- विद्यापीठ मोहल्ले में हुए बवाल के दूसरे दिन सब कुछ हुआ सामान्य

-हर धर्म-सम्प्रदाय के लोगों के बीच कायम रही आपसी भाईचारा

- एहतियातन घटना स्थल पर तैनात रही भारी फोर्स

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गंगा-जमुनी तहजीब वाले शहर बनारस की फिजां बिगाड़ने का मंसूबा रखने वालों को करारा जवाब दिया है। रविवार की रात विद्यापीठ मोहल्ले में मामूली विवाद के बाद दो तरफ जमा हुजूम जहां एक-दूसरे के खून के प्यासा था। रात बीती तो अगली सुबह सोमवार को वही लोग एक साथ बैठकर चाय की चुस्की संग अपनी कह-सुन रहे थे। अगर इस दौरान किसी ने रात को हुए वाकए का जिक्र भी किया तो उसकी लानत-मलानत कर रहे थे। सबका एक विचार था यह शहर अमन का है। हर मजहब सबके सिर-आंखों पर है। इसकी आबोहवा में मोहब्बत घुली है। नफरत के लिए यहां कोई जगह नहीं है।

पुलिस फोर्स की चहलकदमी

देर रात हुए उपद्रव के बाद माहौल बिगाड़ने वालों पर पुलिस ने रात को सख्ती की थी। अलर्ट के तौर पर बवाल शांत होने के बाद भी पुलिस पूरी रात मौके पर डंटी रही। सोमवार की सुबह से लेकर रात तक फायर बिग्रेड, पीएसी, चार थानों की फोर्स एसपी सिटी की निगरानी में तैनात रही। दोपहर में भी पुलिस बल के साथ अधिकारी क्षेत्र में पैदल गश्त करते रहे।

जमीन है बबाल की वजह

बवाल की मेन वजह 1200 स्क्वायर फीट की विवादित जमीन है। अधिवक्ता महेन्द्र सिंह और क्षेत्र के ही विनय राय बीच कोर्ट में इसी जमीन को लेकर मुकदमा चल रहा है। इसमें उपासना स्थल या अन्य की कोई हिस्सेदारी फिलहाल नहीं है। बावजूद इसके इसी विवाद को मुद्दा बनाते हुए लोगों ने पूरे उपद्रव को साम्प्रदायिक बनाते हुए इतना बड़ा बवाल कर दिया।

तो क्या सिर्फ दो थे सूत्रधार?

-बवाल में बाप-बेटे को आरोपी बनाने के बाद खुफिया तंत्र पर उठ रहे सवाल

-अगर पहले से थी प्लानिंग तो एलआईयू को क्यों नहीं लगी खबर

-सावन शुरू होने से पहले थाने पर हुई शांति समिति की बैठक में, विवादित भूमि के मुद्दे पर सजग नहीं थी पुलिस

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विद्यापीठ मोहल्ले में रविवार की रात हुए बवाल मामले पुलिस ने बाप सज्जाद और बेटे राजू को पूरे मामले का सूत्रधार बता दिया है। इनके पकड़े जाने के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या सिर्फ इन दोनों ने इतनी बड़ी प्लानिंग की होगी? इनके उकसावे पर इतनी भीड़ जुटी और बवाल की इसके बावजूद लोकल इंटेलीजेंस यूनिट (एलआईयू) को भनक तक नहीं लग सकी। अब खुफिया विभाग संग लोकल थाने की कार्यप्रणाली और उनकी क्षमता पर सवाल उठ रहे हैं।

तो काम क्या है इनका

- एलआईयू को अपने लेवल पर सभी छोटी बड़ी जानकारी जुटानी होती है

- चाय, पान वाले से लेकर छोटे छोटे सोर्सेज इनकी जानकारियों का आधार होते हैं

- खुफिया जानकारी के बाद प्रशासन और एसएसपी को अलर्ट भेजा जाता है

- संभावित घटना रोकने के लिए प्रशासन और पुलिस पहले से ही सख्ती करता है

- एलआईयू पासपोर्ट वेरिफिकेशन, विदेशियों की पड़ताल, किसी कार्यक्रम के होने से पहले उससे संबधित रिपोर्ट भी तैयार करती है

-बवाल के बाद एहसास हो रहा कि एलआईयू अपने काम को ठीक से नहीं कर पा रहा है।

थाने को क्यों नहीं लगी भनक

- पूरा वाकया थाने से कुछ ही दूरी पर हुआ इसके बावजूद बवाल बढ़ने से रोकने का प्रयास नहीं ठीक ढं़ग से नहीं हुआ। इससे पुलिस पर भी तमाम सवाल उठ रहे।

- मामला शांति समिति की बैठक में कई बार उठने के बाद भी थाने लेवल से क्यों लापरवाही बरती गई?

- जब शाम को पहली बार कहासुनी हुई तो पुलिस फास्ट क्यों नहीं हुई?

- रात के वक्त भी नार्मल मारपीट की घटना को पुलिस ने क्यों समय रहते नहीं सुलझाया?

अभी नहीं चेते तो फिर

- एलआईयू और पुलिस के फेल्योर ने आगे आने वाले के त्यौहारों को लेकर भी सवाल खड़ा कर दिया है

- सावन के दूसरे सोमवार से पहले माहौल बिगाड़ने की साजिश फेल होने के बाद खुराफाती फिर से कुछ कर सकते हैं इसकी पूरी संभावना है।

-रक्षा बंधन, नाग पंचमी, गणतंत्र दिवस जैसे पर्व पर भी उपद्रवी सक्रिय हो सकते हैं।

- नवरात्र के दौरान भी भीड़ शहर में जुटती है, इस वक्त भी किसी खुराफात से इंकार नहीं किया जा सकता है

पूरे मामले में जिसकी भी लापरवाही है इसकी जांच होगी। बवाल को संभालने में जिसकी तरफ से भी ढिलाई बरती गई है उसको छोड़ा नहीं जायेगा। पहले उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई हो जाये इसके बाद कोई दूसरा एक्शन होगा।

आरके भारद्वाज, एसएसपी