वाराणसी (ब्यूरो)गाजीपुर : मुख्तार अंसारी की मौत के बाद स्थानीय कस्बा में गम, गुस्सा व गुबार देखने को मिला। पैतृक कस्बा होने के कारण पूरा बाजार बंद रहा। क्या समर्थक और क्या विरोधी, सभी की दुकानें बंद रहीं। चाय, दवा आदि की भी दुकानें नहीं खुलीं।

गुरुवार की रात बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी की अस्पताल में मौत हो गई थी। इसके बाद कस्बे के लोगों का हुजूम पैतृक आवास फाटक पर जुट गए। भीड़ ने कई बार अपना गुस्सा जाहिर किया। अधिकारियों को देखकर हो हल्ला भी किया। एसपी ओमवीर सिंह के कहने के बाद भी लोग वहां से हटने को तैयार नहीं थे। बाद में मुहम्मदाबाद विधायक सुहैब अंसारी के समझाने पर लोग शांत हुए। रातभर लोग फाटक पर जमे रहे। शुक्रवार की सुबह होने पर भीड़ का आना-जाना और बढ़ गया। पूरे कस्बे में बाजार बंद रहे। एक भी दुकानें नहीं खुली। यहां तक की दवा व चाय तक की दुकानें लोगों ने बंद रखी। मुख्तार के समर्थक और विपक्षी किसी ने भी दुकानें नहीं खोली। कस्बा के बाजारों में सन्नाटा पसरा रहा। फाटक के अलावा विभिन्न प्रमुख चौराहों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। बाद में अर्द्धसैनिक बलों को सड़क पर उतार दिया गया। जवानों ने फ्लैग मार्च किया। पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी पूरे दिन मुस्तैद रहे।

सैय्यदबाड़ा में मुख्तार की ससुराल

गाजीपुर नगर के सैय्यदबाड़ा में ही मुख्तार अंसारी की ससुराल है। जेल जाने से पहले तक मुख्तार अंसारी का ससुराल में काफी आना-जाना लगा रहता था। पीछे साले व पत्नी के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के बाद ससुराल का मकान भी प्रशासन ने सीलकर दिया था। मुख्तार की मौत के बरहना, कपूरपुर, टाउनहाल, व सैय्यदबाड़ा आदि मोहल्लों में भी कुछ दुकानें बंद रहीं।