-'क' श्रेणी में लाल बत्ती के हकदार राज्यपाल, स्पीकर, हाईकोर्ट के जज, सीएम व कैबिनेट मंत्री

-शासकीय वाहनों में ड्यूटी के दौरान फ्लैशर युक्त लाल बत्ती का हो सकेगा प्रयोग

-फ्लैशर युक्त लाल बत्ती के लिए डिप्टी स्पीकर, राज्य मंत्री, सीएस व लोक सभा अध्यक्ष को 'ख' श्रेणी का दर्जा

DEHRADUN: लाल बत्ती की अनुमन्यता को लेकर शासन ने पुराने आदेशों में संशोधन किया है। इसके लिए श्रेणी निर्धारित की गई है। कहा गया है 'क' श्रेणी के तहत राज्यपाल, सीएम, विधानसभा अध्यक्ष, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, उच्च न्यायालय के जज, नेता प्रतिपक्ष व कैबिनेट मंत्री ही लाल बत्ती प्रयोग करने के हकदार होंगे। वहीं शासकीय वाहनों में ड्यूटी के दौरान फ्लैशर युक्त लाल बत्ती का उपयोग कर सकते हैं।

'ख' श्रेणी में सीएस व राज्य मंत्री

श्रेणी 'ख' के तहत निर्धारित किया गया है कि वाहन के शीर्ष अग्रभाग पर फ्लैशर रहित लाल बत्ती राज्य विधानसभा के उपाध्यक्ष, प्रदेश के राज्य मंत्री, चीफ सेक्रेटरी, लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष, प्रदेश सरकार के एडवोकेट जनरल, अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग के अध्यक्ष के अलावा राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त लगा सकते हैं।

उल्लंघन पर कार्यवाही

परिवहन सचिव सीएस नपलच्याल के अनुसार उपरोक्त के अलावा शासकीय, निजी वाहन में लाल बत्ती का प्रयोग करना पूरी तरह से वर्जित कर दिया गया है। यह भी स्पष्ट किया गया है कि इस अधिसूचना का उल्लघंन किये जाने पर संबंधित व्यक्ति के विरूद्ध केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा के तहत कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।

एंबुलेंस, पुलिस एस्कॉर्ट व पायलेट भी नहीं

आवश्यक सेवाएं एंबुलेंस, अग्निशमन सेवाओं, शान्ति व्यवस्था में लगे पुलिस एस्कॉर्ट व पायलेट में लगे वाहनों में भी लाल बत्ती का प्रयोग किसी भी दशा में नहीं किया जाएगा। ऐसे वाहनों द्वारा नीली व सफेद या फिर अन्य बहुरंगी बत्ती का प्रयोग इस संबंध में जारी किये गये (जीओ) शासनादेशों के अनुसार किया जा सकता है। किसी भी वाहन में ध्वनि कर्कश हॉर्न, कंपित या ज्यादा शोर उत्पन्न होने वाली किसी भी युक्ति के प्रयोग करने पर भी प्रतिबंधित किया गया है। इसका भी उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित होगी।

पद व नाम भी नहीं लिख पाएंगे

इसके अलावा यह भी स्पष्ट किया गया है कि किसी भी व्यक्ति द्वारा मोटरयान अधिनियम क्988 एवं केंद्रीय नियमावली क्989 के प्राविधानों के अनुसार अपने निजी वाहनों में भारत सरकार, उत्तराखण्ड सरकार, विभाग का नाम या फिर अपना अन्य किसी प्रकार का पद, नाम, विवरण अंकित करने के लिए भी प्रतिबंध लगाया गया है। बकायदा इस बावत पुलिस अधिकारियों एवं प्रवर्तन कार्य में लगे परिवहन विभाग के अधिकारियों को उक्त आदेशों का कड़ाई से अनुपालन करने के आदेश दिए गए हैं।

लगातार मिल रही थी शिकायतें

बताया जा रहा है कि प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के बाद कइयों द्वारा वाहनों में लाल बत्ती, पद नाम का प्रयोग लगातार किया जा रहा था। जिसकी शिकायत शासन तक पहुंच रही थी। इसी को लेकर शासन ने इसमें नया संशोधन किया है।