वाराणसी (ब्यूरो)केंद्र और राज्य सरकार की ओर से प्रदेश के बुनकरों के लिए चलाई जा रही योजनाओं से उनकी जिंदगी में नये बदलाव आ रहे हैंवे आर्थिक रूप से मजबूत होने के साथ खादी के परिधानों को भी नया प्लेटफॉर्म दे रहे हैंसोलर चरखा जहां बुनकरों की जिंदगी को मजबूत धागे के रूप में पिरोकर उनके जीवन को नई मजबूती दे रहा है तो वहीं सोलर लूम उनके सपनों को बुनकर कपड़ों के रूप में आर्थिक सम्बल प्रदान कर रहा है

10 प्रतिशत हैं महिलाएं

सोलर चरखे से बने कपड़ों के कारोबार की बात करें तो वाराणसी मंडल में पिछले वित्तीय वर्ष में यह करीब 1.36 करोड़ थावाराणसी में सोलर चरखे से सूत कातने वाली महिलाएं करीब 10 प्रतिशत हैंयहां की खादी संस्थाओं को रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कारपोरेशन लिमिटेड ने सीएसआर फंड से सोलर चरखा और सोलर लूम निशुल्क उपलब्ध कराया है.

35 किलो तक धागा

डबल इंजन की सरकार सूत कातने वाले लोगों के जीवन में एक बड़ा बदलाव ला रही हैहाई-टेक सोलर चरखे से सूत कातने से समय बचने के साथ उनकी आमदनी में बढ़ोतरी हो रही हैइससे उनके जीवन में नई आर्थिक ऊर्जा का संचार हो रहा हैएक महीने में एक महिला सोलर चरखे से करीब 30 से 35 किलो धागा बना लेती हैइससे उनकी आमदनी 4500- 5000 रुपए तक हो जाती हैयही धागे सोलर लूम पर जाकर कपड़े का रूप लेते हैं

पांच माह में 41 लाख

मंडलीय कार्यालय के आकड़ों के मुताबिक वाराणसी में इन सोलर कपड़ों का उत्पादन 1.15 करोड़ का था, जबकि सोलर कपड़ों का व्यवसाय मंडल के 12 जिलों में पिछले वित्तीय वर्ष 2021-22 में 1.36 करोड़ का थाअप्रैल से अगस्त तक 41 लाख के कपड़े बिक चुके हैं और गांधी जयंती से लेकर आने वाले त्योहारों में खादी के कपड़ों की बिक्री लगभग तीन गुना होने की संभावना हैवाराणसी में 500 सोलर चरखा व 55 सोलर लूम निशुल्क उपलब्ध कराए गए हैंवाराणसी मंडल में 141 खादी संस्थाए हैं, जो खादी ग्रामोद्योग आयोग एवं खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड से वित्त पोषित हैंसंस्थाएं कच्चा माल (पूनी) आयोग द्वारा संचालित केंद्रीय पूनी प्लांट रायबरेली से खरीदती हैं.

वाराणसी में 500 सोलर चरखा व 55 सोलर लूम निशुल्क उपलब्ध कराए गए हैंएक महीने में एक महिला सोलर चरखे से करीब 30 से 35 किलो धागा बना लेती हैइससे उनकी आमदनी 4500- 5000 रुपए तक हो जाती है.

रितेश कुमार श्रीवास्तव, निदेशक एवं प्रभारी, खादी और ग्रामोद्योग आयोग