शहर के गंदे यूरिनल और टॉयलेट में पलते है भयानक बैक्टीरिया, लोगों को कर रहे बीमार

बच्चों पर पड़ रहा है इसका सबसे ज्यादा असर, टॉयलेट की गंदगी से लोगों को होती है परेशानी

नगर निगम नहीं करा पाता है यूरिनल और टॉयलेट की सफाई

VARANASI

सावधान, बीमारी का घर आपके इर्द-गिर्द ही मौजूद है। आप सोच रहे होंगे की हम किस घर की बात कर रहे है। ये घर है शहर के ज्यादातर एरिया में बने यूरिनल पॉइंट्स और टॉयलेट हैं। सिटी में शौचालय में जितनी गंदगी रहती है वह एक मानव शरीर को बुरी तरह से बीमार कर रहे हैं। ये हम नहीं कह रहे बल्कि ये डॉक्टर का कहना है। इन टॉयलेट की गंदगी आपकी किडनी, फेफड़े, हार्ट और दिमाग पर असर डालते हैं। इन दिनों यूरीन ट्रैक इन्फेक्शन (यूटीआई) की शिकायत लोगों में बढ़ रही है जो सबसे ज्यादा किडनी को प्रभावित करती है। डॉक्टर का कहना है कि अगर टॉयलेट साफ न हो तो उसमें न जाएं।

सबसे पहले पेट होता है इफेक्टिव

किसी भी बैक्टीरिया का सबसे पहला वार पेट में ही होता है। डॉक्टर बताते हैं कि अगर पेट की बीमारी किसी भी स्वस्थ शरीर को पकड़ती है तो उसे जल्द अपनी चपेट में ले लेती है। इस दौरान अक्सर होता है कि लोगों को दवाइयां भी असर नहीं करती हैं। शरीर से ज्यादातर बैक्टीरिया यूरीन के साथ ही बाहर निकलते हैं।

बच्चो के लिए ज्यादा खतरा

बच्चे भी इस गंदगी से काफी हद तक इफेक्टेड होते है। स्कूल के टॉयलेट में रहने वाली गंदगी बच्चों में यूटीआई को बढ़ा रहा हैं। इसका शुरुआती लक्षण बुखार, सर्दी लगना और पेशाब में जलन होता है, जो बढ़ने के बाद किडनी को प्रभावित करता है।

गंदे यूरिनल में हल्का होना पड़ जाएगा भारी

जिन यूरिनल में गंदगी होती है वहां पर हल्का होना यानी बीमारी को दावत देने के बराबर होता है। यूरीन की गंदगी से बजबजाते इन टॉयलेट में पलने वाले बैक्टीरिया के लिए ह्यूमन बॉडी में घुसने के बाद कई तरह की बीमारी पैदा करते हैं। इनमें टायफाइड, हेपेटाइटिस बी, कोलाइटिस (पेट की टीबी) के साथ ही किडनी, दिमाग, ब्लड के साथ मिलकर हार्ट की बीमारी और फेफड़े तक को खराब कर सकते हैं।

शहर के ज्यादातर टॉयलेट हैं गंदे

नगर निगम की ओर से शहर के कोने कोने में यूरिनल प्वाइंट और टॉयलेट बनवाये गये है। लेकिन इनकी साफ-सफाई का हाल किसी से भी छिपा नहीं है। गंदगी का आलम यह रहता है कि इसके पास से गुजरने वाला भी नाम और मुंह बंद करने को मजबूर होता है। ऐसे में यहां कोई हल्का कैसे हो पायेगा। न तो इनकी रोजाना सफाई होती है और न ही मरम्मत। इनकी साफ-सफाई के लिए पूछे जाने पर नगर निगम यहां कहता है कि सफाई रोजाना करायी जाती है।

सफाई कर्मियों पर भी कम नहीं खतरा

इन टॉयलेट की सफाई करने वाले कर्मियों पर भी खतरा कम नहीं है। क्योकि इसकी सफाई के दौरान जो उपकरण और सुरक्षा के लिए जैकेट, हैंड ग्लब्ज, मास्क, टोपी और जूते होने चाहिए उनके पास नहीं होते है। बिना इन संसाधन के सफाई करने वाला भी बीमार होता हैं।

शहर के टॉयलेट की हालत ऐसी है जो लोगों को सीधे बीमार करते हैं। इनसे एक खतरनाक बैक्टीरिया इकोलाइटिस निकलता है जो आठ से फ्ख् डिग्री के टेम्प्रेचर पर जीवित रहते हैं और हमारे आस-पास का वातावरण भी इसके बीच रहता है। इससे किडनी, हार्ट, दिमाग, ब्लड में इन्फेक्शन करते हैं।

डॉ। एस के अग्रवाल

यूरिनल की गंदगी के कारण सबसे पहले बच्चे इफेक्टेड होते हैं। लोगों में यूटीआई की शिकायत ज्यादा हो रही है। इसमें बुखार, पेशाब में जलन, ठंडक लगता है। टॉयलेट से निकलने वाली दुर्गध भी बीमारी बढ़ाती है।

डॉ। पीसी शर्मा