आई अलर्ट

-कोलकाता की चिटफंड कंपनी ने उड़ी 60 लाख से ज्यादा की रकम

-ग्रामीणों ने एजेंट्स के माध्यम से जमा कराए थे रुपये

-बोरिया बिस्तर समेटकर भाग गए कंपनी के संचालक

देहरादून, अल्मोड़ा : अगर आप ज्यादा ब्याज पाने के लालच में किसी प्राइवेट फाइनेंस कंपनी में अपना पैसा जमा करवा रहे हैं तो सावधान हो जाइए। उत्तराखंड में ऐसी कई चिटफंड कंपनियां हैं जो लोगों का पैसा लेकर भाग रही हैं। अल्मोड़ा में एक ऐसी ही चिट फंड कंपनी 200 लोगों की करीब 60 लाख की रकम लेकर फुर्र हो गई है। इस कंपनी का हेडऑफिस कोलकाता में बताया गया है। अल्मोड़ा में जहां इस कंपनी का दफ्तर चल रहा था वहां का किराया भी संचालकों ने नहीं दिया। करीब एक साल से दफ्तर का किराया नहीं दिया गया था।

ऐसे हुआ मामले का खुलासा

दरअसल मामला तब खुला जब दफ्तर के मालिक ने कंपनी को अपने वकील के जरिए नोटिस भिजवाया। कोलकाता स्थित कंपनी के मुख्यालय को नोटिस भेजा गया तो वो वापस आ गया। ऐसे में यही आशंका जताई जा रही है कि कंपनी ने अपने हेडऑफिस का पता भी फर्जी बताया है। रोजवैली चिटफंड कंपनी के नाम से 3 जून 2013 को दूनागिरी रोड स्थित फुलारा मार्केट में ब्रांच खोली गई थी। इसका ब्रांच मैनेजर विप्लव चक्रवर्ती था। कंपनी के कागजों में उसका नाम रोजवैली मार्केटिंग इंडिया लिमिटेड था और पता आरजीएम 25/3010, रघुनाथपुर वीआईपी रोड, कोलकाता था।

एजेंट्स को दिखाए सब्जबाग

कंपनी ने स्थानीय स्तर पर रोजगार देने के बहाने एजेंट और कर्मचारियों की नियुक्ति की। नेटवर्क बढ़ाने के बाद करीब 200 से ज्यादा ग्राहकों की एफडी, आरडी और एमआईएस (मासिक आय योजना) के तहत 60 लाख की धनराशि कंपनी के खाते में जमा करवा ली गई। एक जनवरी 2016 को कार्यालय अचानक बंद कर तामझाम समेट लिया गया।

मकान मालिक ने की शिकायत

सितंबर 2015 से भवन स्वामी लीलाधर फुलारा का किराया भुगतान न होने पर 11 फरवरी 2016 को कोलकाता स्थित मुख्यालय अधिवक्ता के जरिये नोटिस भिजवाया गया। इधर ताले लटके देख उपभोक्ताओं ने पूछताछ तेज की तो स्थानीय अभिकर्ता व कर्मचारी निवेशकों को भरोसा दिलाते रहे। खातेदारों को अब पता चला है कि वे धोखाधड़ी के शिकार हो गए हैं।

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देहरादून में भी है जाल

ऐसी चिटफंड कंपनियों से दूनाइट्स को भी सावधान रहने की जरूरत है। देहरादून में भी ऐसी चिटफंड कंपनियां अपने एजेंट्स के जरिए धंधा चला रही हैं। ये कंपनियां बैंकों से ज्यादा ब्याज देने का लालच देकर लोगों से रकम जमा कराती हैं। जैसे एफडी कराने के नाम पर ये 3-4 साल में पैसा दोगुना कराने का लालच देती हैं। इनके पैसे जमा कराने का तरीका भी अलग होता है। ये रोजाना 5-10 या 50-100 रुपया भी जमा कराती हैं।

क्या हैं नियम?

इस तरह चलने वाली फाइनेंस कंपनियां गैरकानूनी तौर पर चल रही हैं। दरअसल उसी कंपनी को बैंकिंग करने का अधिकार है जिसे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से इसके लिए लाइसेंस जारी हुआ हो। इसलिए समय समय पर आरबीआई इस बाबत जानकारियां भी प्रकाशित या प्रसारित करता रहता है। हाल ही में कई चिटफंड कंपनियों पर सरकार ने शिकंजा कसा है और उनके मालिक जेलों में बंद हैं। इन कंपनियों शारदा चिटफंड, पर्ल, साईं प्रसाद, साईं प्रकाश, ग्रीन फॉरेस्ट, गोल्डन फॉरेस्ट आदि हैं जो ग्राहकों का अरबों-खरबों रुपया डकार गई हैं।