तो शायद बच जाती उसकी जान

देहरादून। चुक्खुवाला में ट्यूजडे रात पुश्ता ढह जाने के कारण दो परिवार की लक्ष्मी पर मौत कहर बनकर टूटा। जैसे तैसे घर के सभी पुरुष अपनी जान बचाकर निकल गए, लेकिन दोनों घरों की महिलाओं ने इस ग्रहण को जैसे अपने ऊपर ले लिया। जिन महिलाओं ने घर को घर बनाया था, वही घर उनके लिए कब्रगाह बन गया।

इस घर में दो परिवारों के सात लोग रहते थे। जिनमें एक वीरेन्द्र का परिवार था। जिसमें खुद वीरेन्द्र, पत्नी विमला, 12 वर्षीय बेटा कृष और आठ वर्षीय बेटी सृष्टि।

दूसरे परिवार में समीर, उसकी गर्भवती पत्नी किरन और समीर की बहन प्रमिला।

ऐसे हुआ हादसा

चुक्खुवाला इन्द्रा कॉलोनी क्षेत्र में रायपुर निवासी पंकज मैसी के मकान में दो परिवार किराए पर रहते थे। बीती रात तेज बारिश के कारण पड़ोस में रहने वाले सिद्धार्थ ने रात 1.30 बजे जोर से कुछ गिरने की आवाज सुनी। जब उन्होंने बाहर निकलकर देखा तो बगल के घर में पुश्ता गिर जाने के कारण घर की छत समेत घर ढह गया था। पुश्ता इतना भारी था कि पूरा घर ढह गया। इस बीच पड़ोसी भी जमा हो गए। आनन-फानन में सभी ने मिलकर एक पत्थर हटाया, तो बच्चे कृष की आवाज आई। कृष का हाथ पकड़कर किसी तरह उसे बाहर निकाला। इसके बाद दूसरे परिवार के समीर चौहान को भी जैसे-तैसे बाहर निकाला। लेकिन उसकी 28 वर्षीय गर्भवती पत्नी को नहीं निकाल सके। वह मलबे में दब गई। इसके बाद जब समीर की बहन प्रमिला को खोजा तो वह भी नहीं मिली। न ही वीरेन्द्र की पत्नी और उनकी बेटी का पता चल सका। इस बीच पुलिस और एसडीआरएफ की टीम भी मौके पर पहुंच गई। टीम ने जैसे-तैसे छत को तोड़कर गर्भवती किरन, सृष्टि और बिमला को बाहर निकाला, लेकिन प्रमिला को नहीं खोज सके। पूरी रात जद्दोजहद के बाद भी प्रमिला नहीं मिल सकी। करीब नौ घंटे के बाद 10.30 पर पुश्ते के ठीक नीचे की तरफ प्रमिला का शव मलबे में दबा मिला।

तो शायद बच जाती उसकी जान

पड़ोसियों के अनुसार इस घर में दो परिवार रहते थे। इसकी जानकारी पड़ोसियों को थी। दोनों पार्टिशन की भी जानकारी पड़ोसियों को थी। पड़ोसियों ने टीम से कई बार प्रमिला की लोकेशन बताई। लेकिन टीम ने उनकी बात नहीं सुनी। दूसरी दिशा में छत तोड़ने का काम जारी रहा। इस बीच प्रमिला मलबे के नीचे ही दबी रही। करीब नौ घंटे की तोड़-फोड़ के बाद प्रमिला का शव उसी जगह मिला जहां पर पड़ोसियों ने बताया था। अगर समय पर टीम ने पड़ोसियों की बात मानी होती तो शायद प्रमिला की जान बचाई जा सकती थी।

गार्ड की नौकरी ने बचाई जान

वीरेन्द्र कुमार एक बैंक के एटीएम में गार्ड की नौकरी करता है। बीती रात जब हादसा हुआ तो वह नाइट ड्यूटी पर था। पड़ोसी की सूचना पर वह घर लौटा। वह घर से बाहर था इसलिए बच गया।

पहले भी दी थी खतरे की सूचना

पड़ोसियों के अनुसार तीन दिन पहले पुश्ते में दरार दिखने पर इसकी जानकारी पड़ोसी ने प्लॉट स्वामी को दी थी। इसके बाद यहां पर कुछ लोगों ने आकर मौका मुआयना भी किया था। लेकिन इसके बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की गई।

सभी की लाड़ली थी सृष्टि

वीरेन्द्र की बेटी सृष्टि केवी नम्बर-1 सालावाला में पढ़ती थी। चुलबुली सृष्टि को याद करते हुए सृष्टि की स्कूल बस ड्राइवर की आंखों में भी आंसू आ गए। बताया कि वह सभी की प्यारी थी। उसकी मां भी बेहद मिलनसार थी।

पड़ोसी को भी घर खाली करने के निर्देश

एक घर में पुश्ता ढह जाने के बाद प्रशासन की नींद खुली। प्रशासन ने पास में रहने वाले सिद्धार्थ और सुनील राणा के परिवार को घर को खाली कर दूसरी जगह जाने के लिए कहा है। पुश्ते का दूसरा हिस्सा भी कमजोर है। इससे आसपास के घरों पर भी खतरा बरकरार है।

सकते में है पड़ोसी

अचानक हुए हादसे के बाद पड़ोसी सकते में हैं। पड़ोसी के अनुसार समीर की पत्नी किरन के गर्भ का नौवां महीना चल रहा था। वेडनसडे को उसे मेडिकल चेकअप के लिए जाना था। गर्भवती किरण अगर हॉस्पिटल में भर्ती हो जाती तो शायद आज जिंदा होती।

घर नहीं लौट पाएगी प्रमिला

समीर की बहन प्रमिला कुछ दिन पहले ही दून में अपनी गर्भवती भाभी की देखभाल के लिए आई थी। क्या पता था कि अब वह कभी अपने घर त्यूणी नहीं लौट पाएगी।

2007 में पुश्ता बनाने का किया था विरोध

स्थानीय लोगों के अनुसार 2007 में जब पुश्ता बनाया जा रहा था। तभी लोगों ने इसका विरोध किया था। कई बार विरोध के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई। इससे स्थानीय लोगों में गुस्सा है।

नगर निगम ने की अनदेखी

स्थानीय लोगों की मानें तो यहां पर अधिकतर अतिक्रमण है, लेकिन निगम की ओर से कभी इस ओर ध्यान नहीं दिया गया।

जुटे रहे प्रशासन और पुलिस अधिकारी

पुश्ता ढह जाने के बाद यहां पर मौके पर डीआईजी अरुण मोहन जोशी, डीएम आशीष श्रीवास्तव, एसपी सिटी श्वेता चौबे समेत समस्त अधिकारी घंटों मौके पर मौजूद रहे।