पीएम के संसदीय क्षेत्र में महज आठ फीसद हरियाली, होम स्टेट की राजधानी में 57 फीसद ग्रीनरी
varanasi@inext.co.in
VARANASI
बनारस बदल रहा है। केंद्र और प्रदेश सरकार की मेहरबानी से काशी का आनंद कानन विकास की इमारतों से पट गया है। शहर में हर तरफ 'ग्रीन' को छोड़कर हर कलर्स की कंक्रीट से खड़े भवनों की श्रृंखला दिख रही है। अगर बनारस के चार छोर पर मौजूद गंगा, बीएचयू, डीरेका और कैंटोनमेंट को छोड़ दिया जाए तो शहर में मात्र पांच फीसद ही हरियाली है।
मानक से पांच गुना पीछे
बीएचयू के पर्यावरण एवं धारणीय विकास संस्थान के निदेशक प्रो। अखिलेश रघुवंशी के शोध में यह चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। वे कहते हैं कि शहर की हरियाली बचाने में बीएचयू, डीरेका और कैंटोनमेंट का का बड़ा योगदान है। जितनी हरियाली इन तीन क्षेत्रों में है, उससे मात्र एक फीसद अधिक बनारस शहर की हरियाली है, जो मानक से पांच गुना पीछे है। क्षेत्रफल का 22 से 25 फीसद पेड़ों से पटा होना चाहिए।
गांधीनगर है सबसे आगे
हरियाली के मामले में पीएम का संसदीय क्षेत्र बनारस मानक से पांच गुना पीछे है। हालांकि, उनके स्टेट गुजरात का गांधीनगर मानक से ढाई गुना ज्यादा है। वहां की हरियाली 57 फीसद है। इसके अलावा चंडीगढ़ में 35, दिल्ली में 20, जयपुर में 11 फीसद हरियाली है। शायद इसकी जानकारी पीएम नरेंद्र मोदी को भी है, इसलिए काशी का आनंद कानन वापस लाने के लिए छह जुलाई को वे बनारस में पौधरोपण अभियान का शुभारम्भ करने आ रहे हैं।
जैव विविधता को खतरा
प्रो। रघुवंशी बताते हैं कि जिस तरह शहर में आबादी बढ़ रही है। यदि पेड़ों की संख्या नहीं बढ़ी तो वायु प्रदूषण बढ़ेगा। साथ ही गर्मी और बारिश में असंतुलन की स्थिति होगी। उदाहरण के तौर पर अभी दो दिन पहले डीरेका, कैंटोमेंट, बीएचयू क्षेत्र में अच्छी बारिश हुई, जबकि शहर में औसत बारिश हुई। वे कहते हैं कि किसी अस्पताल में वार्ड की खिड़की के सामने पेड़ होगा तो वहां के मरीजों के स्वास्थ्य में बहुत तेजी से सुधार होगा।
हरियाली के संचारक पशु-पक्षी
प्रो। रघुवंशी बताते हैं कि बनारस में देसी प्रजाति के पौधे जैसे नीम, चिलबिल, पीपल तथा बरगद के पेड़ लगाये जाएं तो जैव विविधता फिर से कायम हो जाएगी। पेड़ ऐसे हों, जिसके फल पक्षी खाएं। गिलहरी और पक्षी हरियाली के संचारक होते हैं। धरती पर जहां भी खाली जगह है, वहां पक्षियों के बीट से निकले बीज से पीपल, बरगद, गुलर व नीम के पौधे खुद ही विकसित हो जाएंगे।
कहां कितनी है हरियाली
57 फीसद गांधीनगर
35 फीसद चंडीगढ
20 फीसद दिल्ली
11 फीसद जयपुर
08 फीसदी वाराणसी