वाराणसी (ब्यूरो)बंदरों के आंतक से शहर को निजात दिलाने के लिए मथुरा से पहुंची रेस्क्यू टीम को जमकर पसीना बहाना पड़ रहा हैनगर निगम के पशु विभाग के निर्देश पर पहुंची मंकी स्कैचर टीम की स्पेशल टीम शहर में 15 अगस्त से अपना डेरा जमाई हुई हैइस टीम द्वारा दावा किया गया है कि यह हमारा पुश्तैनी काम है और हम लोग काफी आसानी से कम समय में ही बंदरों को पकड़ लेते हंैलेकिन, इस टीम को आये हुए एक सप्ताह का समय हो गया है और अब तक मात्र 20 बंदर पकड़ पाई हैबता दें कि पूरे शहर में चार हजार के करीब बंदर हैैं और मथुरा से पहुंची टीम को एक माह में बंदरों को पकडऩे का टारगेट दिया गया है.

लालच के दम पर स्कैच

मथुरा से 5 सदस्यों की टीम ने बंदरों को पकडऩे के खुलासे के बीच दावा किया है कि वह बंदरों को खाने-पीने का लालच देकर पकड़ते हैैंटीम ने बताया कि बंदर चालाक होते हैंइसलिए बंदरों को स्कैच करने के लिए वह एक एरिया में मात्र दो दिनों तक रहकर एक्शन लेते हैंसाथ ही टीम द्वारा एक बंदर को पकडऩे के लिए नगर निगम की तरफ से 1 हजार रुपये लिया जाता हैइस मसले पर टीम के सदस्यों ने दावा कि उनके द्वारा बंदरों को पकडऩे के लिए चना, मूंगफली, केला आदि खिलाया जाता है.

छोड़ देते हैं चकिया के जंगलों में

नगर निगम के पशु डाक्टर अजय प्रताप सिंह कहते हैं कि बंदर जंगली जानवर होते हैंइन्हें टीम द्वारा पकड़वाकर वन विभाग की परमिशन लेने के बाद चंदौली के चकिया के जंगलों में छोड़ दिया जाता हैदरअसल, बनारस शहर में घनी आबादी होने के कारण कहीं पर भी कोई जंगली इलाका नहीं है.

इन इलाकों में है बंदरों का बसेरा

जंगमबाड़ी, शिवपुर, लंका, सिद्धगिरी बाग, सिगरा, लक्सा, महमूरगंज, अग्रसेन कालेज मैदागिन, पहडिय़ा, आशापुर, संकटमोचन

तीन साल बाद लावारिस कुत्तों की होगी नसबंदी

काशी की गलियों व मुख्य सड़कों पर घूमने वाले लावारिस कुत्तों की तीन साल बाद नसबंदी शुरू होगीइसके लिए नगर निगम ने टेंडर फाइनल कर दियाहर कुत्ते की नसबंदी पर नगर निगम नसबंदी करने वाली संस्था को 850 रुपये देगीतीसरे प्रयास में टेंडर फाइनल हुआ हैसंस्था को चयनित किया गया हैनगर निगम के पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डाअजय प्रताप ङ्क्षसह ने बताया कि रोहनिया के राम रायपुर गांव की मानव गौरव निर्माण संस्था कुत्तों की नसबंदी करेगी.

बंदरों को पकडऩे में आम पब्लिक भी सहयोग करे, जिससे हमें पकडऩे में काफी आसानी होगीसाथ ही पब्लिक हमें अपना छत मुहैया कराएं, ताकि हम अपना जाल लगाकर बंदरों को पकड़ सकें.

अजय प्रताप सिंह, पशु चिकित्सा अधिकारी, नगर निगम