लॉ फैकल्टी BHU में हुए सेमिनार में बोले जस्टिस अरुण मिश्रा

कहा, तीन तलाक पर भी चर्चा जरूरी, सभी को आना होगा आगे

VARANASI

कोई भी धर्म हो लेकिन सभी के ईश्वर एक हैं। सभी धर्म एक समान है, जो मानवता का संदेश देते हैं। ऐसे में देश में समान नागरिक संहिता भी होनी चाहिए। देशहित की इस व्यवस्था को लागू कराने के लिए सभी को अपना योगदान देना चाहिए। यह विचार शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अरुण मिश्रा ने बीएचयू में व्यक्त किया। वह लॉ फैकल्टी के ऑडिटोरियम में 'पारिवारिक विधि : समसामयिक मुद्दे एवं चुनौतियां' विषयक सेमिनार में बतौर चीफ गेस्ट बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि तीन तलाक के मुद्दे पर भी विचार करने की जरुरत है। कहा कि भारतीय संस्कृति में परिवार की महत्वपूर्ण भूमिका रही है तथा इसमें महिलाओं का विशेष स्थान रहा है। आधुनिक दौर में परिवार की महत्ता कम हुई है। उन्होंने टीवी धारावाहिकों पर कहा कि इससे परिवार तोड़ने की आशंका बढ़ जा रही है। तलाक पारिवारिक विधि का एक गंभीर विषय है तथा इस पर समग्र अध्ययन की आवश्यकता है।

परिवार त्याग से चलता है

राममनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, लखनऊ के वीसी प्रो। गुरुदीप सिंह ने कहा कि आज के आधुनिक दौर में पारिवारिक विधि के सामने कई महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं। बीएचयू के वीसी प्रो जीसी त्रिपाठी ने कहा कि परिवार त्याग से चलता है, अधिकार से नहीं। लॉ सेंटर दिल्ली की प्रो। ऊषा टंडन ने कहा कि सभी विधियों में पारिवारिक विधि सबसे ज्यादा उपेक्षित विधि रही है। संचालन प्रो। विभा त्रिपाठी ने किया।