वाराणसी (ब्यूरो)गाजीपुर में दो दृश्य थे, दो तस्वीरें थीं, दो चेहरे, दो सोच और दो बातें थीं मुहम्मदाबाद यूसुफपुर के उस कालीबाग कब्रिस्तान में जहां माफिया मुख्तार अंसारी सदा के लिए दफन कर दिया गया। भीड़ में दो तरह के लोग थे। किसी को मिट्टी देनी थी तो किसी को उस माफिया को मिट्टी में मिलते देखना था, जिसकी जरायम की दुनिया में तूती बोलती थी। जो भी हो, बड़ी संख्या में ऐसे लोग थे जिन्हें सुकून मिला, तसल्ली मिली।

कस्बा निवासी जलील को मुख्तार प्यारा था तो कठवां मोड़ से पहुंचे करीब दो दर्जन लोगों को यह देखना था कि अपराध की इंतेहा पार करने वाला वाला माफिया मिट्टी में कैसे मिलता है। भीड़ में ऐसे लोगों की संख्या सर्वाधिक थी जिसे मुख्तार को माफिया कहा जाना नहीं भाता था लेकिन उसकी दंबग छवि भाती थी। कुछ ऐसे भी थे जो कभी न कभी मुख्तार से उपकृत रहे। मुहम्मदाबाद की रामदुलारी बेटी के साथ इसलिए आई थी क्योंकि कभी इस परिवार से उसे मदद मिली थी।

कासिमाबाद निवासी राजेश की नजर में उसकी पहचान एक आततायी से ज्यादा नहीं थी। राजेश ने कहा कि जिसने मानवता को कुचलने में संकोच नहीं किया, जिसकी रग-रग कानून को चोट पहुंचाने वाली हो, वह किसी का हितैषी कैसे हो सकता है। हालांकि अष्ट शहीद इंटर कालेज में कक्षा १२ के छात्र अदीलाबाद निवासी अरुण कुमार इन दोनों विचारों से परे होकर साथियों संग पहुंचे थे। अरुण ने कहा कि मुझे नहीं पता कि आखिर मुख्तार का कौन सा रूप असली था। लेकिन सच्चाई है कि सदा से उसका नाम सुनता आया, लिहाजा देखने आया हूं कि वह कैसा था। भांवरकोल निवासी रामस्वरूप की नजर में मुख्तार लोगों का मददगार रहा होगा लेकिन उसके गुनाहों की पोटली बहुत भारी है।

न सुन पाए माफिया, न कह सके कुछ और :

परिवार को हमेशा ऐतराज था मीडिया द्वारा मुख्तार को माफिया कहने या लिखने पर। इस सवाल पर सपा के पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी ने तो आपा ही खो दिया। मुख्तार माफिया था या कुछ और। यह सवाल सुनते ही अंबिका चौधरी का हाथ चैनल के पत्रकार के माइक तक जा पहुंचा। कैमरा आन था, लिहाजा मौके की नजाकत को भांपते हुए बोले-आपको समझना चाहिए कि इतनी भीड़ जुटी है जनाजे में तो उसे क्या कहना चाहिए। मुहम्मदाबाद से विधायक भतीजे सुहेब अंसारी को इस पर आपत्ति थी कि मीडिया हार्ट अटैक से मौत की खबर चला रहा है, जबकि मौत का कारण असली कारण जहर की चर्चा नहीं कर रहा। सर्मथकों के निशाने पर मीडिया इसलिए भी रहा कि मुख्तार के प्रति आदर सूचक शब्द का प्रयोग नहीं किया जा रहा है।