-रामनगर-सामनेघाट पुल का मुलायम, माया के बाद अखिलेश भी नहीं पूरा करा पाये निर्माण, दस परसेंट कार्य अब भी अधूरा

- पुल के लिए पब्लिक को अभी करना पड़ेगा और इंतजार

VARANASI

पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की जन्मस्थली रामनगर से आप जरूर वाकिफ होंगे। वही जन्मस्थली जहां ऐतिहासिक धरोहर के रुप में रामनगर किला भी मशहूर है। किला के ठीक पीछे कल-कल बहती गंगा के बीचोबीच रामनगर से सामनेघाट, लंका को जोड़ने के लिए एक दशक से भी अधिक समय से निर्माणाधीन पुल इस साल भी झूल ही गया। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जिक्र यहां इसलिए भी कि उन्हीं के जन्म शताब्दी समारोह पर ख्00भ् में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने पुल निर्माण की घोषणा की थी। इसके बाद कच्छप गति से काम शुरू हुआ सरकार बदली, मायावती मुख्यमंत्री बनीं तो फिर काम में तेजी आई लेकिन फिर भी पुल का निर्माण अधर में ही रहा। मायावती का कार्यकाल खत्म हुआ। सपा सरकार फिर लौटी, अखिलेश सरकार ने कार्यकाल संभाला तो लोगों को उम्मीद जगी कि शायद इस कार्यकाल में पुल का शुभारंभ हो जाएगा। लेकिन हर किसी की उम्मीद धरी की धरी ही रह गई।

खाका खींचने में बीत गये पांच साल

साल ख्00म् में तत्कालीन प्रदेश सरकार ने पुल बनाने के लिए मूल धनराशि ब्भ्08.90 लाख रुपये स्वीकृत की थी। इस धनराशि से 9ख्ख्.80 मीटर का पुल व संपर्क मार्ग बनाना था। पुल निर्माण पूर्ण करने की मियाद पांच वर्ष तय की गई थी लेकिन कार्य की शुरुआत करने में ही वर्ष बीत गया। जब काम शुरू हुआ तो धीमी गति के कारण तय मियाद बीत गया लेकिन पुल बना नहीं। तुरंत बाद सरकार भी बदल गई।

बसपा भी हुई थी फास्ट

इसके बाद सत्ता में काबिज बहुजन समाज पार्टी की सरकार ने वर्ष ख्0क्0 में निर्माण पूर्ण करने का लक्ष्य रखा लेकिन इस अवधि में भी पुल नहीं बन सका। इसके बाद फिर से योजना का पुनरीक्षण किया गया। इसमें अनुमानित लागत भी बढ़ी। लेकिन फिर भी पुल अधूरा ही रहा। ख्0क्ख् में एक बार फिर सपा की सरकार बनी तो सीएम अखिलेश यादव ने इसे गंभीरता से लिया। कार्य पूर्णता के लक्ष्य को बढ़ाकर अक्टूबर ख्0क्भ् कर दिया गया, वहीं अनुमानित लागत 7म्म्8.ब्9 लाख रुपये हो गया। इसमें म्7क्7.क्भ् लाख रुपये से पुल निर्माण करना है तो शेष धनराशि से संपर्क मार्ग निर्माण होना है।

मार्च ख्0क्म् में फाइनल करना था पुल

खास यह कि पुनरीक्षित लक्ष्य भी बीत गया लेकिन पुल नहीं बना। इसके बाद कार्यदाई संस्था ने वर्ष ख्0क्म् के मार्च तक कार्य पूरा करने का वादा किया लेकिन इसमें भी लक्ष्य हासिल नहीं हुआ। वर्तमान में लगभग 90 परसेंट कार्य पूर्ण होने का दावा कार्यदायी संस्था सेतु निगम की ओर से किया जा रहा है। सामनेघाट व रामनगर की ओर से संपर्क मार्ग बनाया जा रहा है। करीब आधा दर्जन से अधिक पिलर को पूरा करना है और ढलाई करनी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिरकार पुल का फीता कौन सी सरकार काटती है।

सेतु निगम पर उठती रही उंगली

पुल की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठते रहे हैं। आशंका तब और प्रबल हो गई जब सामनेघाट की ओर बना एक पिलर टेढ़ा हो गया। इसे दुरुस्त करने के लिए सेतु निगम ने बहुत प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं मिली। बाद में टेढ़े हुए खंभे के अगल-बगल के खंभों से उसे मजबूती प्रदान करने की कोशिश की गई।

काम न आई मंत्री जी की घुड़की

सूबे के सिंचाई व पीडब्ल्यूडी राज्य मंत्री सुरेंद्र पटेल की चाहत थी कि अखिलेश सरकार के कार्यकाल में किसी भी तरह पुल का शुभारंभ करा लिया जाए। दर्जनों बार उन्होंने रामनगर पुल निर्माण कार्य का दौरा किया, जल्दी निर्माण कार्य के लिए अधिकारियों को चेताया भी लेकिन उनकी घुड़की काम न आई। आखिरकार सेतु निगम के अधिकारी अपने ही शर्तो पर काम करते गये।

बारिश में होती है परेशानियां

बनारस का उपनगर कहे जाने वाले रामनगर में करीब फ्0 हजार की आबादी बसती है। उपनगर को नगर से जोड़ने के लिए प्रत्येक वर्ष पीपा का पुल लोक निर्माण विभाग की ओर से बनाया जाता है। मानसून के दौरान चार माह तक पीपा का पुल भी तोड़ दिया जाता है। इसके बाद रामनगर के लोगों को पड़ाव या डाफी स्थित हाइवे से होकर बनारस सिटी में आना होता है।

एक नजर

-ख्00ब् में पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के जन्म शताब्दी समारोह पर मुलायम सिंह यादव ने किया था पुल निर्माण की घोषणा

-साल ख्00म् में पुल निर्माण कार्य हुआ शुरू

-9.ख्ख् मीटर लंबा बनना है पुल -उस समय ख्8 पीलर बनाने थे, अब घटकर क्8 हो गये हैं

-ख्0क्0 में बसपा गवर्नमेंट भी हुई थी फास्ट

-ख्0क्ब् में काबिज हुई सपा सरकार ने पुल निर्माण कार्य का बजट भी बढ़ाया

-स्वीकृति धनराशि थी ब्भ्08 लाख, अब बढ़कर 7म्म्8 लाख रुपये