- चुनाव घोषित होने के बाद भी प्रचार प्रसार रोककर बैठे हैं सपा के घोषित प्रत्याशी

- लखनऊ में अखिलेश खेमे की बैठक में पहुंचे बनारस से कई बड़े नेता, नौ जनवरी तक रुकने के मिले निर्देश

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भले ही यूपी में चुनावी बिगुल बज गया हो और तमाम सर्वे में सपा मजबूत स्थिति में भी दिख रही हो लेकिन सपा में पिता-पुत्र की खींचतान के चलते अपने आप को जिताने के लिए वोटर्स के पास जाने में वो नेता भी हिचक रहे हैं जिनका टिकट सपा के मुलायम और अखिलेश खेमे दोनों की ओर से अलग-अलग कंफर्म किया गया है। वहीं गुरुवार को लखनऊ में अखिलेश खेमे की हुई बैठक में वर्तमान सपा विधायकों और एमएलसीज के पहुंचने के बाद गुटबाजी तेज हो गई है। बनारस में भी आठ विधानसभा सीटों के घोषित प्रत्याशी और कई बड़े नेता इस मीटिंग में शामिल हुए। जिसमे से कुछ ने तो अखिलेश का साथ दिया है जबकि कुछ अब भी नेता जी के साथ होने की बात कहते हुए वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं।

नौ को देना है हलफनामा

दरअसल बनारस की शिवपुर, दक्षिणी और उत्तरी इन तीन विधानसभा सीटों पर अखिलेश मुलायम दोनों खेमे की ओर से गुटबाजी जारी है। तीनों सीटों पर दो दो कैंडिडेट होने से वोटर से लेकर कैंडिडेट तक सब असमंजस में हैं। चूंकि नौ जनवरी को चुनाव आयोग के सामने अखिलेश और मुलायम खेमे को अपने साथ मौजूद विधायकों की लिस्ट हलफनामे के साथ देनी है। इसलिए सभी घोषित प्रत्याशी नौ जनवरी तक प्रचार प्रसार रोकने की बात कह रहे हैं। मुलायम खेमे की ओर से एक घोषित प्रत्याशी का कहना था कि पार्टी में जो भी दिक्कत हैं उसे बड़े नेता ही सॉल्व करेंगे अब सपा का सिंबल किसे मिलता है? ये देखना है। यही वजह है कि हम लोग अभी कुछ भी नहीं कर रहे हैं। प्रचार सामग्री प्रिंट करने भेजी थी जिसे रोकने को कह दिया गया है। जबकि कई दूसरी तैयारी पर भी अभी ब्रेक लगा दिया है। ताकि सिंबल फाइनल होने के बाद रुपयों का सही इस्तेमाल हो, फिजूल खर्च नहीं।

बनारस में नहीं है कोई कैंडिडेट

लखनऊ में पिता पुत्र के बीच चल रहे झगड़े का नतीजा है कि बनारस में घोषित सपा के सभी कैंडिडेट भी लखनऊ में ठिकाना बनाये बैठे हैं। पूर्व जिलाध्यक्ष सतीश फौजी का कहना है कि अभी कुछ भी बोलना जल्दबाजी है। पार्टी में बड़े नेता हैं और उनको जो फैसला लेना होगा लेंगे। वहां से आदेश होते ही पूरी ताकत से प्रचार शुरू हो जायेगा।