वाराणसी (ब्यूरो)जनाब यह बनारस की सड़क है कितना भी आप एलर्ट मोड में चलें मुंह से ऊह, आह की आवाज निकल ही जाएगीक्योंकि पहिए की नीचे कहीं न कहीं गडढ़े आ ही जाएंगे, जब तक आप संभलेंगे, तब तक गड्ढे में पहिया जाकर क्रास हो चुका होगाइस समय बनारस की सड़कों का हाल ये है कि कहीं-कहीं फर्राटेदार सड़क है तो कहीं गड्ढों का अंबार हैयदि ऐसे गड्ढों से बचकर नहीं चलेंगे तो आपकी हड्डियां दर्द से कराह उठेंगी या यदि वाहन पर नियंत्रण नहीं रहा तो सोचकर ही रूह कांप उठती हैशहर की सड़कों के गड्ढों की दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने पड़ताल की तो हुकुलगंज और कज्जाकपुरा सड़क पर करीब बीस से अधिक गडढे मिलेसड़क पर कहीं गिट्टियों का अंबार दिखा तो कहीं बड़े-बड़े गड्ढेयोगी सरकार ने साफतौर पर कहा है कि कोई भी डिपार्टमेंट सड़क बनाए तो कम से कम पांच साल तक चले लेकिन यहां हर महीने सड़क बनती और टूटती है.

हाल ही बनी थी सड़क

जी-20 डेलीगेट्स के लिए अभी हाल ही में सड़कों को निखारा गया थाइस समय हाल ये है कि सड़कों पर एक, दो नहीं बल्कि 20 से अधिक गडढ़े हो गए हैंहुकूलगंज और कज्जाकपुरा मार्ग पर बाइक से फर्राटा भर रहे हैं और थोड़ा सा भी चूके तो गडढ़े में पहिया जाना तय हैइससे आपके वाहन का नुकसान तो होगा ही यदि हड्डी चोटिल हो गई तो लंबा भी झेलना पड़ सकता है.

सड़कों पर चलना मुश्किल

कितना भी शहर स्मार्ट हो जाए लेकिन समस्याएं जस की तस दिखती हैंसड़कों को गडढों से मुक्त करने के लिए न जाने कितने जतन किए गए लेकिन नतीजा सिफर ही रहाहुकूलगंज पाण्डेयपुर की सड़क को ही लें तो यह मार्ग जी-20 में डेलीगेट्स के लिए चकाकच बनाया गया थालेकिन दो माह का समय भी नहीं बीता कि जगह-जगह गड्ढे हो गए.

दो किमी में 15 गड्ढे

कज्जाकपुरा सड़क का हाल और भी बुरा हैअभी हाल ही में गोलगड्डा त्रिमुहानी पर एसटीपी की पाइप लाइन फटने से सड़क के बीचों बीच गड्ढा हो गया हैइससे थोड़ा आगे बढ़ेंगे तो फिर एक बड़ा सा गड्ढा मिलेगायही गड्ढों का सिलसिला खत्म नहीं होता। 500 मीटर आगे बढऩे पर बृज का कंट्रक्शन चल रहा हैउसके अगल-बगल सड़क पर तो चलना ही दूभर हैक्योंकि दोनों ही साइड गडढे हैंइसके चलते दो पहिया वाहन हों या फिर चार पहिया, सभी संभलकर चलते हैंऐसे में यहां पूरे दिन जाम की स्थिति बनी रहती है.

जानकारी मिली हैजल्द ही हुकुलगंज और कज्जाकपुरा में सड़कों पर जितने भी गडढे हैं, उनकी मरम्मत तत्काल की जाएगीजी-20 में गडढ़ों की मरम्मत की गई थी.

केके सिंह, एक्सईएएन, पीडब्ल्यूडी

अभी हाल में ही सड़क को बनाया गया था, लेकिन फिर जगह-जगह गड्ढे हो गए हैंगडढ़ों के चलते सड़क पर चलना दूभर हो गया है.

प्रमोद अग्रहरि, अध्यक्ष, वाराणसी व्यापार मंडल कांशी प्रांत

एक बार सड़क बनने पर कम से कम पांच साल तक चलनी चाहिए, लेकिन आज दो से तीन महीने में ही सड़क खराब हो जा रही है.

चन्द्रभूषण दास, कोषाध्यक्ष वाराणसी व्यापार मंडल

सड़क खराब होने से हड्डियों के मरीजों की संख्या बढ़ गयी हैएक सड़क कम से कम एक साल तक तो चलनी ही चाहिएलेकिन ऐसा नहीं होता.

बबलू कुमार गुप्ता, दुकानदार

सड़क को बनाने के बाद देखभाल करने के लिए लोगों को तैनात करने की जरूरत हैगड्ढों में जब वाहन का पहिया जाता है तो काफी जोर का झटका लगता है.

राजेश सेठ, दुकानदार

डिपार्टमेंट को खुद सड़कों की मॉनिटरिंग करनी चाहिए, इससे काफी हद तक सड़क बच सकेगीसड़क की हर महीने मेंटिनेंस भी होनी चाहिए.

बबलू चौहान, दुकानदार