वाराणसी (ब्यूरो)सभी के मन में कुछ अलग करने की और समाज में अपनी पहचान बनाने की चाह तो जरूर होती है, पर कई बार जिम्मेदारी के चलते हमें अपने पैशन को फॉलो नहीं कर पाते हैंइन सबके बीच कुछ ऐसे लोग भी हैं जो तमाम मुश्किलों के बाद भी अपना नाम बना ही लेते हैंऐसी ही एक राह पर निकले हैं काशी के यूथ, जो अपनी क्रिएटिविटी के चलते काशी में नाम कमा रहे हैंआज इंडिपेंडेंट आर्टिस्ट डे पर आपको ऐसे ही लोगों से रूबरू कराएंगे.

पढ़ाई के साथ पेंटिंग

बीएचयू में फाइन आर्ट सेकेंड ईयर की पढ़ाई कर रही श्रीजल पटेल का बचपन से ही आर्टिस्ट बनने का सपना थाउन्होंने निश्चय कर लिया था कि उन्हें इसमें ही नाम कमाना हैश्रीजल महमूरगंज में रहती हैं और उन्होंने एक साल से अस्सी घाट पर अपनी पेटिंग की शॉप सजाई हुई हैघाट पर ही बैठकर वह इन पेटिंग को तैयार करती हैं और सेल करती हैंइनकी पेटिंग इतनी खूबसूरत है कि संपूर्ण काशी की झलक इसमें देखने को मिल जाएगीकाशी की गलियां हो या साधु की पूजा, इन्होंने उसे अपनी पेंटिंग पर हूबहू उतार दिया हैइनकी पेंटिंग की कीमत 150 से शुरू होकर 3000 रुपये तक हैइससे इनका पढ़ाई का खर्चा भी निकल जाता है.

काम के साथ पैशन फॉलो

बलिया के रहने वाले आशीष कुमार एडवाइजर हंैभले ही वो कोई काम भी करते हों पर पैशन को फॉलो करना नहीं भूलेदशाश्वमेध घाट पर अपनी पेटिंग से सभी का दिल जीत रहे आशीष हफ्ते में चार दिन घाट किनारे आर्ट बनाने जरुर आते हैं और उसको सेल भी करते हंैउन्होंने बताया कि उन्हें शुरू से ही आर्टिस्ट बनना था पर जिम्मेदारी के चलते उन्हें दूसरा काम चुनना पड़ाजैसे ही उन्हें मौका मिला तो उन्होंने अपने पैशन को फॉलो किया.

बांसुरी है जिदंगी

बांसुरी को अपनी जिदंगी मानने वाले सुरेश कुमार तीन साल से घाट पर अपनी कला के चलते लोगों के दिलों में राज कर रहे हैंघाट घूमने आए लोग इनके पास बैठकर इनसे बांसुरी जरुर सुनते हैंएक बार जो इनकी बांसुरी सुन लेता है, वह काफी देर तक इनके पास बैठा रहता हैसुरेश का अपना एक छोटा सा बिजनेस भी है पर उनका दिल शुरू से बांसुरी बजाने में ही लगता थाइसलिए हफ्ते के कुछ दिन वह समय निकाल कर अस्सी घाट पर बांसुरी बजाने के लिए जरुर आते हैंउन्होंने कहा कि भले वो कुछ भी करते हों पर अपने पैशन को फॉलो करने से कभी पीछे नहीं हटेंगे.

अपनी संगीत से बनाई पहचान

बीएचयू से अपनी पढ़ाई कर रहे संगीतकार जितेंद्र यादव को बनारस में किसी पहचान की जरुरत नहीं हैअपने गाने के लिए जितेंद्र सोशल मीडिया पर भी बहुत पॉपुलर हैंउनका सपना है कि वह एक बड़ा सिंगर बनें और इसके लिए वह लगातार मेहनत भी कर रहे हैंकाशी के अस्सी घाट पर शाम 7:30 बजे जितेंद्र गाना गाने के लिए आते हैंजैसे ही वो गाना शुरू करते हैं, उनके आसपास लोगों की भीड़ जुट जाती है। 4 साल से वह घाट पर गाना गाने के लिए आ रहे हैंकई बड़े सेलिब्रिटी ने उनके गाने के रील इंस्टाग्राम पर शेयर भी किए हैैं.

इसलिए मनाते हैं इंडिपेंडेंट आर्टिस्ट डे

3 अप्रैल को हम इंडिपेंडेट आर्टिस्ट डे सेलिब्रेट करते हैंइस दिन की स्थापना पहली बार वर्ष 2018 में सिंगर, आर्टिस्ट, राइटर और अन्य कलाकारों की कड़ी मेहनत और समर्पण को सपोर्ट करने के लिए की गई थीयह उन कलाकारों के लिए सेलिब्रेट होता है जो किसी कंपनी या लेबल के बजाए इंडिपेंडेंट होकर अपने पैशन को फॉलो करते हैंइस दिन इन सभी आर्टिस्ट के योगदान की सराहना की जाती है.