीदकर न पीते हों। बावजूद इसके ऑफिसर्स व सिस्टम कान में तेल डाले पड़ा हुआ है।
टैप से गिर रहे कीड़े
कॉलोनी के क्वाटर्स में पीने के पानी की सप्लाई की कंडीशन बहुत खराब है। जहरीले पानी के साथ ही टैप से कीड़े भी गिर रहे हैं। जिससे लोग हाथ धुलना भी पसंद नहीं करते। मजबूरी में किसी तरह पानी को कई राउंड फिल्टर करके भोजन बना रहे हैं। जबकि पीने के लिए हर क्वार्टर में पानी का बॉटल खरीदा जा रहा है। इसके लिए बकायदा कॉलोनी में पानी की सप्लाई करने वाले घर-घर पहुंच रहे हैं। जिसके बदले में उन्हें मंथ वाइज पेमेंट किया जा रहा है।
हाथ धोने लायक नहीं पानी
एक्सपर्ट के मुताबिक यहां के पानी में टीडीएस की मात्रा खतरनाक लेवल पर है। टीडीएस मतलब पानी में टोटल डिजाल्व्ड सॉलिड यानी घुले हुए ठोस पदाथरें की मात्रा कितनी है। कुछ दिनों पहले जब कैंट रेलवे स्टेशन के पानी की जांच की गई तो यह मात्रा फ्फ्ब्-फ्भ्0 थी। बता दें कि क्00 से ज्यादा टीडीएस होने पर पानी पीने योग्य नहीं होता। इससे लीवर, किडनी, टायफाइड सहित कई जानलेवा बीमारियों का खतरा बना रहता है। आए दिन इससे लोग प्रभावित भी हो रहे हैं। कॉलोनी में रहने वालों के अनुसार पानी बदबू भी करता है।
कहीं ये तो नहीं है वजह
दूषित पीने के पानी की सप्लाई के पीछे रेलवे की प्लानिंग है। बताया जाता है कि कॉलोनी में सीवर व पानी की पाइपलाइन साथ-साथ होने के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है। सालों पुरानी लोहे की पाइप जर्जर हो जाने के चलते मलजल पेयजल की लाइन में जगह-जगह मिल जा रहा है। जो सीधे पेयजल की पाइप लाइन से होते हुए घरों तक पहुंच जा रहा है। ऐसे में इनमें कीड़े भी उत्पन्न हो जा रहे हैं।
नहीं होती ब्भ् दिन में सफाई
रेलवे के नियमानुसार वाटर सप्लाई के लिए बने टैंक का प्रत्येक ब्भ् दिन में क्लोरनाइजेशन करना है। लेकिन रेलवे कॉलोनी में बने टैंक की हकीकत इससे कोसों दूर है। यहां सालों में एक बार सफाई हो जाए तो भाग्य समझिए। कहने को तो डेली इन टैंक में भरने वाले पानी का क्लोरीनाइजेशन किया जाता है। पर सच्चाई बताने की जरूरत नहीं है।
कॉलोनीज में बने टैंक का नियमानुसार प्रॉपर क्लोरीनाइजेशन किया जा रहा है। स्टाफ की कमी के चलते ब्भ् दिन में होने वाली सफाई कई बार बाधित हो जाती है।
अजय गोविल, चीफ आईओडब्ल्यू
पीने के पानी की कॉलोनी में सप्लाई करने की जिम्मेदारी हेल्थ डिपार्टमेंट की नहीं है। जिम्मेदार डिपार्टमेंट को पानी की सप्लाई प्रॉपर तरीके से करनी चाहिए।
डॉ। ऊषा किरण, एसीएमएस
हेल्थ यूनिट, कैंट स्टेशन
प्वाइंट टू बी नोटेड
कॉलोनी टैंक कर्मचारी
एईएन ब् ख्00
न्यू लोको कॉलानी ख् भ्00
लहरतारा क् ख्00
आरएमएस 00 भ्0
गंज 00 भ्0
करहिया कॉलोनी 00 0ब्
नोट-ऊपर दी गयी कॉलोनी में संबंधित कर्मचारी अपने फेमिलीज संग रहते हैं।