संकट मोचन संगीत समारोह के अंतिम निशा से लगी सुबह को पं राजन साजन की प्रस्तुति ने बनाया खास

VARANASI

संकट मोचन संगीत समारोह की आखिरी निशा से लगी सोमवार की सुबह तक पद्मभूषण पं। राजन-साजन मिश्र की प्रस्तुति ने श्रोताओं को भक्ति रस का पान कराया। उनके कार्यक्रम ने संगीत महाकुंभ की सुर, लय, ताल त्रिवेणी में लगातार छह दिनों से गोता लगा रहे रसिकजनों में नव ऊर्जा का संचार भी किया। इसके साथ ही दुनिया के इस अनूठे सांगीतिक अनुष्ठान ने विराम लिया।

मिश्र बंधुओं ने राग भटियार विलंबित एक ताल में निबद्ध 'उचट गई मोरी निंदिया' प्रस्तुत किया। द्रुत तीन ताल में 'आयो प्रभात सब मिल गाओ' से सुबह का स्वागत किया। राग विहाग में 'हरि को नाम सुमिरो मना' से भगवत् आराधना की। राग भैरवी में 'भवानी दयानी' से विभोर कर समापन किया। तबला पर राजेश मिश्र, हारमोनियम पर कांता प्रसाद मिश्र, तानपुरा पर शालिनी ने संगत किया।

विश्वमोहन ने मोहा मन

इससे पहले जयपुर के पं। विश्वमोहन भट्ट ने मोहन वीणा के तार झंकृत कर लोगों का मन मोह लिया। उन्होंने राग गावती में अनूठे साज की झंकार बिखेरी। खमाज थाट सुनाया आलाप, जोड़, झाला बजाया। विलंबित व द्रुत ताल में गत प्रस्तुत किया। 'ओ रे माझी रे मजाया' के साथ ही राजस्थानी मांड 'केसरिया बालम पधारो म्हारे देश' को स्वर दिया और इसमें मोहनवीणा की झंकारा को भी एकाकार किया। वंदे मातरम और फिर 'वैष्णव जन' से समापन किया। तबले पर रामकुमार मिश्र ने साथ दिया। इसके अलावा बनारस के ही पं। संजू सहाय ने तबले पर तीन ताल में उठान, ठेका, परन, तिहाई और बनारस घराने की बारीकियां प्रस्तुत कीं। महंत प्रो। विश्वम्भरनाथ मिश्र ने समारोह की साज-संवार और संयोजन में सहयोग के लिए सभी का आभार जताया।