-संकटमोचन संगीत समारोह में नृत्य नाटिका 'राम की शक्ति पूजा' की भावपूर्ण प्रस्तुति

-दूसरी निशा में कलाकारों ने पूरी रात की संगीत की साधना

VARANASI : संकटमोचन संगीत समारोह की दूसरी निशा की शुरुआत भगवान श्रीराम की कथा से हुई। हनुमत दरबार में सधे कलाकारों की प्रस्तुति ने सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। पहले निशा की तरह ही सुरों की सरिता पूरी रात बहती रही। अपने फन के माहिर एक से बढ़कर एक दिग्गज कलाकारों ने सुर साधना से सबको कायल बना दिया। रतन मोहन शर्मा के गायन का जादू सबके सिर चढ़कर बोला। पं। भवानी शंकर के पखावज और उस्ताद फजल हुसैन का तबला पर जुगलबंदी ने समारोह को नयी ऊंचाई दी। पं। अजय चक्रवती के गायन ने समा बांध दिया।

हर क्षण भावों का उतार चढ़ाव

रूपवाणी की ओर से नृत्यनाटिका राम की शक्ति पूजा का मंचन किया गया। पं। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की रचना को सधे कलाकारों ने मंच पर जीवंत कर दिया। कथा में सीता हरण के बाद राम-रावण युद्ध के दौरान निराश हो रहे राम शक्ति की पूजा करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। भाव के उतार-चढ़ाव से भरी इस पूरी कथा को कलाकारों स्वाति, नंदिनी, तापस, जय, काजोल, मिनाक्षी, वंशिका ने कुछ ऐसा प्रस्तुत किया कि मंच के सामने मौजूद हर शख्स भाव विभोर हो उठा। भगवान राम की तरह मन में कभी निराशा के भाव आए तो कभी उत्साह से ओतप्रोत हुए। धीरेन्द्र मोहन की परिकल्पना को व्योमेश शुक्ल ने कुशल निर्देशन दिया।

जुगलबंदी पर गूंजती रहीं तालियां

संगीत समारोह में नृत्य नाटिका के बाद मंच को संभाला फेमस क्लासिकल सिंगर रतन मोहन शर्मा ने। उन्होंने राह बिहाग में बड़ा ख्याल प्रस्तुत किया। बोल थे कैसे सुख सोऊं नींद न आए। इसी राग में छोटा ख्याल में बोल थे लट उलझे सुलझा जा बालम पर तान छेड़ा तो पूरा कैम्पस तालियों की गड़गड़ाहट से देर तक गूंजता रहा। चढ़ती निशा में रतन मोहन शर्मा समारोह को ऊंचाई की ओर ले जाते रहे। अब बारी थी पखावज वादक पं। भवानी शंकर और फेमस तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन के भाई फजल कुरैशी के तबले पर जुगलबंदी की। दोनों कलाकारों की कठोर साधना का प्रतिफल समारोह में शिरकत करने वाले हजारों संगीत प्रेमियों के सामने था। देर तक दोनों कलाकार संगीत की साधना में खोये रहे। गहराती रात में क्लासिकल सिंगर पं। अजय चक्रवर्ती ने तान छेड़े और अपनी छाप गहरे तक श्रोताओं के दिल में छोड़ दिया।

पिता-पुत्र ने बिखेरा सरोद का जादू

इससे पहले संकटमोचन संगीत समारोह की पहली निशां में गजल के बेताज बादशाह गुलाम अली की गजलों का जादू देर तक नहीं उतरा था। उसे और गहरा कर दिया सरोज वादक अमजद अली खां और उनके बेटे अमान और अयान अली खां ने। सरोद की झंकार बिखेरते हुए लोकधुन बजाया और राग मालकौंस में धमार व तीन ताल में गतकारी से जादू बिखेरा।