विश्व हिन्दी दिवस पर BHU में आयोजित कार्यक्रम में बोले VC, लंदन से आयीं पूनम देव ने हिंदी के विकास पर की चर्चा

VARANASI

जिस तरह किसी राष्ट्र के लिए ध्वज का अपना खास महत्व है उसी तरह भाषा की भी अपनी अहमियत है। कहा कि भाषा वही स्वीकार होती है जिसको पढ़ने से श्रद्धा उत्पन्न होती है। यह बातें विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर मंगलवार को आयोजित एक सेमिनार में बीएचयू के वीसी प्रो। गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने कही। भारतीय भाषा एवं संस्कृति केन्द्र की ओर से आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि यह सत्य है कि संस्कृत के उत्थान के लिए जितना प्रयास करना चाहिए था, उतना नहीं किया गया। अब इस दिशा में सकारात्मक कार्य करने की जरूरत है। प्रो अवधेश प्रधान ने कहा कि वाराणसी प्राचीन काल से ही हिन्दी का केन्द्र रहा है। लंदन से आयीं पूनम देव ने हिंदी के विकास पर चर्चा की। प्रो। आशीष त्रिपाठी ने भी विचार व्यक्त किया। इस अवसर पर संस्था की पत्रिका 'हिन्दी' का विमोचन किया गया। संचालन राजभाषा समन्वयकर्ता नरेश मोहन ने किया। स्वागत महिपाल सिंह ने तथा धन्यवाद डॉ। राकेश बी दूबे ने दिया।