वाराणसी (ब्यूरो)स्मार्ट सिटी वाराणसी में डॉग बाइट यानी कुत्तों के काटने और बंदरों के काटने के केस तेजी से बढ़े हैंयहां हर रोज औसतन 115 लोग रेबीज का इंजेक्शन लगवाने अस्पताल पहुंच रहे हैंइनमें ज्यादातर लोग गलियों और सड़कों पर खुले घूमने वाले कुत्तों का निशाना बने हैंएक साथ इतने मरीजों को देखकर डॉक्टर्स भी हैरान हैंजिला अस्पताल और मंडलीय अस्पताल दोनों में यही स्थिति हैबावजूद इसके नगर निगम की टीम इन कुत्तों को पकडऩे में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहीऐसे में न तो कुत्तों को वैक्सीन दी जा रही है और न ही इनकी जनसंख्या पर कंट्रोल हो रहा.

गर्मी में हो जाते खूंखार

जानकारों की मानें तो भीषण गर्मी में जहां इंसान परेशान हैवहीं, आवारा कुत्ते इरिटेट होकर अधिक खूंखार हो जाते हैंयही वजह है कि इस सीजन में डॉग बाइट के मामले अधिक आते हैंआंकड़ों पर गौर करें तो शहर में हर घंटे करीब 5 लोग डॉग बाइट के शिकार हो रहे हैंइनके आतंक का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पूरे जिले में हर महीने डॉग बाइट के करीब 8 हजार लोग हॉस्पिटल पहुंच रहे हैंइसमें चार हजार केस सिर्फ मंडलीय अस्पताल के हैंइसके अलावा अन्य मामले अन्य सरकारी व प्राइवेट हॉस्पिटल के हैंमंडलीय अस्पताल के डॉग बाइट विभाग के कर्मचारियों की मानें तो पिछले दो माह से केसेस में लगातार इजाफा हुआ हैजैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है, वैसे-वैसे केसेस बढ़ रहे हैंदो सप्ताह से रोजाना 75 डॉग बाइट के नए मरीज आ रहे हैंजबकि इंजेक्शन लगवाने वाले कुल मरीजों की संख्या 160 से ज्यादा है.

-निगम की अनदेखी

मंडलीय अस्पताल प्रशासन का कहना हैं कि आवारा कुत्तों को पकडऩे का जिम्मा नगर निगम का हैनिगम का कुत्तों को पकडऩे का काम ढीला हैआवारा पशुओं को लेकर निगम का काम ठीक होता तो शायद पीडि़तों की संख्या इतनी न बढ़ती.

-पालतू भी काट रहे

यहां लोग सिर्फ आवारा नहीं पालतू कुत्तों का भी शिकार हो रहे हैंपीडि़तों में 20 फीसदी मामले पालतू कुत्तों के काटे जाने के होते हैलोग मॉर्निग व नाइट में अपने कुत्ते खुले छोड़ देते हैंऐसे में ये मौका पाकर लोगों को दबोच लेते हैं

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इन मोहल्लों में ज्यादा शिकार

रवींद्रपुरी, कबीर नगर, साकेत नगर, पाण्डेयपुर, कंचनपुर, शिवपुर और जैतपुरा

डॉग बाइट

डॉग बाइट के तीन ग्रेड होते हैंजो बाइट की गहराई पर डिपेंड करता है.

ग्रेड वन

- अगर कुत्ता प्यार से भी चाटता है, तो होशियार हो जाएं.

- अगर कुत्ते में रैबीज़ का इंफेक्शन है तो शरीर में भी रैबीज़ के वायरस आने की आशंका बनी रहती है.

- खासकर अगर कुत्ते ने शरीर के उस कटे हुए हिस्से को चाट लिया हो.

ग्रेड टू

- कुत्ते के काटने के बाद स्किन पर उसके एक या दो दांतों के निशान दिखाई दे तो एहतियात बरतना जरूरी है.

-कुत्ते के काटने की अनदेखी घातक हो सकती है

-रैबीज का वायरस एक बार शरीर में जाकर सालों तक रह जाता है.

ग्रेड थ्री

-आमतौर पर कुत्ता हाथ, पैर या चेहरा में से किसी एक जगह पर ही काटता है.

-हाथ या चेहरे पर काटने के बाद एक भी गहरा निशान बनता है तो यह खतरनाक है.

-क्या है रैबीज

रैबीज एक वायरस हैअगर यह किसी जानवर में हो और वह जानवर हमें काट ले खासकर कुत्ता, बिल्ली या बंदर तो इंसान में भी रैबीज हो सकता हैयह वायरस सेंट्रल नर्वस सिस्टम को फेल कर देता है, जिससे पीडि़त इंसान सामान्य नहीं रह पाता.

ये हैं बचाव

- कुत्ते, बिल्ली या बंदर के काटने के 24 घंटे के अंदर एंटी रैबीज इंजेक्शन जरूर लगवाएं। 15 दिन में चार इंजेक्शन लगवाना होता है.

- प्राइवेट हॉस्पिटल में वैक्सीनेशन का करीब 1200 रुपए खर्च आता हैलेकिन सरकारी अस्पतालों में यह फ्र है.

फैक्ट एंड फीगर

1000 कुत्तों की नसबंदी कराई गई है पिछले एक साल में अब तक

115 से ज्यादा डॉग बाइट के केस डेली आ रहे मंडलीय अस्पताल में

20 प्रतिशत केस पालतू कुत्ते काटने वाले होते हैं

कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी के लिए नगर निगम की ओर से एजेंसी काम कर रही हैंइनकी संख्या इतनी ज्यादा है कि इन्हें रखना भी मुश्किल हैक्लाइमेंट चेंज होने की वजह से कुत्ते खूंखार हो गए हैंमौसम ठीक होने के बाद केसेस घट जाएंगे

डॉशशांक पांडेय, चिकित्साधिकारी, पशु चिकित्सालय

मंडलीय अस्पताल में आए मामले

दिसंबर 3200

जनवरी 3500

फरवरी 3000

मार्च 3800

अप्रैल में 4000