वाराणसी (ब्यूरो)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान काशी हिंदू विश्वविद्यालय में निदेशक कार्यालय के अंदर रिसर्च स्कॉलर छात्रों का गुस्सा मेंटेनेंस एलाउंस की राशि नहीं मिलने के कारण अब फूट पड़ा। छात्रों का कहना है कि 6 महीने की मेंटेनेंस एलाउंस की राशि नहीं मिलने के कारण उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सोमवार को आईआईटी बीएचयू के निदेशक कार्यालय में धरने पर बैठे छात्रों का कहना है कि 6 महीने से हमें मेंटेनेंस का एक भी पैसा नहीं मिला है। घर से लेकर कब तक रिसर्च करेंगे तो ये सुनते ही आईआईटी के निदेशक प्रो। प्रमोद कुमार जैन चले गए। इस दौरान छात्रों और आईआईटी निदेशक के बीच जमकर तू-तू मैं-मैं हुई। छात्रों ने उनकी गाड़ी के पीछे दौड़ भी लगाया, लेकिन निदेशक ने बात नहीं सुनी। अब रिसर्च स्कॉलर छात्र आर-पार की लड़ाई की मूड में हैं। छात्रों ने बताया कि जब तक मांग नहीं मान लेते तब तक धरना अब जारी रहेगा।
78 को नहीं मिली राशि
छात्रों के मुताबिक ऐसे 78 रिसर्च स्कॉलर छात्र हैं, जिन्हें मेंटनेंस की राशि मिलनी है, लेकिन 6 महीने से सिर्फ आश्वासन के भरोसे काम चलाया जा रहा है। छात्रों का कहना है कि हम अपना काम छोड़ कर इस मुद्दे पर बात करने आए थे, लेकिन निदेशक ने हमारी बात सुने बिना ही चले गए। इतना ही नहीं हमें दोनो तरफ से नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं, छात्रों ने ये भी बताया कि जब भी हम बात अपने मेंटेनेंस के आवेदन पर बात करने जाते हैं तो कोई न कोई बहाना बनाकर हमें रवाना कर दिया जाता है। जबकि यह कोई बहुत बड़ा मुद्दा नहीं था।
अधिकारियों ने बंद किया गेट
रिसर्च स्कॉलर के छात्रों ने जब डायरेक्टर ऑफिस के अंदर जमकर विरोध प्रदर्शन किया तो वहां मौजूद संस्थान के अधिकारियों ने डायरेक्टर ऑफिस का दरवाजा बंद करा दिया। इस दौरान सुरक्षाकर्मियों ने घेरा बनाकर छात्रों को रोकने की पूरी कोशिश भी की। इस बीच जब छात्र डायरेक्टर से बात कर रहे थे तो गुस्साए निदेशक बिना बात किए ही गाड़ी में बैठ कर जाने लगे। इस दौरान सुरक्षा कर्मियों ने छात्रों को जबरन पीछे की ओर धकेल दिया। छात्रों ने निदेशक से कहा कि कोविड में उनका दो साल खराब हो गया और बिना किसी आर्थिक मदद के ही 10 महीने से रिसर्च काम कर रहे हैं। घर से पैसे लगाकर कितने दिन तक रिसर्च कर पाएंगे। न तो लैब की प्रॉपर सुविधा मिली और न ही कोई प्रोत्साहन। गौरतलब है कि 2016 पीएचडी छात्र जिनका 5 साल पूरा हो चुका है, उनको 6 माह का मेंटेनेंस एलाउंस दिया जाता था। इसे संस्थान की ओर से बंद कर दिया गया और तब से केवल आश्वासन ही मिल रहा है.
नहीं उठता मामला
जानकारी के मुताबिक पीएचडी करने वाले छात्रों को पांच साल के शोध कार्यकाल तक रिसर्च फेलोशिप मिलती है। इसकी राशि 35 हजार रुपए दी जाती है। वहीं पांच साल के बाद यदि पीएचडी पूरी नहीं होती है तो सभी आईआईटी में मेंटेनेंस एलांउस के रूप में 15 हजार रुपए दिए जाते हैं। लेकिन यहां के छात्रों को यह राशि लेने में एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है। वहीं आईआईटी गाइड लाइन के मुताबिक साल में 4 बार बोर्ड ऑफ गवर्नर की बैठक होती हैं, जहां छात्रों के हित में मुद्दे उठाए जाते हैं। इसके बावजूद अब तक यहां कोई चर्चा नहीं की गई है। जिससे आईआईटी की कार्यशैली पर सवाल उठना लाजमी हो गया है।
पीएचडी करने वाले छात्रों को पांच साल के शोध कार्यकाल तक रिसर्च फैलोशिप मिलती है। अगर कुछ छात्रों को अगर देरी हो जाती है तो विशेष परिस्थितियों में मेंटेनेंस एमाउंट दी जाती है, लेकिन वो बीओजी के मीटिंग में ही तय किया जा सकता है। हम इस मुद्दे को बीओजी की मीटिंग में रखेंगे अगर फंड मिला तो पैसे छात्रों के अकाउंट में दे दिए जाएंगे
प्रो। एसबी द्विवेदी, डीन, आईआईटी