वाराणसी (ब्यूरो)बनारस में होली के त्योहार की तारीख को लेकर इस बार काफी असमंजस की स्थिति बनी हुई हैपूरे शहर में 7 या 8 मार्च को रंग खेलने पर बहस छिड़ी हैहालांकि पूरे देश में 8 मार्च को होली मनाने का स्पष्ट संदेश है, लेकिन बनारस को लेकर सोशल मीडिया पर सवाल-दर-सवाल का दौर चल रहा हैइसके लिए बनारस के विद्वान निशाने पर हैसदियों से बनारसियों का भरोसेमंद ठाकुर प्रसाद समेत तमाम वार्षिक कलेंडर में आठ मार्च को ही होली अंकित हैबावजूद इसके समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों के आधार पर सोशल मीडिया पर बहस जबर्दस्त हैइसी बहस का असर है कि जिला प्रशासन को अपना पुराना आदेश रद करना पड़ानया आदेश भी अजब-गजब है

अड़ी पर उलझ रहे बनारसी

अस्सी स्थित पप्पू चाय वाले समेत हर अड़ी और चट्टी चौराहों पर होली की डेट को लेकर जबर्दस्त चर्चा हो रही हैकोई भला विद्वान का नाम लेकर 7 मार्च को होली मनाने के लिए अड़ा है तो इससे अधिक संख्या ठाकुर प्रसाद के कलेंडर का हवाला देकर आठ मार्च को रंग खेलने के लिए रजामंदी जुटाने में लगे हैंकहीं जगहों पर बहसा-बहसी की स्थिति पैदा हो गईपांडेयपुर में तो कहासुनी के बाद मारपीट की नौबत तक आ गई

होलिका दहन के लिए शुभ मूहर्त 6 मार्च, दिन सोमवार को ही हैसाथ ही सरकार को भी शास्त्रीय संस्थाओं को मानते हुए 7 मार्च को होली का अवकाश घोषित करना चाहिए, क्योंकि होली की छुट्टी इस बार 8 मार्च को है.

रमेश ओझा

फाल्गुन शुक्ला पूर्णिमा में प्रदोष के समय होलिका दहन का विधान हैप्रतिपदा में चतुर्दशी और भद्राकाल में होलिका दहन निषिद्ध है, किंतु यदि पूर्णिमा दो दिन प्रदोषकाल को व्याप्त कर रही हो तो दूसरे दिन ही प्रदोष काल में होलिका दहन किया जाता है

मनोज यादव

विद्वानों की वजह से खिचड़ी समेत कई त्योहार अब दो दिन मनाया जाता हैदेव दीपावली की तिथि को लेकर भी काफी बहस हुई थीसिर्फ होली बची थी, इस पर इन विद्वानों की राय आने लगी

सागर प्रजापति

ब्रज की होली सबसे खास होती हैवहां तो होली के कार्यक्रम शुरू भी हो चुके हैं। 8 मार्च को होली खेली जाएगी, लेकिन काशी के विद्वान हर त्योहार में तर्क देेने लगे हैंइस बार फिकी होली रहेगी.

रतन कुमार