- बाढ़ में डूब गया वरुणा कॉरीडोर, करीब 25 करोड़ रुपये का हो चुका है खर्च

- वरुणा में उफान के दबाव से दोनों किनारों के टूटने का है सबसे ज्यादा खतरा

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वरुणा कॉरीडोर प्रोजेक्ट बनारस के लोगों के लिए बहुत ही महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। इसकी बानगी वरुणा के दोनों पुल पर ही देखने को मिल जाती है। जहां पर लोग रुककर इस पूरे प्रोजेक्ट को देखते थे। लोग तो अब भी रुकते है और वरुणा के किनारों को निहार रहे हैं पर उन्हें कॉरीडोर नहीं दिख रहा। क्योंकि उफनती वरुणा ने इस प्रोजेक्ट को अपने आगोश में ले लिया है। करोड़ों का प्रोजेक्ट अभी अपना रूप ले भी नहीं पाया था और पानी में डूब गया। कॉरीडोर के लिए प्रदेश सरकार की ओर से फिलहाल 217 करोड़ का बजट तय किया गया है। इसके लिए अब तक 25 करोड़ रुपये लग चुके हैं।

पानी का दबाव तोड़ देगा किनारा

वरुणा में आये भयंकर पानी के दबाव से दोनों किनारों का नुकसान होना तो तय है। कॉरीडोर के लिए दोनों किनारों पर मिट्टी के ढेर से तट तैयार किये गये थे। इन्हें जियो रिटेनिंग वाल बनाया गया था। वहीं शास्त्री घाट से चौकाघाट की ओर एक तरफ पाथ-वे तैयार किया गया है। इस पर सीढि़यां, रेलिंग व किनारों पर वरुणा में गिरने वाले ड्रेन को कनेक्ट करने के लिए लाइन बिछायी गयी है।

लाखों का सामान भी डूबा

कॉरीडोर के लिए मंगाया गया करोड़ों रुपये का सामान भी पानी में डूब गया है। इसमें कई सामान बाहर से भी मंगाये गये थे। वरुणा की ड्रेजिंग के लिए मंगायी गयी मशीन भी पानी के भीतर है। किनारों पर रात में काम करने के लिए की गयी लाइटिंग की व्यवस्था भी पानी से चौपट हो गयी है।

कितना बचेगा बना हुआ कॉरीडोर

कॉरीडोर में जितना काम हो चुका है। उसका हाल क्या होगा? ये तब पता चलेगा जब वरुणा का पानी घटेगा। पानी उतरने के बाद भी कॉरीडोर का बचे हुए हिस्से के हालात का पता चलेगा। कॉरीडोर का यह हाल हर साल होने वाला है। पानी उतरने के बाद उसे दोबारा दुरुस्त करने में लाखों रुपये खर्च होंगे। वहीं पाथ-वे के किनारे बागवानी, पार्क और पेड़-पौधों का नुकसान होगा। कॉरीडोर में आये पानी के निकलने के बाद सिल्ट सफाई कराना भी बड़ी चुनौती बनेगी।