वाराणसी (ब्यूरो)आपको जानकर हैरानी होगी कि वाराणसी में 40 परसेंट लोग स्मोकिंग करते हैंकुछ ऐसे लोग भी हैं जो चाहकर भी स्मोकिंग नहीं छोड़ पाते हैंऐसे में लोगों की सुरक्षा के लिए मार्केट में सिगरेट फिल्टर उपलब्ध है पर यह कितनी सेफ है, यह किसी से छुपा नहीं हैसाथ ही मार्केट में उपलब्ध फिल्टर वाली सिगरेट नार्मल सिगरेट से काफी महंगी होती हैऐसी स्थिति में लोग फिल्टर सिगरेट की जगह नार्मल सिगरेट का ही उपयोग स्मोकिंग के लिए करते हैंइस समस्या को समझते हुए बीएचयू के फिजिक्स डिपार्टमेंट ने ऐसे सिगरेट फिल्टर का आविष्कार किया है जोकि 95 परसेंट तक सेफ हैसाथ ही यह आपको कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से भी बचाएगी.

क्या हैै सिगरेट फिल्टर

सिगरेट फिल्टर को फिल्टर टिप के रूप में भी जाना जाता हैयह कॉटन से बने होते है, जिसका साइज सिगरेट से आधा होता हैकॉटन से बने होने के कारण यह जल जाते हैंमाना जाता है कि सिगरेट में लगे यह फिल्टर शरीर में जाने वाले धुएं में उपस्थित टार, निकोटिन, चारकोल, लेड जैसे खतरनाक पदार्थों को फिल्टर कर देता है और शरीर के भीतर जाने नहीं देता हैमार्केट में मिलने वाले यह सिगरेट फिल्टर 30 परसेंट तक ही आपको सुरक्षित रख सकते हैं.

95 परसेंट तक सुरक्षित

बीएचयू के डॉक्टर आंचल श्रीवास्तव ने कार्बन नैनो मटेरियल से एक ऐसे सिगरेट फिल्टर का आविष्कार किया है, जो लोगों को गंभीर बीमारियों से बचाएगीइसके लिए इन्हें पेटेंट सर्टिफिकेट भी दिया गया हैयह सिगरेट फिल्टर कागज की तरह पतले होते हैं और इनका जलने का खतरा लगभग न के बराबर होता हैइस कारण सिगरेट में लगा फिल्टर जलता नहीं है और जब तक सिगरेट का उपयोग हो रहा होता है तब तक यह फिल्टर काम करता हैसाथ ही यह फिल्टर 95 परसेंट तक सुरक्षित भी है.

कैंसर से रखेगा सुरक्षित

स्मोकिंग करना इतना खतरनाक है कि इससे आपको कैंसर जैसी बीमारी का सामना भी करना पड़ सकता हैसाथ ही आपको हार्ट की बीमारी, शुगर, अंधापन, अस्थमा, टीबी तक की मुसीबत झेलनी पड़ सकती हैइससे बचाव के लिए बीएचयू के डॉक्टर ने इस सिगरेट फिल्टर का आविष्कार किया हैइसको तैयार करने में उन्हें लगभग तीन साल का समय लगा हैयह फिल्टर सिगरेट में उपस्थित खतरनाक पदार्थों को छान देता है और शरीर के भीतर नहीं जाने देता हैइसे तैयार करने में डॉआंचल श्रीवास्तव के साथ ही बीएचयू के डॉएसके पांडे, पीके विश्वकर्मा, एसके यादव और प्रशांत शुक्ला ने भी सहयोग किया.

सिगरेट फिल्टर को तैयार करने में तीन साल का समय लगा हैइसमें लगा फिल्टर 95 परसेंट तक सुरक्षित है.

डॉआंचल श्रीवास्तव, बीएचयू साइंटिस्ट