-फर्राटा इंग्लिश बोलने वाले टीनएजर्स नहीं लिख पाते शुद्ध हिंदी

-90 परसेंट को नहीं आता एक, दो, तीन और 85 परसेंट को क, ख, ग

VARANASI

बनारस में 90 परसेंट टीनएजर्स को एक, दो, तीन, चार नहीं आता है। लिखना तो दूर बोलने में भी असहज महसूस करते हैं। ऐसा ही हाल क, ख, ग, घ का भी है। बेसिक कक्षा में पढ़ाए जाने वाले अक्षर ज्ञान भी 8भ् प्रतिशत टीनएजर्स का काफी कमजोर है। ये टीनएजर्स अनपढ़ या लोअर क्लास फैमिली के नहीं बल्कि हाई क्लास फैमिली से ताल्लुकात रखने वाले टीनएजर्स का है। ये टीनएजर्स इंग्लिश तो फर्राटा बोलते हैं, मगर हिंदी बोलने और लिखने में इनकी जान जाती है। आई नेक्स्ट ने विश्व हिंदी दिवस पर एक सर्वे कराया। जिसका मकसद हिंदुस्तान में राष्ट्रभाषा हिंदी की हकीकत जानना था। रिजल्ट जो आया, वह चौंकाने वाला है। गिनती, अक्षर के अलावा टीनएजर्स सामान्य तौर पर यूज होने वाले चार शब्दों को भी सही नहीं लिख पाए।

राष्ट्रभाषा पर भारी इंग्लिश

हमारे देश की राष्ट्रभाषा हिंदी है। मगर टीनएजर्स में इंग्लिश, हिंदी पर पूरी तरह हावी होती नजर आ रही है। घर से लेकर स्कूल तक बच्चों को इंग्लिश ही सिखाया जाता है। हिंदी बोलना अब स्टेट्स के खिलाफ है। नतीजा अपने ही देश में हिंदी खत्म होती नजर आ रही है। आई नेक्स्ट ने पांच साल से क्ख् साल उम्र के बीच वाले करीब सौ बच्चों पर एक सर्वे कराया। जिसमें बच्चों से गिनती (एक, दो, तीन, चार), अक्षर ज्ञान (क, ख, ग, घ) और चार शब्द (आशीर्वाद, मृत्युंजय, महर्षि, मातृभूमि) लिखवाया गया। अधिकतर बच्चे इसे लिखने में खुद को असहज महसूस करते रहे।

ऐसे तो टूट जाएगी हिंदी

विश्व हिंदी दिवस पर अपने शहर में हिंदी की स्थिति जानने के लिए आई नेक्स्ट ने ये सर्वे कराया। सर्वे के बाद आई रिपोर्ट चौंकाने वाली निकली। अगर ऐसे ही रहा तो हिंदी पूरी तरह टूट जाएगी। सर्वे में 90 परसेंट बच्चे गिनती नहीं लिख पाए तो 70 परसेंट बोलने में भी असहज दिखे। अक्षर ज्ञान में 8भ् परसेंट सही नहीं लिख पाए और 7भ् परसेंट को पूरा याद नहीं था। चार शब्दों में करीब म्0 परसेंट बच्चों ने आशीर्वाद और मृत्युंजय को गलत लिखा तो भ्0 परसेंट महर्षि और मातृभूमि लिखने में उलझे नजर आए।