समय का चक्र अपने नियत गति से चल रहा है। जो कल था आज वो नहीं है। अगर है तो उसमें बदलाव है। बनारस ने भी समय के परिवर्तन को बहुत ही शिद्दत से महसूस किया। बहुत सी चीजें जो कल थीं वह आज उनका अस्तित्व नहीं है। पर बहुत सी चीजें खुद को बचा पाने में सफल रहीं। अब आने वाले कल में उनका अस्तित्व रहेगा की नहीं यह कहा नहीं जा सकता। मेरा पितर मेरा शहर के अंर्तगत अपने शहर को नमन करने के क्रम में हम आपको बनारस के कुछ ऐसी खासियतों की कल और आज की तस्वीरें दिखा रहे हैं। इसी क्रम में आज देखिये कुछ नई तस्वीरें

मालवीय पुल

गंगा पर अंग्रेजों के बनाये हुए मालवीय पुल की इस तस्वीर में आप परिवर्तन को स्पष्ट देख सकते हैं। वर्तमान में इसके स्वरूप में काफी बदलाव आया है।

चौखंडी स्तूप

सारनाथ स्थित इस स्तूप को बहुत समय तक सीता रसोइयां के नाम से जाना जाता था। बाद में ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का पता चला।

अस्सी घाट

गंगा के प्रसिद्ध घाटों में इसका नाम आता है। पहले इसका स्वरूप सामान्य घाटों की तरह था लेकिन इधर बीच इसका स्वरूप खासा बदल गया है।

ललिता घाट

ललिता घाट पर स्थित नेपाली मंदिर स्थापत्य का एक बेहतरीन नमूना है। लकड़ी की बेहतरीन कारीगरी इस मंदिर की विशेषता है।