वाराणसी (ब्यूरो)। मार्च में अचानक बढ़ी गर्मी अब खतरनाक हो चली है। बढ़ता टेंपरेचर अब लोगों की जान लेने लगा है। इस माह में अब तक दर्जनभर से अधिक लोगों ने सुसाइड कर लिया है। इसके साथ ही घरेलू कलह, मारपीट आदि की घटनाओं में भी बढ़ोत्तरी हो गई है। विभिन्न कारणों से मार्च में 119 लोग जान गवां चुके हैं, जिनमें सुसाइड के 64 केस सामने आए हैं। प्यार में नाकामी, पारिवारिक कलह और आर्थिक तंगी से परेशान लोग सुसाइड कर रहे हैं। 55 लोगों की मौत अन्य मारपीट आदि की घटनाओं में हुई है। इसके अलावा छोटे-मोटे विवादों में 300 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं।
मेंटल हेल्थ वीक
साइकियाट्रिस्ट के अनुसार घरेलू कलह, थोड़े पैसे के लिए मारपीट, हत्या, प्यार में धोखा, बेरोजगारी, कर्ज, पारिवारिक जिम्मेदारी, दहेज उत्पीडऩ आदि से परेशान होकर सुसाइड करने वालों का मेंटल हेल्थ वीक होता है। अत्यधिक गर्मी में उम्मीद के अनुरूप रिजल्ट नहीं मिलने पर ऐसे लोगों का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है। ऐसे में तत्काल कोई अवरोध नहीं पड़ा तो ये आत्मघाती कदम उठा लेते हैं। इस दौरान यदि इन्हें कोई भी टोक दे तो उन्हें मरने से बचाया जा सकता है.
कोरोना ने बिगाड़ा तानाबाना
साइकॉलजिस्ट के अनुसार बनारस का समाज खुलकर जीने और सामाजिकता की खास बुनावट के लिए देश-दुनिया में जाना जाता है। कोरोना की पहली लहर व इसके बाद एक के बाद एक तीन लहरों ने समाज के हर वर्ग की लाइफ स्टाइल को बदल कर रख दिया। संक्रमण से बचने और गाइड लाइन ने समाज के मूल तत्व को सुरक्षा के लिहाज से मोडऩे की कोशिश की। इस बदलाव को शहर की बहुसंख्यक आबादी वाला वर्ग झेल नहीं सका और अधिकतर लोग अवसाद की गिरफ्त में जा पहुंचे.
टेंपरेचर का टेरर
साइकॉलजिस्ट डॉ। मुकेश पंथ के अनुसार टेंपरेचर में चेंजेज से मानव विहैविअर भी बदलता है। अधिकतर यह बदलाव नाकारात्मक होता है। मौसम जैसे ही सर्दी से गर्मी में शिफ्ट करता है। शरीर तो बदलते मौसम के हिसाब से डिफेंड करने लगता है। लेकिन दिमाग प्राय: देर से बदलाव को स्वीकार करता है। ऐसे में तन और मन की केमेस्ट्री में विरोधाभास पैदा हो जाता है। फिजिकली चेंजेज, मेंटली हेल्थ को पैनिक करता है। इससे व्यक्ति को इरिटेशन होता है। यह इरिटेशन फैमिली, फ्रेंड, वाइफ, समाज, बाजार समेत हर एक्टिविटी को इफेक्ट करता है। मार्च में इरिटेशन डेंजर प्वाइंट तक जा पहुंचता है।
इरिटेशन के साइड इफेक्ट
- नेचुरल विहैविअर में नाकारात्मक चेंजेज
- पारिवारिक तानाबाना दरकाना
- सामाजिक ताने-बाने पर असर
- फ्रेंड सर्किल तंग होने लगना
- वर्क प्लेस पर सहयोगियों से व्यवहारिक विरोधाभास
- प्यार में तकरार
- छोटी बातों पर लड़ाई-मारपीट
मार्च में होने वाली घटनाएं
- मुंशी प्रेमचंद कॉलोनी में शराब नहीं देने पर युवक को मारी गोली
- विश्वकर्मा नगर में अवसाद ग्रस्त विवेक ने लगाई फांसी
- पिंडरा में भूसा विवाद में मारपीट, 20 घायल
- लहरतारा में मामूली बात पर मारपीट, आठ घायल
- रामनगर में दो बाइकों की भिड़ंत में दो मरे, 4 घायल
- मड़ौली में स्ट्रेस में फंदे से झूला युवक
- राजा तालाब में बाइक की टक्कर में 2 मरे, आठ घायल
- कर्ज से परेशान युवक ने खाया जहर, भर्ती
- मिर्जामुराद में अंधविश्वास में मारपीट 5 घायल
- शिवपुर में दहेज उत्पीडऩ को लेकर पति समेत तीन पर केस
- बड़ागांव युवती को अगवा करने के मामले में तीन पर मुकदमा
- बड़ी पटिया में अवसाद ग्रस्त युवक ने लगाई फांसी
मार्च का ओवरआल डाटा
64
लोगों ने अब तक मार्च में सुसाइड किया
03
लोगों ने प्यार में नाकामी के बाद मौत को लगाया गले
20
ने पारिवारिक कलह से परेशान होकर दे दी जान
55
लोगों की मौत छोटी-मोटी घटनाओं को लेकर हुई मारपीट की घटनाओं में हुई
300
लोग मार्च में हुई विभिन्न मारपीट की घटनाओं में अब तक हो चुके हैं घायल
40
मुकदमें मार्च में पारिवारिक कलह के दर्ज कराए जा चुके हैं
मनोवैज्ञानिक डॉ। मुकेश पंथ के टिप्स
- उदास-परेशान व्यक्ति को उपदेश न दें, भरोसा जताएं
- उससे बहस न करें। साथ थोड़ी दूर टहलने की कोशिश करें
- गुस्सा होने पर झगड़ा न करें। पानी या जूस का ऑफर करें
- मित्र-परिजन को आगाह कर दें कि उससे मेल-मिलाप बढ़ाएं
- अवसादग्रस्त शख्स को अकेला न रहने दें
- उसे यह अहसास भी न होने दें कि उसकी निगरानी हो रही है
- उसे वह हर काम करने दें जो पसंदीदा हो
यदि पेंटिंग, डांस, म्यूजिक सुन रहा है या किताब पढ़ रहा है तो टोके नहीं
- उससे परिवार या दफ्तर की कोई समस्या शेयर न करें
- उसकी उपलब्धियां दोहराएं ताकि उसे पॉजिटिव एनर्जी मिले
- जानकारी के बिना उसे मनोचिकित्सक से मिलवाएं
समाज का एकाकीपन, निराशा का भाव उत्पन्न करता है। इससे बचने के लिए ग्राउंड सोशलाइजेशन अपनाना होगा। नागरिकों को अपने आसपास के परिवेश में मिल-जुलकर रहना चाहिए। भाई-बहन, माता-पिता, वाइफ, फ्रेंड, पड़ोसी और रिश्तेदारों से जुड़ाव बना रहे। सुसाइडल केस एक मनोरोग होता है। यह क्षणमात्र के लिए हावी होता है। ऐसे में उदास-परेशान व्यक्ति की मदद करना हर अवेयर नागरिक का दायित्व है। यह दौर सामाजिकता की ओर लौट चलने का है।
सुभाष चंद्र दुबे, ज्वाइंट सीपी, क्राइम-हेडक्वार्टर, कमीश्नरेट वाराणसी