- शिक्षा विभाग के टोल फ्री नंबर पर भी नहीं हो रहा समस्या का समाधान, जाएं तो जाएं कहां

देहरादून, 8 अप्रैल (ब्यूरो):
मरता क्या न करता जैसी स्थिति में पहुंचे पैरेंट्स को सरकार या फिर संबंधित विभाग से भी कोई साथ नहीं मिल पा रहा है। कहने के लिए विभाग ने निजी स्कूलों की मनमानी पर नियंत्रण पाने के लिए कंट्रोल रूम का गठन किया है। लेकिन, उस पर भी किसी भी पैरेंट्स की सुनवाई नहीं हो पा रही है। मजबूर होकर पैरेंट्स गत वर्षों की तर्ज पर थके हारे स्कूलों से लेकर बुक सेलर तक के चक्कर काट रहे हैं।

फीस पेंडिंग होने पर कर रहे बाहर
एक पैरेंट्स ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि उनकी स्कूल में कुछ फीस पेंडिंग पड़ी हुई है, जिसको जमा करने के लिए स्कूल को भरोसा भी दिया गया है। लेकिन, स्कूल प्रशासन स्कूल की फीस जमा न होने तक स्कूल में नो एंट्री की बात कह रहा है।

दूसरे देशों जैसी व्यवस्था हो
पैरेंट्स के अनुसार दूसरे देशों में किसी भी क्लास से पास आउट हुए स्टूडेंट की बुक्स को उसी क्लास के टीचर्स अपने पास रख लेते हैं। जिससे कि न्यू सेशन के स्टूडेंट को इसका लाभ मिल सके। जबकि, भारत में ऐसा नहीं है। यहां हर साल बुक्स को बदल दिया जाता है। जिससे कि पब्लिशर्स को फायदा हो।

::ये हैं पैरेंट्स की प्रॉब्लम्स::
-स्कूल हर साल बढ़ा रहे हैं 10 परसेंट तक फीस।
-आईसीएसई स्कूलों ने एनसीईआरटी की बुक्स को किया खारिज।
-पैरेंट्स को फरमान, पुरानी नहीं, नई बुक्स लेकर आएं स्टूडेंट्स।
-एक बुक के एक पेज को बदलकर बता देते हैं नई बुक
-स्कूलों में हाउस चेंज कर नई यूनिफॉर्म के लिए कर देते हैं मजबूर।
-डेवलेपमेंट के नाम पर 5 से लेकर 10 हजार का एनुअल चार्ज।
-अबकी बार डायरी के भी चार्जेज में भी करीब 50 परसेंट की बढ़ोत्तरी।
-स्कूल निर्धारित बुक सेलर से बुक खरीदने का देते हैं हवाला।
-एकाध नहीं, बुक का पूरा सेट खरीदने के लिए किया जा रहा है पैरेंट्स को मजबूर।
-वैन, स्कूल बस के भी चार्जेज भी कर दी गई है बढ़ोत्तरी, एडवांस जमा करने का फरमान।
-सीट फुल के नाम पर नहीं स्कूल नहीं दे रहे एडमिशन
-पब्लिशर्स बदलने से नहीं मिल पा रही कई बुक्स
-ड्रेस बदलने की भी भारी दिक्कत।
-क्लास 1-9 की बुक्स का सबसे ज्यादा रोना।
-फीस ऑनलाइन भी नहीं ले रहे स्कूल मैनेजमेंट


दून में स्कूलों पर एक नजर
-दून में करीब 3 हजार से ज्यादा सरकारी व प्राइवेट स्कूल्स
-इनमें सरकारी, केवी व प्राइवेट स्कूल शामिल
-ये स्कूल आईसीएसई, सीआईएसई, सीबीएसई, उत्तराखंड बोर्ड के शामिल
-सीबीएसई के स्कूलों की संख्या - 1628
-आईसीएसई के स्कूलों की संख्या- 78
-सीआईएसई के स्कूलों की संख्या- 25
-उत्तराखंड बोर्ड के स्कूल्स --160
-गवर्नमेंट माइनोरिटी स्कूल--126

विभाग का अजीबोगरी तर्क
पैरेंट्स की परेशानी को देखते हुए शिक्षा विभाग अजीबोगरीब तर्क दे रहा है। एजुकेशन डिपार्टमेंट के अधिकारियों के अनुसार जब उन्हें प्राइवेट स्कूलों से परेशानी हो रही है तो वे गवर्नमेंट स्कूलों में एडमिशन लें। इसके बावजूद भी दिक्कत है तो पैरेंट्स आरटीई की तहत निजी स्कूलों में अपने बच्चों को प्रवेश दिला सकते हैं। जिस पर पैरेंट्स को कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेेगा। इसके लिए आरटीई के तहत राज्य में 2476 व दून में 545 से ज्यादा स्कूल शामिल किए गए हैं।

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हर बार सरकार की आरे से नए नए दावे किए जाते हैं। लेकिन, हर बार पक्का सॉल्यूशन नहीं हो पाता है। जिसका खामियाजा आम आदमी को भुगतना पड़ता है। शिक्षा विभाग को इसमें ठोस कदम उठाने चाहिए। जिससे हर साल पैरेंट्स पर इस तरह का बोझ न पड़े। :-
- लव चौधरी, संयोजक, अभिभावक एकता समिति

इस मामले में किसी भी तरह की शिकायत पैरेंट्स की ओर से मिलती है, तो हमारी ओर से जांच की जाती है। फिलहाल हमारी ओर से ट्रोल फ्री नंबर जारी किए गए हैं। किसी भी तरह की शिकायत मिलती है तो तुरंत एक्शन लिया जाएगा। :-
-प्रदीप रावत, सीईओ, दून।