वाराणसी (ब्यूरो)। जिले के कोविड हॉस्पिटल और सरकारी महकमा बायो-मेडिकल वेस्ट प्रबंधन फेल साबित हुए हैं। कोरोना काल में जहां संक्रमण से बचाव के लिए साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी जा रही है, वहीं सरकारी हॉस्पिटल में समय से बायो मेडिकल वेस्ट का उठान तक नहीं हो रहा है। स्थिति ये है कि सरकारी हॉस्पिटल्स में सप्ताह में एक या दो-दिन मेडिकल वेस्ट का उठान किया जा रहा है। अन्य दिन ये कचरा खुले में पड़ा रहता है। हालांकि शहर के प्राइवेट अस्पतालों से प्रतिदिन बायो मेडिकल वेस्ट का उठान हो रहा है। ग्रामीण इलाकों के प्राइवेट या सरकारी दोनों हॉस्पिटलों में कचरा प्रबंधन बस भगवानभरोसे ही है।
कबीरचौरा हॉस्पिटल की हालत बुरी
शहर के सभी शासकीय हॉस्पिटलों में सबसे खराब हाल जिला महिला चिकित्सालय कबीरचौरा और मंडलीय चिकित्सालय की है। यहां मेडिकल वेस्ट का उठान समय से नहीं होने के कारण संक्रमण का खतरा बना हुआ है। ये स्थिति तब है जब शहर में अभी भी डेढ़ सौ से अधिक कोरोना पॉजिटिव केस सामने आ रहे हैं।
तीन कंपनियों को जिम्मा
वाराणसी शहर में तीन प्राइवेट कंपनियों के जिम्मे मेडिकल वेस्ट उठाने का काम है। जिले के सरकारी अस्पतालों के लिए रॉयल कंपनी काम करती है। शहर में वरुणा पार संगम और शहर में सीपीसी पॉवर वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी काम कर रही है। सबसे बड़ी बात ये है कि सरकारी हॉस्पिटलों के लिए काम करने वाली कंपनी के बारे में सीएमओ कार्यालय में किसी के पास कोई जानकारी नहीं है।
दो कंपनियां शहर में, एक बाहर
बायो मेडिकल वेस्ट का उठान प्रतिदिन करना होता है। इसके लिए जिस कंपनी को टेंडर दिया जाता है, उसका कार्यालय समेत उसकी पूरी टीम का शहर में होना जरूरी है। लेकिन सरकारी हॉस्पिटलों में मेडिकल वेस्ट के उठान के लिए जिस रॉयल नाम की कंपनी को टेंडर दिया गया है वह सुल्तानपुर में है। जिसकी वाराणसी से दूरी लगभग 150 किमी के आसपास है। शहर में प्राइवेट हॉस्पिटलों से मेडिकल वेस्ट उठाने वाली संगम और सीपीसी का कार्यालय शहर के भीतर है।
बाबूओं के आगे सब फेल
रॉयल कंपनी से मिली जानकारी के मुताबिक सीएमओ ऑफिस से लेकर सीएमएस तक सभी बाबूओं के आगे नतमस्तक हैं। जनवरी 2021 में रॉयल कंपनी को टेंडर दिया गया, लेकिन कंपनी को समय से पेमेंट नहीं मिलने के कारण सरकारी अस्पतालों में कूड़ा उठाने की व्यवस्था भगवानभरोसे है। कंपनी की मानें तो पेमेंट के लिए सीएमओ कार्यालय से लेकर डीएम कार्यालय तक चक्कर लगाना पड़ता है। इसके बावजूद समय से पैसा नहीं मिलता। तीन साल पहले भी इसी कंपनी को टेंडर दिया गया था।
कोविड का कचरा अधिक
कंपनियों से मिली जानकारी के मुताबिक मेडिकल वेस्ट में सबसे अधिक कोरोना किट और पीपीई किट मिलते हैं। प्राइवेट हॉस्पिटलों में मेडिकल वेस्ट और अन्य वेस्ट अलग-अलग मिल जाते हैं, लेकिन सरकारी हॉस्पिटलों में मिक्स होने के कारण मेडिकल वेस्ट के उठान में परेशानी होती है। हॉस्पिटलों में मेडिकल वेस्ट के अलावा अन्य कूड़ा नगर निगम की गाडिय़ां उठाती हैं।
किसके पास क्या जिम्मेदारी
- रॉयल - 69 सरकारी अस्पताल
- संगम - 300 प्राइवेट
- सीपीसी - 350 प्राइवेट और 3 सरकारी
पर डे कितना निकल रहा मेडिकल वेस्ट
कंपनी पहले अब
रॉयल 500 800
संगम 300 500
सीपीसी 800 1200
कोरोना काल की गाइड लाइन
- सभी स्टॉफ होंगे सैनिटाइज्ड
- 24 घंटे में एक बार हटेगा कचरा
- गाड़ी पूरी सैनिटाइज्ड होनी चाहिए
- पूरे फ्लोर का एरिया सैनिटाइज्ड हो
- जलाने वाला सामान अलग रखा हो
- बायो मेडिकल गाडिय़ों में जीपीएस