वाराणसी (ब्यूरो)। वाराणसी दौरे पर आए डिप्टी सीएम एवं स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने सरकारी अस्पतालों में नाइट शिफ्ट में इमरजेंसी सेवा और चिकित्सीय सुविधाएं दुरुस्त रखने का स्वास्थ्य महकमे को निर्देश दिया था। इसका कितना पालन होता है कि इसकी पड़ताल करने के लिए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम रविवार रात मंडलीय अस्पताल पहुंची। जहां एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जो वीआईपी सिटी बनारस में संचालित लचर स्वास्थ्य सेवा की पोल खोल रही है। एंबुलेंस नहीं मिलने पर एक बेबस पिता अपने बेटे को ठेले पर लेकर मंडलीय अस्पताल पहुंचा। दुखद तो यह है कि इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर ने बिना इलाज के ही रात एक बजे उसे बीएचयू रेफर कर दिया। ठेले से लौटते वक्त टीम की नजर पड़ी तो एसआईसी से बातचीत कर मरीज को भर्ती कराया गया.
इमरजेंसी ओपीडी में नहीं मिला इजाज
मंडलीय हॉस्पिटल में रविवार रात करीब 12.30 बजे हूकुलगंज का रहने वाला मोहन गुप्ता 21 वर्षीय बीमार बेटे अर्जुन को बेहोशी की हालत में ठेले पर लेकर पहुंचा। इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर मरीज के पास पहुंचा। मोहन के हाथ एक पर्ची थी, जिस पर डॉक्टर की नजर पड़ी और बोला यह क्या है। जैसे ही मोहन ने वह पर्ची दिखाई तो डाक्टर ने बिना इलाज के ही उसे बीएचयू जाने की बात कहकर वापस कर दिया। पिता ने इलाज करने की मिन्नतें की, लेकिन डाक्टर का दिल नहीं पसीजा। इसके बाद लाचार और बेबस पिता अपने बेटे को फिर उसी ट्राली पर लेकर मंडलीय हास्पिटल से घर चल दिया.
रिपोर्टर ने बेबस पिता की सुनी बात
इमरजेंसी में इलाज नहीं मिलने पर लाचार पिता अपने बेटे को बेहोशी की हालत में फिर ठेले से लेकर घर जाने लगा। इतने में हॉस्पिटल से लौट रहे दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के रिपोर्टर की नजर उस पर पड़ी। रिपोर्टर और बेबस मोहन के बीच में क्या बात हुई, आप भी जानिए
रिपोर्टर : कहां जा रहे हैं आप.
मोहन : आप कौन साहब
रिपोर्टर : मैं दैनिक जागरण आईनेक्स्ट अखबार से हूं। हो सकता है मैं आपकी मदद कर सकता हूं।
मोहन : यह मेरा बेटा अर्जुन है, जो किसी गंभीर बीमार से परेशान है और दोपहर से बेहोश है। इलाज के लिए कबीरचौरा आया तो डाक्टर ने इलाज नहीं किया और लौट दिया।
रिपोर्टर : आपने ओपीडी पर्ची बनवाई है.
मोहन : जी है
रिपोर्टर : दिखाओ
मोहन : ट्राली पर रखी थैली से कई पर्चियां निकाली और दिखाना शुरू कर दिया।
रिपोर्टर : इसमें बीएचयू का पर्ची भी है.
मोहन : जी, बीएचयू में दिखाया था और आराम भी था, लेकिन आज रविवार दोपहर अचानक वह बेहोश हो गया।
रिपोर्टर : तो अभी तक कहां थे
मोहन : घर पर ही बीएचयू की दवा दी थी, सोचा कि कुछ घंटे में आराम हो जाएगा।
रिपोर्टर : तो दोपहर को ही लेकर आना चाहिए था।
मोहन : कुछ पड़ोसियों की सलाह पर घरेलू इलाज भी किया। इसलिए देर हो गया।
रिपोर्टर : कबीरचौरा वाले डाक्टर ने क्यों लौटा दिया.
मोहन : वह बोला कि यहां न्यूरो का इलाज नहीं है., बीएचयू जाओ
रिपोर्टर ने मरीज को भर्ती कराया
रात करीब एक बजे रिपोर्टर ने एसआईसी डा। प्रसन्न कुमार को मोबाइल पर फोन किया और उन्होंने तुरंत फोन रिसीव हो गया। रिपोर्टर ने मोहन के साथ हुए बर्ताव की जानकारी डा। प्रसन्न को दी। इस पर उन्होंने कहा कि आप मरीज को लेकर पुन: ओपीडी में पहुंच जाइए, मैं भी पहुंच रहा हूं। इसके बाद मोहन को लेकर रिपोर्टर खुद अस्पताल पहुंचा तो वहां पहले से ही वहां मौजूद डाक्टर ट्राली वाले मरीज को खोज रहे थे। जैसे ही मोहन अपने बेटे को लेकर पहुंचा तुरंत उसे भर्ती कराया.
नहीं मिला एंबुलेंस
रात 12 बजे अपने बेटे के इलाज के लिए पिता कबीरचौरा के मंडलीय हॉस्पिटल में इलाज की उम्मीद लिए पहुंचा। आंकड़े के मुताबिक स्मार्ट सिटी बनारस में कुल दो हजार से अधिक एम्बुलेंस हैैं। लेकिन, अर्जुन को ठेले से हॉस्पिटल लाया गया। इससे सवाल उठता है कि इमरजेंसी में एंबुलेंस नहीं मिलेगा फिर इन सुविधाओं का क्या फायदा? बता दें कि पिछले दिनों बलिया में पत्नी को ठेला से जिला अस्पताल ले जाने के मामले में डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने जांच बिठा दी थी।
आईनेक्स्ट को बोला थैंक्स
निराशा के दौर से गुजर रहे मोहन और बीमारी से परेशान पेशेंट को रिपोर्टर के हस्तक्षेप से ट्रीटमेंट की बात ही मरहम का काम कर गई। मोहन बड़ी फुर्तीं से बेटे को बचाने के लिए ठेले को तेजी से चलाकर दोबारा मंडलीय हॉस्पिटल पहुंचा। हॉस्पिटल के इमरजेंसी में तैनात डाक्टर, वार्ड ब्वाय और नर्स गेट पर मिले। सभी अपने ड्यूटी के मुताबिक पल्स चेक करना, स्ट्रेचर लाना, वार्ड में बेड पर ले जाना, अक्सीजन लाना, पानी चढ़ाना समेत तमाम मेडिसीन को लिक्विड फार्म में दिया जाना शुरू हो गया। हास्पिटल कर्मियों और डाक्टरों के बदले व्यवहार और सेवा भाव को देखकर मोहन हैरान था। बेड पर इलाज मिलने से बेटे को राहत की सांस लेते देखकर मोहन आईनेक्स्ट को धन्यवाद देते नहीं थक रहा था.
डिप्टी सीएम ने ये दिए थे आदेश
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने सर्किट हाउस में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की थी। जिले की स्वास्थ्य सेवाओं का हाल जानने के साथ ही उन्होंने यह निर्देश दिया था।
-रात्रिकालीन सेवाओं में चिकित्सकों व चिकित्साकर्मियों की उपस्थिति हर हाल में हो।
-इसमें लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
-अस्पतालों में साफ-सफाई व सुविधाओं का भी ख्याल रखा जाए।
-चिकित्सकीय सेवाओं में संशाधनों की कमी नहीं होने दी जाए।
-जरूरत के अनुसार आवश्यक संशाधन उपलब्ध कराए जाएं.