-आचार संहिता लगते ही रोडवेज की एसी स्कैनिया बस से हटाया गया सीएम अखिलेश यादव का पोस्टर, शहर में दौड़ रहे हैं केंद्र व राज्य सरकार के रंग में रंगे सैकड़ों ई रिक्शे

-शहरवासियों को कई ऐसे तोहफे मिले हैं जिन पर से नेताओं के पोस्टर, स्लोगन हटा पाना होगा चुनौतीपूर्ण

VARANASI

आचार संहिता लगते ही सूबे में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोर पकड़ने लगी है। चुनाव आयोग के निर्देशों पर डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन ने शहर भर में अभियान चलाकर होर्डिग बैनर, पोस्टर हटवाना शुरू कर दिया है। देखा जाए तो शहर में माहौल पूरा अब चुनावनुमा हो चला है। नई दिल्ली टू बनारस के बीच चलने वाली रोडवेज की एसी स्कैनिया बस से सीएम अखिलेश यादव का पोस्टर हटाने के साथ ही समाजवादी पार्टी का स्लोगन भी हटा दिया गया है। गुरुवार की दोपहर कैंट रोडवेज बस स्टेशन पर खड़ी स्कैनिया बस का बाहरी नजारा बिल्कुल सादा-सादा रहा। हालांकि शहर में ऐसे कितने तोहफे केंद्र व राज्य सरकार की ओर से जनता को दिये गये हैं जिन पर उनकी पार्टियों का गुणगान और शीर्ष नेताओं की फोटो भी है। जिन्हें हटा पाना चुनौतीपूर्ण भी है। राज्य सरकार की यदि बात की जाए तो अभी हाल ही में सपा सरकार की ओर से शहर में वितरण किये गये ई रिक्शे, इंटर तक के मेधावी बच्चों को लैपटॉप, परिषदीय स्कूल्स के बच्चों को बैग-बर्तन व राशन कार्ड, समाजवादी एंबुलेंस पर भी सीएम अखिलेश यादव की फोटो दर्ज होने के साथ ही पार्टी का स्लोगन भी लिखा है। वहीं भाजपा के रंग में रंगे सैकड़ों ई-रिक्शे भी शहर में खूब दौड़ रहे हैं, यही नहीं उज्जवला योजना के तहत प्रचार में पीएम मोदी की फोटो के साथ-साथ भाजपा का स्लोगन भी गैस एजेंसियां व पेट्रोल पंपों पर लिखा हुआ है। विधानसभा प्रचार के लिए बीजेपी की अब तो डेढ़ सौ से अधिक बाइक्स भी पहुंच गई हैं।

एक नजर, यह भी देखें

-अभी दो-तीन पहले शहर में लगभग भ्0 समाजवादी रंग के ई रिक्शे वितरित किये गये हैं

-परिषदीय स्कूल्स में भ्0 हजार के आसपास स्कूली बैग का वितरण हुआ है, जिस पर सीएम की फोटो है, बर्तन पर भी स्टीकर है

-ढाई हजार से अधिक मेधावियों को लैपटॉप वितरण किया गया है, उस पर भी फोटो है

-डिस्ट्रिक्ट में राशन कार्ड पर सीएम की फोटो

-सौ से अधिक समाजवादी क्08 व क्0ख् एंबुलेंस, सपा के रंग में

-पीएम मोदी की ओर से पांच सौ से अधिक ई रिक्शा का किया गया है वितरण, सभी भाजपा रंग में

-उज्जवला योजना के प्रचार में पीएम की फोटो है

-प्रचार के लिए बीजेपी की बाइक भी पहुंची है

आचार संहिता में स्पष्ट निर्देश है कि आरओ मतलब विधानसभावार गठित रिर्टनिंग ऑफिसर के पास सभी अधिकार निहित है। अगर उसे यह लगता है कि यह आचार संहिता की जद में नहीं है तो नहीं हटेगा। यदि किसी राजनीतिक पार्टी को शिकायत है, जब वह शिकायत करेगा तो हटाया जा सकता है।

योगेश्वर राम मिश्र, डीएम व निर्वाचन अधिकारी