- प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों का है बुरा हाल, अधिकतर स्कूलों की जर्जर बिल्डिंग में पढ़ने पर मजबूर हैं बच्चे

- गंदगी और नशेडि़यों का अड्डा भी बन चुके हैं सरकारी स्कूल

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भले ही सरकार हर बच्चे को पढ़ने और आगे बढ़ने के नारे के साथ प्राथमिक और जूनियर विद्यालयों में भेजने की बात कहती हो लेकिन आज हम आपको जिस हकीकत से रू-ब-रू कराने जा रहे हैं उसे जानने के बाद आप यही कहेंगे कि तो फिर ऐसे कैसे पढ़ेंगे और कैसे आगे बढ़ेंगे। ये वो सच्चाई है जो सोमवार की सुबह दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के उस रियलिटी चेक में सामने आई है जो हमारी टीम ने जिले के आर्दश प्राथमिक स्कूल महमूरगंज के अलावा कुछ अन्य स्कूलों में किया। इन सभी स्कूलों में पढ़ने को क्लासरुम तो है लेकिन ऐसा कि बच्चे हर पल डर डर के पढ़ने पर मजबूर हैं। बारिश में पानी छत से चूता है। जिसके कारण कमरों में त्रिपाल बांधकर बच्चों और टीचर्स को अपने आपको सेफ करना पड़ता है। पीने के लिए साफ पानी नहीं है। हैंडपंप सूख चुका है। जो नल टंकी से कनेक्ट है उन टोटियों को चोर उखाड़कर ले जा चुके हैं। ये कहिये कि हर सरकारी स्कूल भगवान भरोसे है। नशेडि़यों और जुआडि़यों को अड्डा बने इस कैंपस की इस सच्चाई को हम आज रख रहे हैं आपके सामने।

बच्चे है भरपूर लेकिन

- 1013 प्राथमिक स्कूल हैं जिले में

- 353 उच्च प्राथमिक स्कूल हो रहे हैं संचालित

- 75 अनुदानित जूनियर हाईस्कूल भी हैं

- 110 डीआईओएस के अधीन हैं विद्यालय

- 1 लाख14 हजार 147 छात्राएं हैं इन स्कूलों में

- 1 लाख12 हजार 908 छात्र हैं यहां पढ़ते

- 05 हजार से ज्यादा टीचर्स हैं इन बच्चों के लिए

जिन भी स्कूलों की हालत खराब है उनको ठीक करने के लिए शासन स्तर से प्रयास चल रहा है। उम्मीद है कि नये सत्र के शुरू होने से पहले इन स्कूलों की दशा बहुत हद तक सुधर जायेगी।

रामकरन यादव, बीएसए

जान पर खेलकर होती है इन स्कूलों में पढ़ाई

- सरकारी स्कूलों के जर्जर भवन कभी भी हो सकते हैं बड़ा खतरा, सैकड़ों बच्चों के होने के बाद अधिकतर की हालत है खराब

- छत कमजोर होने के साथ, गंदगी से है हालात खराब, भीषण गर्मी में टीन शेड में चल रहे हैं कई स्कूल

स्पॉट-1

महमूरगंज आदर्श प्राथमिक स्कूल

कुल बच्चे- 282, कुल टीचर- 08, मौजूद टीचर- 02, कुल कमरे-05, जर्जर हैं- 04

महमूरगंज स्थित सीलनगर कॉलोनी के पास स्थित प्राथमिक स्कूल जिले के आदर्श स्कूलों में है। यहां जब हम पहुंचे तो इसकी हालत देखकर ये सोचने पर मजबूर हो गए कि जब आर्दश स्कूल का ये हाल है तो बाकि का क्या होगा। स्कूल के कमरों की छत बारिश में टपकती है। इसलिए कमरों में तिरपाल बांधा गया था। बाहर कैंपस में ही एक खंडहर में अराजक तत्वों और नशेडि़यों का अड्डा था। पीने के पानी की कोई व्यवस्था यहां नहीं दिखी। हां एक नल था लेकिन उसका भी पानी पीने लायक नहीं।

स्पॉट-2

प्राथमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय, सोनारपुरा

कुल बच्चे- 100, कुल टीचर- 05, मौजूद टीचर- 03, कुल कमरे-05 , जर्जर हैं- 05

सोनापुरा के इस स्कूल को देखकर हमारे रौंगटे कांप गए। जर्जर और अब तक गिरने की कंडीशन के इस स्कूल में जमीन पर बैठकर बच्चे पढ़ते मिले। पूरा स्कूल काफी बुरी कंडीशन में था। कैंपस में बरगद का पेड़ इतना बड़ा हो चुका था कि उसकी लताएं क्लासेस तक पहुंच गई हैं। बच्चे स्कूल में घुसते और निकलते हैं ये मनाते हुए कि उनको भगवान सुरक्षित रखे।

स्पॉट-3

प्राथमिक कन्या विद्यालय, चौकाघाट, तेलियाबाग

कुल बच्चे-125, कुल टीचर- 04, मौजूद टीचर- 03, कुल कमरे-05, जर्जर हैं- 03

अंधरापुल तेलियाबाग रोड पर बने इस स्कूल को बाहर से देखने पर ही इसके स्कूल होने का एहसास ही नहीं होता। ठीक बाहर बना यूरिनल और अंदर घुसते ही खंडहर सा परिसर डराता है। कैंपस में पुरानी बिल्डिंर के जर्जर कमरों की हालत बिगड़ने पर बच्चों को यहां से हटा तो दिया गया है लेकिन स्टोर रुम बने इन जर्जर कमरों से कोई भी सामान लाने के लिए अक्सर टीचर या बच्चों को यहां आना ही पड़ता है। वहीं पीने के पानी की भी व्यवस्था यहां भगवान भरोसे ही मिली।

स्पॉट-4

प्राथमिक विद्यालय, महमूरगंज

कुल बच्चे- 90, कुल टीचर- 02, मौजूद टीचर- 01, कुल कमरे-05, बुरी हालत में- 03

महमूरगंज तिराहे पर मौजूद ये स्कूल बाहर से ही देखने पर काफी खतरनाक लगता है। टीनशेड में चलने वाले इस स्कूल की ऊपरी मंजिल पर इन दिनों बच्चे बैठ नहीं सकते। क्योंकि इस तपिश में टीनशेड के अंदर पढ़ना मुश्किल है। स्कूल में मौजूद टीचर के मुताबिक दो दिन पहले तीन बच्चे बेहोश हो गए थे। जिसके कारण इनको यहां से हटाकर नीचे के कमरे में ले जाना पड़ा। वहीं स्कूल के मेन गेट और बाहर कूड़े का ढेर स्कूल में आने वाले बच्चों संग टीचर के लिए परेशानी का सबब बना है।

ये वो सच्चाई है जो सरकार को भी देखने की जरुरत है। क्योंकि प्राइवेट स्कूलों पर लगाम लगाते हुए सरकारी स्कूलों में बच्चों को भेजने को जोर देने वाली सरकार क्या इन व्यवस्थाओं के बल पर ही सब पढ़े सब बढ़े का दावा कर रही है? ये सवाल उठना इसलिए भी लाजिमी है क्योंकि प्राथमिक स्कूलों की व्यवस्था बदलने की बात योगी सरकार सत्ता में आने के बाद से ही कर रही है लेकिन अब तक न व्यवस्था सुधरी है और न पढ़ने पढ़ाने का तरीका। ऊपर से जर्जर स्कूलों संग पीने के पानी, बैठने की व्यवस्था और नशेडि़यों संग चोर उचक्कों का स्कूल कैंपस में जमावड़ा शिक्षा के इस मंदिर को बर्बाद करने पर तुला है।

जरुरी है मरम्मत

- जर्जर स्कूलों की लंबे वक्त से नहीं हुई है मरम्मत

- साफ सफाई के नाम पर भी नहीं है स्कूलों में कोई व्यवस्था

- स्कूलों के कमरों की छतों से चूता है पानी

- अधिकतर स्कूल चल रहे हैं टीनशेड में

- पीने के पानी की नहीं है कोई व्यवस्था

- हैंडपंप लगे हैं लेकिन पड़े हैं खराब

- टंकी से कनेक्टेड नलों को चुरा ले जा रहे हैं चोर

- कैंपस में दारू और गांजा पीने वालों को होता है जमावड़ा

- मिड डे मील बनाने वाले कमरे भी पड़े रहते हैं गंदे

- प्रॉपर सफाई से नहीं तैयार होता मिड डे मील

टीचर हैं गायब

- हर स्कूल में दो से पांच टीचर हैं

- फिर भी बच्चे पढ़ते नहीं

- वजह हर स्कूल से टीचर्स की ड्यूटी निकाय चुनाव में लगी है

- प्रत्येक स्कूल से संख्या के हिसाब से एक से दो टीचर चुनावी ड्यूटी पर लगे हैं

- 50 से 100 बच्चों की जिम्मेदारी किसी किसी जगह अकेले एक टीचर पर है

- कई स्कूलों में टीचर्स मेडिकल लीव पर भी हैं

- सफाई कर्मी भी हैं तैनात लेकिन नहीं रहते ड्यूटी पर